अंकिता देशकर

लाइटहाउस जर्नलिज्म को सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा एक वीडियो मिला। वीडियो के साथ भारतीय सेना के 37 कमांडो को जिंदा जलाने का दावा किया जा रहा है। जांच के बाद पता चला कि वायरल दावा भ्रामक है। घटना 30 जनवरी 2024 की है, जब कांगपोकपी और इंफाल पश्चिम जिले के सीमावर्ती इलाके में हथियारबंद बदमाशों के बीच गोलीबारी के दौरान 2 लोगों की मौत हो गई थी।

क्या वायरल हो रहा है?

एक्स यूजर @ImrankhanISP1 ने वायरल वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर किया है।

अन्य यूजर्स भी वीडियो को इसी दावे के साथ शेयर कर रहे हैं।

कैसे हुई पड़ताल?

हमने InVid टूल पर वीडियो अपलोड करके अपनी जांच शुरू की। InVid टूल की मदद से हमें वीडियो के कई फ्रेम मिल गए। फ्रेम को रिवर्स इमेज सर्च में डालने पर ईस्ट मोजो द्वारा अपलोड किया गया एक वीडियो मिला।

ये वीडियो, वायरल हो रहे वीडियो जैसा है। वीडियो 31 जनवरी, 2024 को अपलोड किया गया था। विवरण के मुताबिक: पुलिस के अनुसार, मंगलवार को कांगपोकपी और इंफाल पश्चिम जिले के सीमावर्ती इलाके में हथियार से लैस उग्रवादियों के बीच ताजा गोलीबारी के दौरान कम से कम दो लोग मारे गए, और तीन अन्य घायल हो गए।

गूगल पर सर्च करने पर हमें घटना संबंधित कई खबरें मिलीं:

हमें मणिपुर पुलिस द्वारा किया हुआ ट्वीट भी मिला।

जांच के अगले चरण में हमने मणिपुर स्थित उखरुल टाइम्स के संपादक रोन्नेरी खथिंग से फोन पर बात की। उन्होंने लाइटहाउस जर्नलिज्म को बताया कि हाल में या पहले ऐसी कोई घटना नहीं हुई है, जिसमें भारतीय सेना के 37 कमांडो को जिंदा जला दिया गया हो। उन्होंने यह भी कहा कि ये वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुई है। इस वीडियो में कुकी-ज़ोमी समूह एवं मैतेई समूह में हुई झड़प को देखा जा सकता है। रोन्नेरी खथिंग ने उखरुल टाइम्स में आई इस घटना की खबर भी हमारे साथ साझा की।

निष्कर्ष: मणिपुर में भारतीय सेना के 37 कमांडो को जिंदा नहीं जलाया गया, वायरल दावा भ्रामक है। पोस्ट के साथ शेयर किया जा रहा वीडियो कांगपोकपी और इंफाल पश्चिम के सीमावर्ती इलाकों में हुई हिंसा की है।