अक्सर लोगों को पीएफ और पीपीएफ खाते को लेकर कन्फ्यूजन हो जाती है। कई बार तो उन्हें यह गलत फैह्मी भी हो जाती है कि ये दोनों खाते एक ही होते हैं। लेकिन यह हकीकत नहीं है। आज हम आपका यही कन्फ्यूजन दूर करेंगे। पहले जानते हैं पीएफ के बारे में। पीएफ को ईपीएफ यानी एंप्लॉयी प्रॉविडेंट फंड भी कहा जाता है। कर्मचारी का खाता, जिसमें वह खुद और उसका नियोक्ता(इम्प्लॉयर) एक निश्चित रकम जमा कराते हैं उसे ईपीएफ कहते हैं। कोई भी कंपनी जहां 20 या उससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हों, उसके लिए अपने कर्मचारियों के लिए पीएफ खाते खुलवाना अनिवार्य है। ईपीएफ खाता कंपनी खुलवाती है। वहीं पीपीएफ होता है पब्लिक प्रॉविडेंट फंड यानी सार्वजिनक भविष्य निधि। पीपीएफ कंपनी द्वारा नहीं, बल्कि कोई शख्स निजी स्तर पर इसे खुलवाता है। देश का हर एक नागरिक किसी भी बैंक या पोस्ट ऑफिस में PPF खाता खुलवा सकता है।

टैक्स- ईपीएफ खाता टैक्स फ्री नहीं होता है। इसकी मद में जो रकम कटती है उसमें से उसमें सिर्फ 1,50,000 लाख रुपये तक कीकी रकम टैक्सफ्री होती है। इससे ज्यादा की रकम पर टैक्स लगता है। वहीं पीपीएफ खाता करमुक्त होता है। सेक्शन 80 सी के तहत पीपीएफ खाता टैक्स फ्री होता है। पीपीएफ असल में ईईई यानी exempt, exempt, exempt के तहत आता है यानी कि इसमें डाले गए पैसे, ब्याज और मच्योरिटी पर मिलने वाली रकम तीनों ही चीजें टैक्स फ्री हैं।

लॉक इन पीरियड- ईपीएफ खाते में कोई लॉक इन पीरियड नहीं होता। कोई भी शख्स अपना खाता तब तक होल्ड कर सकता है जब तक उसकी सैलरी आ रही है। खाते की रकम इस्तीफा देने या रिटायरमेंट पर मिल जाती है। पीपीएफ खाते की मैच्योरिटी की समय सीमा 15 वर्ष होती है। हालांकि इसे और 5 साल के लिए बढ़वाया जा सकता है।

निकासी- ईपीएफ खाता धारक अपनी निजी जरूरतों के लिए, जरूरी दस्तावेज जमाकर पैसे निकाल सकता है। वहीं पीपीएफ खाता धारक पैसा सिर्फ मैच्योरिटी पर निकाल सकता है।