अमरोहा की रहने वाली 16 वर्षीय अहाना को घर का खाना पसंद नहीं आता था, बाजार का पैकेज्ड फूड या कह लीजिए जंक फूड ही उसकी पहली पसंद थी। थोड़ा बहुत तो सब खाते हैं, लेकिन अहाना ने अति कर दी थी, उसके परिवार वालों के मुताबिक उसने रोज जंक फूड खाना शुरू कर दिया था। एक दिन उसकी तबीयत खराब हुई, अस्पताल में भर्ती हुई और आंतों में छेद की बात सामने आई। अब अहाना इस दुनिया को अलविदा कह चुकी है, लेकिन उसकी मौत का कारण यहीं जंक फूड बताया जा रहा है।
जंक फूड क्या होता है?
आसान शब्दों में जंक फूड का मतलब होता है ऐसा खाना जिसमें विटामिन, मिनिरल और फाइबर ना के बराबर होता है। लेकिन इसी जंक फूड में भारी मात्रा में कैलोरी होती है। ये भी कहा जाता है कि जो खाना जल्दी पक जाता है, वो भी जंक फूड की श्रेणी में आता है। कई बार सिर्फ पिज्जा, बर्गर को ही जंक फूड माना जाता है, लेकिन ऐसा होता नहीं है। जितना भी तला-भुना खाना है, जितनी भी तेज मीठी मिठाइयां हैं, जितनी भी डीप फ्राइ वाली डिश हैं, वो भी जंक फूड की कैटेगरी में ही आती हैं। यानी कि भारत का सबसे चर्चित नाश्ता- समोसा, जलेबी, कचौड़ी भी एक प्रकार जंक फूड ही है।
जंक फूड का कारोबार कितना बड़ा है?
भारत में जंक फूड या कहें अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाने का मार्केट काफी तेजी से बढ़ा है। ICRIER की रिपोर्ट के मुताबिक 2006 में भारत में जंक फूड या अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड मार्केट 7996 करोड़ रुपये का था। लैंसेट की रिपोर्ट बताती है कि 2019 आते-आते यह मार्केट 3.3 लाख करोड़ तक जा पहुंचा। इसके ऊपर अगर यूरोमॉनिटर कंपनी के आंकड़ों का अध्ययन करें तो तस्वीर और स्पष्ट दिखाई देती है। असल में जंक फूड का मार्केट 2019 से लगातार 10 फीसदी ग्रोथ रेट से आगे बढ़ रहा है। 2029 तक आंकड़ा 3.98 लाख करोड़ जा सकता है। ग्लोबल फूड पॉलिसी रिपोर्ट 2024 भी इस मुद्दे पर प्रकाश डालती है, लोगों के स्पेंडिंग पैटर्न को भी आसानी से समझाती है।
रिपोर्ट के मुताबिक लोगों का जो घरेलू खाने का बजट होता है, वहां प्रोसेस्ड फूड की हिस्सेदारी 6.5 फीसदी रही। यह आंकड़ा 2015 का था, 2019 में वो बढ़कर 12 फीसदी तक गया। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि 2015 में जंक फूड पर 61900 करोड़ रुपये खर्च हो रहे थे, 2019 में वो बढ़कर 82000 करोड़ पहुंच गया। अब मार्केट ट्रेंड बताता है कि 2019 से लगातार जंक फूड सेक्टर में 10 फीसदी की निर्णायक ग्रोथ देखने को मिल रही है।
अब कुछ और रिपोर्ट्स बताती हैं कि 2011 से 2021 तक अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड बाजार में चॉकलेट और मिठाइयों का सबसे बड़ा मार्केट रहा है, दूसरी नंबर पर रेडी-मेड फूड आता है और तीसरे पायदान पर पेय पदार्थ आते हैं, इसमें कोल्ड ड्रिंक और दूसरी ज्यादा चीनी वाली ड्रिंक्स शामिल हैं। इसके ऊपर भारत में तेज नमक वाली नमकीन का चलन भी तेजी से बढ़ा है।
भारत में कितने लोग जंक फूड खाते हैं?
अब भारत में कितने लोग जंक फूड खाते हैं, इसे लेकर अलग-अलग रिपोर्ट्स हैं जो दावे भी अलग करती हैं। लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि जंक फूड का चलन भारत में काफी ज्यादा बढ़ गया है। ग्लोबल फूड पॉलिसी रिपोर्ट 2024 के मुताबिक 2024 में 38 फीसदी आबादी ने जंक फूड का सेवन किया, इसे दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि हर चौथे इंसान ने जंक फूड खाया है। इसी तरह UNICEF की 2025 वाली रिपोर्ट भी चिंताजनक ट्रेंड की ओर ध्यान आकर्षित करती है। यह रिपोर्ट बताती है कि भारत में इस साल 93 फीसदी बच्चों ने पैक्ड या प्रोसेस्ड फूड का सेवन किया है।
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म दे रहे बढ़ावा?
उसी रिपोर्ट इस बात का भी जिक्र है कि 68 फीसदी बच्चों ने हफ्ते में एक बार जरूर पैक्ड ड्रिंक पी है। 53 प्रतिशत ऐसे बच्चे भी शामिल हैं जिन्होंने रोज ही ऐसी चीनी वाली ड्रिंक पी है। एक आंकड़ा ऑनलाइन फूड ऑर्डर करने को लेकर भी उपलब्ध है, उससे भी यही पता चला है कि लोग अब जंक फूड भारी मात्रा में ऑर्डर करने लगे हैं। लोकल सर्कल ने इस साल एक बड़ा अध्ययन किया था, उसमें पता चला कि जितने भी ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म मौजूद हैं, वहां 50 फीसदी आइटम HFSS कैटेगरी के हैं। ऐसे खानों में High Fat, Sugar और Salt भारी मात्रा में है।
बाकी देशों का क्या हाल?
अगर पूरी दुनिया की बात करें तो इस मामले में अमेरिका का हाल सबसे बुरा है। CEOWORLD magazine की 2023 की रिपोर्ट ने कई देशों को रैंकिंग के आधार पर रखा है। जहां सबसे ज्यादा जंक फूड खाते हैं, वो देश टॉप पर और जहां सबसे कम वो बिल्कुल नीचे। इस रिपोर्ट में अमेरिका को तो ‘Fast Food Obsessed’ देश बताया गया है। दूसरे पायदान पर यूके आता है, तीसरे पर फ्रांस, चौथे पर स्वीडन और पांचवें पर ऑस्ट्रिया। भारत इस रिपोर्ट में 13वें नंबर पर आता है। वही सबसे कम जंक फूड जर्मनी में खाया जाता है।
