14 साल पहले श्रीलंका की सरकार (Sri Lanka Government) ने जिस व्यक्ति के मारे जाने की घोषणा की थी, अब उसके जिंदा होने का दावा किया जा रहा है। 18 मई, 2009 को श्रीलंका की सरकार ने घोषणा की थी कि उसकी सेना ने लिट्टे  (LTTE) प्रमुख वेलुपिल्‍लई प्रभाकरन (Velupillai Prabhakaran) को मार दिया है। श्रीलंका सरकार ने अपनी बात को साबित करने के लिए तस्वीरें भी जारी की थीं। बाद में लिट्टे ने भी इस बात को स्वीकार किया था।

लिट्टे में बैना था शराब, सिगरेट और शारीरिक संबंध

प्रभाकरन ने लिट्टे का गठन 1976 में किया था। वह भगत सिंह (Bhagat Singh) और सुभाष चंद्र बोस (Subhas Chandra Bose) को अपना प्रेरणास्रोत मानते थे। लिट्टे की शुरुआत बहुत छोटे रूप में हुई थी। लेकिन लिट्टे जब अपने उरूज पर था, तब उसके पास 50 हजार से अधिक ट्रेंड लोग थे।

लिट्टे के भीतर प्रभाकरन ने कई तरह के नियम लागू कर रखे थे। जैसे- लिट्टे के लड़ाकों को शराब पीना, सिगरेट पीना और शारीरिक संबंध बनाने की अनुमति नहीं थी। इन तीनों पर लिट्टे के भीतर प्रतिबंध था। लिट्टे के भीतर किसी का किसी के साथ प्रेम में पड़ना जानलेवा साबित हो जाता था। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रभाकरन ने अपने एक महिला और पुरुष बॉडीगार्ड को सिर्फ इसलिए जान से मार दिया था क्योंकि दोनों ने शारीरिक संबंध बना लिया था।

विडंबना यह है कि प्रभाकरन ने खुद अपने बनाए नियम को तोड़ दिया था। प्रभाकरन को होली के दिन मतिवत्थनी इराम्बू नाम की एक लड़की से प्यार हो गया था। दरअसल इराम्बू ने प्रभाकरन पर रंगों से भरी एक बाल्टी उड़ेल दी थी और वहीं उनकी आंखें इराम्बू पर टिक गयी थी। बाद में प्रभाकरन और मतिवत्थनी इराम्बू ने शादी कर ली थी।

विवाद का इतिहास

1948 में अंग्रजों से आजाद के बाद से ही श्रीलंका में सिंहली और तमिलों में संघर्ष रहा है। सिंहली खुद को श्रीलंका का मूलनिवासी बताते हैं। उनके लिए तमिल बाहरी हैं। तमिलों का दावा है कि उनका एक वर्ग वहीं का मूल निवासी है और कुछ तमिलों अंग्रेज चाय, कॉफी और रबर के बागानों में काम करने के लिए भारत के दक्षिणी क्षेत्र से ले गए थे।

आजादी के बाद श्रीलंका की सरकार ने विवादित सिंहला ओनली एक्ट (Sinhala Only Act) लागू किया। इस कानून के कारण तमिल मुख्यधारा से साइड किया जाने लगा। सिंहली को राष्ट्रभाषा घोषित कर दिया गया। तमिल लोग भेदभाव का आरोप लगाने लगे। दूसरी तरह सिंहली तमिलों पर बाहरी और संसाधन पर कब्जा करने का आरोप लगाने लगे।

यही श्रीलंका में गृहयुद्ध और लिट्टे के उदय का कारण बना। प्रभाकरन के नेतृत्व में लिट्टे का इरादा श्रीलंका के उत्तर और पूर्व में एक स्वतंत्र तमिल स्टेट बनाना था। इसके लिए 25 साल से अधिक समय तक लिट्टे ने गोरिल्ला युद्ध लड़ा।

‘प्रभाकरन जिंदा हैं’

तमिलनाडु के दिग्गज नेता पी. नेदुमारन (Pazha Nedumaran) ने दावा किया है कि लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) का गठन करने वाले प्रभाकरन जिंदा हैं। सोमवार (13 फरवरी) को उन्होंने कहा, “श्रीलंका में सिंहली लोगों द्वारा राजपक्षे परिवार का उग्र विरोध और अंतरराष्ट्रीय (राजनीतिक) माहौल ने प्रभाकरन के सामने आने के लिए उचित माहौल बनाया है।

वह जल्द ही सामने आएंगे और तमिलों के बेहतर जीवन के लिए नई योजना की घोषणा करेंगे।” बता दें कि जब प्रभाकरन के मारे जाने की घोषणा हुई थी, तब श्रीलंका में महिंदा राजपक्षे की सरकार थी।