U.S. 2024 Presidential Election November Tuesday: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस के बीच बेहद नजदीकी मुकाबला है। अमेरिका का अगला राष्ट्रपति कौन होगा, इसे लेकर न सिर्फ अमेरिका में बल्कि दुनिया के दूसरे मुल्कों में भी तमाम तरह की चर्चाएं हो रही हैं। लेकिन आज आपको अमेरिका के चुनाव से जुड़ी एक बेहद दिलचस्प बात बताते हैं। 

दिलचस्प बात यह है कि क्या आप जानते हैं कि अमेरिका में हर बार चुनाव नवंबर में ही क्यों होते हैं और इससे भी बड़ी बात यह कि यह चुनाव नवंबर के पहले मंगलवार को ही क्यों कराए जाते हैं? 

आइए इसे विस्तार से समझते हैं। 

अमेरिका में 1845 तक राज्यों को इस बात की इजाजत थी कि वे दिसंबर में अगले राष्ट्रपति को सर्टिफाई करने के लिए इलेक्टोरल कॉलेज की बैठक होने से पहले 34 दिनों के अंदर कभी भी चुनाव करा सकते थे। लेकिन 1845 में अमेरिकी कांग्रेस ने यह तय किया कि पूरे देश में एक ही दिन चुनाव कराया जाएगा और इस संबंध में कानून पारित किया गया। इसके पीछे दो मुख्य वजह थीं। ये वजह क्या थीं, अब इस बारे में बात करते हैं। 

पुरानी चुनाव व्यवस्था की क्यों हुई आलोचना?

18 वीं सदी तक 21 साल से ज्यादा की उम्र के ऐसे व्हाइट मैन जिनके पास जमीन नहीं थी, राज्यों ने उन्हें भी वोट देने का हक दे दिया था। लेकिन इससे चुनाव में अव्यवस्था पैदा होने लगी और यह मांग उठी कि चुनाव प्रक्रिया को सरल बनाया जाए। अमेरिका में तब तक जो चुनाव प्रणाली चल रही थी उसके आलोचकों का मानना था कि ज्यादा चरणों में होने वाले चुनाव की वजह से ऐसे हालात बन जाते थे कि कुछ राज्यों में जल्दी मतदान होने और उनके नतीजे के ऐलान का असर उन राज्यों में पड़ता था जहां पर बाद में वोटिंग होती थी। 

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अब सवाल इस बात का था कि आखिर किस महीने में और किस दिन चुनाव कराया जाए?

19वीं सदी में अमेरिका में अच्छी-खासी खेती होती थी। तब बड़ी संख्या में मतदाता ऐसे थे जो गांवों में रहते थे और चुनाव में उनका बड़ा रोल होता था। नवंबर को चुनाव कराने के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि यह महीना न तो बसंत की बुआई और न ही शरद ऋतु में फसल की कटाई के समय से टकराता था। इसके अलावा कड़ी सर्दी के दूर होने की वजह से भी नवंबर को सही समय माना गया। लेकिन दिन के चयन को लेकर धार्मिक और आर्थिक वजहों को ध्यान में रखा जाना था। 

मंगलवार का ही चुनाव क्यों?

19वीं सदी में अमेरिका के गांवों में रहने वाले मतदाताओं को अपना वोट डालने के लिए पूरे दिन सफर करना पड़ता था, ऐसे में हफ्ते के तीन दिन रविवार, सोमवार और शनिवार का चयन वोटिंग के दिन के लिए नहीं किया गया क्योंकि इन दिनों में वोटिंग होने से लोगों को चर्च पहुंचने में परेशानी हो सकती थी। 

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बुधवार को भी वोटिंग के दिन से बाहर रखा गया क्योंकि इस दिन अमेरिका में बड़े पैमाने पर पूरे देश में बाजार लगता है। इन बाजारों में किसान अपनी फसल को बेचने के लिए आसपास के शहरों और कस्बों में जाते हैं। 

इसके बाद सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि महीने के पहले सोमवार के बाद पहले मंगलवार को ही चुनाव कराए जाएं और ऐसा इसलिए किया गया कि चुनाव का दिन 1 नवंबर को ना पड़े क्योंकि उस दिन ईसाई समुदाय के लोग ऑल सैंट्स डे मनाते थे और व्यापारी आमतौर पर पिछले महीने के अपने लेन-देन का हिसाब-किताब करते थे। 

हालांकि पिछले कुछ सालों में महीने के पहले मंगलवार को चुनाव कराने की आलोचना भी हुई है। आलोचना करने वालों का कहना है कि अमेरिका में अब केवल 12% लोग ही कृषि पर निर्भर हैं और लोगों को वोट डालने के लिए काम से छुट्टी लेनी पड़ती है।

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चुनाव में इन सात राज्यों की है बड़ी भूमिका 

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में सात राज्य ऐसे हैं जो बड़ी भूमिका तय करते हैं। ये राज्य- एरिजोना, जॉर्जिया, मिशिगन, नेवाडा, नॉर्थ कैरोलिना, पेंसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन हैं। इन राज्यों के कई मेट्रोपॉलिटन इलाकों में भारतीय अमेरिकियों की अच्छी संख्या है। जैसे- अटलांटा, जॉर्जिया, फिलाडेल्फिया, पेंसिल्वेनिया, रैले, उत्तरी कैरोलिना, डेट्रोइट और मिशिगन। इन इलाकों में रहने वाले भारतीय अमेरिकी चुनावी मुकाबले पर असर डालने की क्षमता रखते हैं।