कांग्रेस ने टीएस सिंहदेव को छत्तीसगढ़ का उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया है। 28 जून को यह फैसला दिल्ली में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद लिया गया। बैठक में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, सिंहदेव और पार्टी के कुछ अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे।

2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के बाद बघेल ने सीएम का पद संभाला था। तब ऐसा माना जा रहा था कि सरगुजा के पूर्व शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाले टीएस सिंहदेव बघेल की इस पदोन्नति से खुश नहीं थे। तब से दोनों नेता राज्य के कई मामलों पर सार्वजनिक रूप से असहमत दिखे हैं।

इस साल के अंत में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसा माना जाता है कि कांग्रेस नेतृत्व दोनों के बीच तनाव को सुलझाना चाहती है। दिसंबर 2022 में सिंहदेव ने 2023 का चुनाव लड़ने को लेकर अनिच्छा व्यक्त की थी।

भारतीय राजनीति में आम तौर पर कई हितों के बीच संतुलन बनाने के लिए उप मुख्यमंत्री की नियुक्ति की जाती है। यह एक राजनीतिक समझौता होता है। इस साल मई में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली और अनुभवी नेता सिद्धारमैया सीएम बने।

कौन हैं टीएस सिंहदेव?

त्रिभुवनेश्वर शरण सिंहदेव या टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ में अंबिकापुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो सरगुजा जिले का हिस्सा है। ‘टीएस बाबा’ या ‘महाराज’ के नाम से लोकप्रिय सिंहदेव अविवाहित हैं और उनके पास इतिहास में मास्टर डिग्री है।

वह पहली बार 2008 में विधायक बने और 2013 में फिर से चुने गए। अगले वर्ष वह विधानसभा में विपक्ष के नेता बने। बताया गया कि वह राज्य में पार्टी के सबसे अमीर उम्मीदवार थे, जिनकी घोषित संपत्ति 560 करोड़ रुपये से अधिक थी।

2018 के विधानसभा चुनाव के बाद सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि बघेल और सिंहदेव के बीच एक समझौते पर पर चर्चा हुई थी। दोनों नेताओं के बीच मुख्यमंत्री के रूप में ढाई-ढाई साल का कार्यकाल संभालने की बात हुई थी। हालांकि ऐसा हुआ नहीं और बघेल 2018 से लगातार सीएम पद पर बने हुए हैं। राज्य में सरकार के गठन के साथ ही सिंहदेव को पांच विभाग दिए गए थे: पंचायत और ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, 20 सूत्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन और वाणिज्यिक कर (GST)।

छत्तीसगढ़ में बघेल-सिंहदेव प्रतिद्वंद्विता

दोनों नेता राज्य के कई मामलों को लेकर सार्वजनिक असहमति व्यक्त कर चुके हैं। 2022 में राज्य के हसदेव अरण्य जंगल (जिनके कुछ हिस्से सरगुजा जिले के अंतर्गत आते हैं) में एक कोयला खनन परियोजना में पर्यावरण संबंधी चिंताओं को लेकर कुछ स्थानीय निवासियों और कार्यकर्ताओं ने विरोध किया। सिंहदेव ने जंगलों का दौरा किया और घोषणा की कि परियोजना के लिए एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा।

राहुल गांधी ने यह भी संकेत दिया कि वह इस समय प्रदर्शनकारियों की बात सुनने के लिए तैयार हैं। बघेल पहले परियोजना को रोकने के पक्ष में नहीं थे। उन्होंने परियोजना को रोकने की मांग करने वाले कार्यकर्ताओं को कहा था कि पहले वह अपना AC बंद कर लें। बाद उन्होंने अपना रुख बदल दिया और परियोजना को रोक दी। सीएम ने कहा, “अगर टीएस सिंहदेव नहीं चाहते कि पेड़ काटे जाएं, तो एक शाखा को भी नुकसान नहीं होगा।”

जुलाई 2022 में सिंहदेव ने पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग त्याग दिया और बघेल को लिखे चार पन्नों के सार्वजनिक पत्र में ऐसा करने के पीछे के कारणों को भी रेखांकित किया। उन्होंने पीएम आवास योजना के तहत धन की मंजूरी नहीं दिए जाने का हवाला दिया। मंत्री ने कहा, राज्य में आठ लाख लोगों के लिए घर नहीं बनाए जा सके। इस मामले पर सीएम बघेल से कई बार चर्चा हुई लेकिन धन उपलब्ध नहीं कराया गया, जिससे “बेघरों के लिए एक भी घर नहीं बनाया जा सका।”

पिछले दिसंबर, सिंहदेव ने कहा था कि वह राज्य चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं। उन्होंने कहा, “मैंने अब तक कोई फैसला नहीं लिया है…इस बार मैंने चुनाव लड़ने पर अभी तक कोई मन नहीं बनाया है। इससे पहले 2008, 2013 और 2018 में मेरा चुनाव लड़ने का मन हुआ था और तब मैंने पहले से मन बना लिया था। इस बार मेरा चुनाव लड़ने का मन नहीं है लेकिन मैं अपने समर्थकों से इस बारे में चर्चा करने के बाद इसे आधिकारिक तौर पर घोषित करूंगा।”