उत्तर प्रदेश में आने वाले कुछ महीनों में 10 सीटों के लिए होने जा रहे उपचुनाव में सीटों के साथ ही दलित वोटों पर कब्जे की जंग भी होने जा रही है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में बसपा के गठन के बाद लंबे वक्त तक इस पार्टी को ही दलित समुदाय की पार्टी माना जाता था लेकिन पिछले कुछ सालों में युवा तुर्क चंद्रशेखर आजाद बसपा के कोर वोट बैंक माने वाले दलित समुदाय में तेजी से लोकप्रिय हुए हैं।
बसपा और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने ऐलान किया है कि वे सभी 10 सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ेंगे। इस तरह सपा, कांग्रेस, बीजेपी के अलावा यह दोनों राजनीतिक दल भी इस चुनाव में जोर-आजमाइश करते दिखाई देंगे।
इन 10 सीटों पर होना है उपचुनाव
विधानसभा सीट का नाम | संबंधित लोकसभा |
कटेहरी | अंबेडकर नगर |
मझवां | मिर्जापुर |
मिल्कीपुर | फैजाबाद |
मीरापुर | मुजफ्फरनगर |
सीसामऊ | कानपुर नगर |
करहल | मैनपुरी |
फूलपुर | प्रयागराज |
खैर | अलीगढ़ |
कुंदरकी | मुरादाबाद |
गाजियाबाद | गाजियाबाद |
सपा-कांग्रेस मिलकर लड़ेंगे चुनाव
सपा और कांग्रेस के बीच इन 10 सीटों पर गठबंधन को लेकर बातचीत हो रही है। खबरों के मुताबिक, कांग्रेस ने 10 में से कम से कम चार सीटों पर अपनी दावेदारी की है जबकि इसके बदले में सपा उससे हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कुछ सीटें चाहती है। बीजेपी भी अपने सहयोगी दलों- निषाद पार्टी, अपना दल (सोनेलाल), ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा और जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल के साथ मिलकर इन 10 सीटों पर उपचुनाव लड़ेगी।
2024 में यूपी में हुआ बीजेपी को बड़ा नुकसान
राजनीतिक दल | 2024 में मिली सीटें | 2019 में मिली सीटें |
बीजेपी | 33 | 62 |
सपा | 37 | 5 |
कांग्रेस | 6 | 1 |
बीएसपी | 0 | 10 |
रालोद | 2 | – |
अपना दल (एस) | 1 | 2 |
आजाद समाज पार्टी(कांशीराम) | 1 | – |
गिरता गया बसपा का ग्राफ, धीमी पड़ी हाथी की चाल
बसपा का गठन 1984 में कांशीराम ने किया था। कांशीराम और मायावती ने बसपा के काफिले को आगे बढ़ाया और उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तर भारत की दलित राजनीति में भी यह बहुत बड़ा मौका था, जब 1995 में एक दलित महिला भारत के सबसे बड़े सूबे की मुख्यमंत्री बनीं।
इसके बाद वह 1997 में भी एक छोटे कार्यकाल के लिए और 2002 से 2003 तक राज्य की मुख्यमंत्री बनीं। 2007 में पहली बार बसपा ने अकेले दम पर उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई।

उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बसपा का ग्राफ लगातार गिरता गया है। पार्टी को इन चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा को सपा और रालोद के साथ गठबंधन में रहते हुए 10 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन मायावती के इस गठबंधन से बाहर निकलने के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में उनका आंकड़ा शून्य हो गया। 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा को सिर्फ एक सीट मिली।
लोकसभा चुनाव में बसपा का वोट शेयर और सीटें
साल | बसपा को मिली सीट | बसपा को मिले वोट (प्रतिशत में) |
1989 | 3 | 2.1 |
1991 | 3 | 1.8 |
1996 | 11 | 4.0 |
1998 | 5 | 4.7 |
1999 | 14 | 4.2 |
2004 | 19 | 5.3 |
2009 | 21 | 6.2 |
2014 | 0 | 4.2 |
2019 | 10 | 3.7 |
2024 | 0 | 2.04 |
बीएसपी ने बढ़ाई सक्रियता, मायावती ने दिए निर्देश
लोकसभा चुनाव में बेहद निराशाजनक प्रदर्शन के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक कर उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए जुटने को कहा है। मायावती ने चुनावी तैयारियों में लीड लेते हुए 5 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान भी कर दिया है। मायावती को हाल ही में एक बार फिर पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है।
लोकसभा चुनाव की निराशा से उबरते हुए मायावती ने हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के साथ गठबंधन किया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एससी और एसटी समुदायों के सब क्लासिफिकेशन पर आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बसपा ने खुलकर भारत बंद को समर्थन दिया और पार्टी के कार्यकर्ता सड़कों पर भी उतरे।
यूपी चुनाव में बसपा का वोट शेयर
साल | वोट शेयर (प्रतिशत में) |
2007 विधानसभा चुनाव | 30.43 |
2012 विधानसभा चुनाव | 25.91 |
2014 लोकसभा चुनाव | 19.60 |
2017 विधानसभा चुनाव | 22.23 |
2019 लोकसभा चुनाव | 19.43 |
2022 विधानसभा चुनाव | 12.8 |
2024 लोकसभा चुनाव | 9.39 |
चंद्रशेखर के सांसद बनने के बाद समर्थकों में जोश
दूसरी ओर, चंद्रशेखर आजाद ने बहुजन राजनीति के रास्ते पर चलते हुए लगातार अपने सियासी जनाधार को बढ़ाने की कोशिश की। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) को पहली कामयाबी इस बार लोकसभा चुनाव में तब मिली जब चंद्रशेखर आजाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नगीना (सुरक्षित) सीट से डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से जीत कर लोकसभा में पहुंचे। इस जीत के बाद से ही आजाद की पार्टी के कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद हैं।
आसपा (कांशीराम) ने भी उपचुनाव वाली 10 में से चार सीटों पर प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है। पार्टी लगातार उपचुनाव वाली सीटों पर अपने कैडर को सक्रिय कर रही है और आने वाले कुछ दिनों में बाकी सीटों पर भी अपने प्रभारियों का ऐलान कर देगी।

चंद्रशेखर ने किया जेजेपी से गठबंधन
बसपा से पीछे न रहते हुए चंद्रशेखर आजाद ने हरियाणा में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ गठबंधन किया है। गठबंधन में पार्टी को 20 सीटें मिली हैं। सूत्रों का कहना है कि आसपा (कांशीराम) जम्मू और कश्मीर, झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव में भी अपने उम्मीदवार उतारेगी। झारखंड के विधानसभा चुनाव में उतरने के लिए भी पार्टी गठबंधन सहयोगियों और सीटों को लेकर अपनी तैयारी कर रही है जबकि महाराष्ट्र में वह असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के साथ गठबंधन को लेकर बातचीत कर रही है।
इससे पहले पार्टी ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी विधानसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन वहां उसे बड़ी सफलता नहीं मिली थी।

21% दलित मतदाता हैं यूपी में
उत्तर प्रदेश में दलित मतदाताओं की संख्या 21% के आसपास है जिसमें लगभग 12% जाटव हैं। चंद्रशेखर और मायावती दोनों ही इसी समुदाय से आते हैं इसलिए उत्तर प्रदेश के इस उपचुनाव में दलित वोटों पर कब्जे को लेकर बड़ी लड़ाई इन दोनों नेताओं के बीच देखने को मिलेगी।
बसपा हालांकि दलित मतों के अलावा सर्वसमाज की राजनीति भी करती है। पार्टी ने 2007 में सोशल इंजीनियरिंग के दम पर उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाई थी। जबकि चंद्रेशखर मूल रूप से दलित-आदिवासी-पिछड़ा-अल्पसंख्यक जिसे बहुजन समीकरण कहा जाता है, उसे प्राथमिकता देते हैं।
नतीजों का होगा ‘बड़ा’ असर
अगर उपचुनाव में चंद्रशेखर आजाद की पार्टी बसपा से ज्यादा वोट हासिल करने में कामयाब रही तो निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश की दलित सियासत में चंद्रशेखर का कद और बढ़ेगा और 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए भी दलित मतों में हिस्सेदारी के लिए चंद्रशेखर का दावा और मजबूत होगा। जबकि अगर बसपा का प्रदर्शन आसपा (कांशीराम) से भी खराब रहा तो उसका राजनीतिक भविष्य और धुंधला हो जाएगा।