हाल ही में किए गए एक रिसर्च में दावा किया है कि पिछले चार साल के दौरान प्रतिदिन 550 नौकरियां ‘गायब’ हुई हैं और यदि यही रुख जारी रहा तो साल 2050 तक देश में 70 लाख रोजगार खत्म हो जाएंगे। दिल्ली के सिविल सोसायटी समूह प्रहार की एक स्टडी में कहा गया है कि देश में इस वक्त किसान, छोटे रिटेलर्स, ठेका श्रमिक और निर्माण श्रमिक अपनी कमाई को लेकर जितने परेशान हैं उतने वो इससे पहले कभी भी नहीं हुए। ग्रुप की ओर से जारी स्टेटमंट में कहा गया है कि लेबर ब्यूरो की ओर से जारी की गई आंकड़ों के अनुसार साल 2015 में देश में सिर्फ 1.35 लाख रोजगार के नए अवसरों का विकास हुआ है। जबकि 2013 में 4.19 लाख और 2011 में 9 लाख रोजगार के अवसर आए थे।
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बयान में कहा गया है कि इन आंकड़ों का गहराई से विश्लेषण करने के बाद और भी बुरी तस्वीर सामने आती है। बयान में ये भी बताया गया है कि रोजगार बढ़ने के बजाय देश में हर रोज 550 रोजगार के अवसर समाप्त हो रहे हैं। इसका मतलब है कि 2050 तक देश में 70 लाख रोजगार खत्म हो जाएंगे। वहीं इस दौरान देश की आबादी 60 करोड़ बढ़ चुकी होगी। साथ ही इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि देश में नए रोजगार का विकास लगातार घट रहा है, जो काफी चिंता की बात है। इस स्टडी के अनुसार रोजगारों में कमी इस वजह से हो रही है क्योंकि ज्यादा रोजगार देने वाली बड़ी कंपनियां बुरे दौर से गुजर रही है।
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भारत में एग्रीकल्चर 50 फीसदी रोजगार के अवसर प्रदान करता है और उसके बाद एसएमई सेक्टर देश में 40 फीसदी नौकरी उपलब्ध करवाता है। वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के अनुसार साल 2013 में भारत में कुल रोजगार में से कृषि का हिस्सा कम होकर 50 फीसदी रह गया है जबकि साल 1994 में ये यह हिस्सा 60 फीसदी था।