मलखान सिंह, मध्यप्रदेश में ऐसा नाम था जिससे हर कोई खौफ खाता था। छह फीट लंबा कद, चेहरे से बाहर निकलती मूंछे और खाकी वर्दी। एक हाथ में अमेरिकन सेल्फ लोडि़ंग राईफल तो दूसरे हाथ में लाऊडस्पीकर। सालों तक ये चेहरा चंबल के इलाकों में खौंफ की तस्वीर बना रहा। अपहरण, लूट, डकैती, हत्या और हत्या के प्रयास के सैकड़ों मामले मलखान सिंह के सिर पर रहे, लेकिन मलखान सिंह उस समय भी बीहड़ों में बेखौंफ घूमता रहा। लेकिन नोटबंदी के बाद वही मलखान सिंह बैंक के बाहर नोट बदलने के लिए घंटों लाइन में इंतजार करता रहा और टाइम पास के लिए पुलिस से हंस-हंस कर बात कर रहा था। विश्नास नहीं होता? तो अब हो जाएगा आइए बताते हैं आखिर क्या है माजरा।

आपको बता दें मलखान सिंह के डाकू बनने के पीछे गाव का सरपंच था। यह तब शुरू हुआ जब मलखान सिंह ने मंदिर की जमीन हड़पने के लिए गांव के सरपंच का विरोध किया। लेकिन सरपंच ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर उल्टा मलखान को ही जेल में डलवा दिया।

यहां तक कि उसके एक दोस्त की हत्या भी करा दी थी। बस तभी से मलखान ने सरपंच को सबक सिखाने के लिए बंदूक उठा ली थी। हालांकि मलखान सिहं ने 1980 के दशक में अपने गिरोह के बाकी साथियों के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने आत्मसर्मपण कर दिया था। आत्मसर्मपण के बाद उसे भूदान आंदोलन के तहत बाकी जिंदगी सामान्य रूप से गुजर बसर करने के लिए जमीन दी गई।

आत्मसमर्पण के बाद जिस मलखान सिंह को देख लोग भाग खड़े होते थे वही साल 2016 में बैंक की लाइन में उसके समाने खड़े थे। ग्वालियर के महाराज बाड़ा स्थित एसबीआई की मुख्य शाखा पर कंधे पर बंदूक टांगे मलखान सिंह नोट बदलने के लिए लाइन में खड़ा अपने नंबर का इंतजार कर रहा था।

जहां 70-80 के दशक में मलखान और कई राज्यों की पुलिस के बीच टकराव होता रहता था और दोनों ओर से फायरिंग में लोग मारे भी गए थे। वहीं नोटबंदी के दौरान पुलिस भी मलखान सिंह के साथ हंस-हंस कर बात करती दिखी।

मलखान सिंह एक समय ऐसा नाम था जिसकी वजह से इलाके में हमेशा दशहत का माहौल रहता था। मलखान सिंह पर हत्याओं और डकैती के हजारों में दर्ज थे। यहां तक कि 185 हत्याओं में 32 पुलिस वाले भी शामिल थे। करीब डेढ़ दर्जन साथी डकैतों के साथ मध्यप्रदेश के बीहड़ में मलखान सिंह बेखौफ घूमता था।