केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पीएफ कवरेज के लिए न्यूनतम वेतन सीमा को 15 से बढ़ाकर 21 हजार नहीं करेगी। लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह जानकारी सामने आ रही है। खबर के मुताबिक, श्रम मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) सेंट्रल बोर्ड के प्रस्ताव को लागू नहीं करेगा। सेंट्रल बोर्ड का प्रस्ताव था कि पीएफ के दायरे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाने के लिए न्यूनतम वेतन सीमा को 21 हजार रुपए प्रतिमाह किया जाए। श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने कहा, “अभी इसे बढ़ाया नहीं गया है। हमारी तरफ से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है और मैं इस पर कोई और टिप्पणी नहीं कर सकता।” जानकारी के लिए आपको बता दें कि संगठित क्षेत्र में 15 हजार रुपए तक का वेतन पा रहे कर्मचारी EPFO के दायरे में आते हैं और उन्हें पीएफ-पेंशन के फायदे मिलते हैं।
सीमा बढ़ाकर 21 हजार रुपए करने से लगभग 60 लाख और कर्मचारी पीएफ के दायरे में आते। केंद्रीय पीएफ कमिश्नर वी.पी जॉय ने बताया कि सेंट्रल बोर्ड ने सैलरी के दायरे को बढ़ाने की सिफारिश की थी। वहीं, खबर के मुताबिक श्रम मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि वेतन सीमा बढ़ाने से सरकार पर हर साल 3000 करोड़ रुपए का बोझ बढ़ जाता। ऐसे में, यह कोई अच्छा प्रस्ताव नहीं था। अधिकारी ने आगे कहा, “वित्त मंत्रालय ने श्रम मंत्रालय से इस प्रस्ताव को लागू करने से पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन करने को कहा था और इसी के मद्देनजर इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।”
बता दें EPFO सदस्यों की बेसिक सैलरी पर 1.16% का योगदान केंद्र सरकार पेंशन की तरफ करती है। संगठित क्षेत्र के कर्मचारी को बेसिक सैलरी पर 12% और उसके नियोक्ता को भी 12% का योगदान करना पड़ता है। नियोक्ता के 12% में से 8.33% पेंशन और शेष 3.67% पीएफ में जाता है। इसके अलावा, जानकारी के लिए आपको यह भी बता दें कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने उस नियम को भी बदल दिया है, जिसमें 10 लाख रुपए से ज्यादा की रकम निकालने के लिए ऑनलाइन क्लेम करना अनिवार्य किया गया था। कर्मचारी अब ऑफलाइन भी 10 लाख रुपए से ज्यादा की रकम निकालने के लिए क्लेम कर सकेंगे।