उत्तर प्रदेश के बहराइच में पिछले कई महीनों से खूंखार भेड़िये ने आतंक मचाया हुआ है। बहराइच के कई गांवों में भेड़िए के आतंक की दहशत इसलिए ज्यादा है क्योंकि यह बच्चों को निशाना बना रहा है और घरों में घुसकर लोगों पर हमला कर रहा है। अभी तक 9 बच्चों सहित 10 लोग भेड़िए का शिकार बन चुके हैं और 34 लोग घायल हो चुके हैं।

आदमखोर भेड़िए के खौफ की वजह से लोगों ने अपने खेतों में जाना बंद कर दिया है और गांव के लोग हाथों में डंडे लेकर दिन-रात भेड़िए की निगरानी कर रहे हैं। जिन घरों के बच्चों या बड़े लोगों को भेड़िए ने शिकार बनाया है, उन घरों में मातम पसरा हुआ है।

भेड़िए की वजह से लगभग 40 ग्राम पंचायतों में दहशत है। हालात को देखते हुए वन विभाग के अलावा अन्य विभागों के तमाम अफसर भी पूरे हालात की निगरानी कर रहे हैं लेकिन भेड़ियों का आतंक कम नहीं हो रहा है।

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उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़ियों ने खड़ी की मुसीबत (Photo : Express File)

पहले भी बनाया लोगों को शिकार

ब्रिटिश शासन के अफसरों द्वारा रखे गए रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि 19वीं सदी के उत्तरार्ध में भारत में भेड़ियों ने उतने ही लोगों को मारा था जितना शेरों ने। उस वक्त की बंगाल सेना के कप्तान के द्वारा रखे गए रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि 1866 में भेड़ियों और शेरों ने लोअर बंगाल में ही क्रमशः 4287 और 4218 लोगों को मार डाला था।

सर्जन जनरल जोसेफ फेयरर ने बताया था कि उत्तर भारत में साल 1875 में शेरों ने 828 लोगों को और भेड़ियों ने 1,018 लोगों को मार डाला था।

ब्रिटिश रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि भेड़ियों के हमलों के कारण पंजाब, राजस्थान, गुजरात और दक्कन के पठार में कम मौतें होती थीं जबकि इन क्षेत्रों में भेड़ियों की प्रजातियां काफी थीं और इनकी वजह से बहुत सारे जानवर मारे जाते थे।

रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि 1871 और 1916 के बीच सरकार ने जब भेड़ियों के शिकार के लिए योजना चलाई तो लगभग 1 लाख भेड़ियों को मारा गया। ज्यादातर भेड़ियों को उत्तर-पश्चिम प्रांत और अवध में मारा गया था।

इंसानों पर हमला करने के पीछे क्या है वजह?

सभी बड़े शिकारी जानवर इंसानों का शिकार कर सकते हैं और इस मामले में भेड़िये अलग नहीं हैं। लेकिन भेड़िये ऐसा बहुत कम करते हैं और अगर वे ऐसा कर रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि इसके पीछे कुछ ठोस वजह है।

ऐसे हालात विशेष रूप से तब बनते हैं जब मनुष्य और शिकारी जानवरों के बीच प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जे के लिए लड़ाई होती है। इंसान जब लकड़ी के लिए जंगलों को काटता है या मांस के लिए जंगली जानवरों का शिकार करता है तब इंसानों और जानवरों के बीच संघर्ष शुरू होता है।

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि बहराइच में जिस तरह के हमले भेड़ियों की ओर से इंसानों पर किए जा रहे हैं, उसके पीछे भी ऐसी वजह हो सकती हैं। भारत में यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश और बंगाल में भेड़ियों द्वारा इंसानों पर हमलों की खबरें आई हैं क्योंकि यहां पर गरीबी की वजह से जानवरों और इंसानों के बीच लड़ाई वाले हालात बने।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पालतू और छोड़ दिए गए हाइब्रिड भेड़ियों-कुत्तों के आदमखोर बनने की संभावना होती है क्योंकि जब वे पालतू जानवर होते हैं तो उनके मन से लोगों का डर खत्म हो जाता है।

17 बच्चों को मार डाला था मध्य प्रदेश में

1985-86 की सर्दियों में मध्य प्रदेश के आस्था में चार भेड़ियों के एक झुंड ने 17 बच्चों को मार डाला था। इस मामले में शुरुआत में एक अकेले भेड़िये को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया था लेकिन बाद में इनकी संख्या बढ़ गयी थी और सभी चार – दो नर और दो मादा भेड़िये मारे गए थे। पूर्व सिविल सेवक अजय सिंह यादव की मैन ईटिंग वोल्व्स ऑफ आस्था (2000) में यह घटना दर्ज है।