सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवृति के हैं। सवाल उठता है कि देश के सर्वोच्च न्यायालय के सबसे ऊंचे पद पर बैठे जस्टिस चंद्रचूड़ के काम बीच उनकी धार्मिक मान्यताएं नहीं आतीं? बतौर जज उन्हें धर्म से जुड़े कई विवादित मामलों में फैसला सुनाना होता है। पूर्व में वह इस तरह के मामलों में जज रहे भी हैं। डीवाई चंद्रचूड़ अपनी धार्मिक आस्था और काम के बीच कैसे संतुलन बनाते हैं?

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने द वीक की अंजुली मथाई को दिए एक साक्षात्कार में इस विषय पर बात की है। मथाई का सवाल था कि क्या जस्टिस चंद्रचूड़ किसी विशेष ईश्वर में आस्था रखते हैं?

जवाब में चंद्रचूड़ ने कहा, “निःसंदेह, मेरे अपने पारिवारिक देवता हैं। मेरे पास अपना पारिवारिक पूजा कक्ष भी है, जिसमें महाराष्ट्र की विशिष्टता देखने को मिलती है। जब मैं प्रार्थना करता हूं, तो मुझे एक शाश्वत सर्वोच्च सत्ता की अनुभूति होती है जो ब्रह्मांड की व्यवस्था और इंसान की नियति को नियंत्रित करता है।”

बता दें कि चंद्रचूड़ बिना प्रार्थना किए कभी घर से नहीं निकलते। वह प्रार्थना करने में काफी समय भी लगाते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से उन्हें न केवल आंतरिक शक्ति और शांति मिलती है। बल्कि उन्हें इसका लाभ प्रोफेशनल लाइफ (कामकाजी जीवन) में भी मिलता है। जजों और वकीलों को अदालतों की भीड़ में काम करना पड़ता है। ऐसे में डीवाई चंद्रचूड़ सुबह-सुबह प्रार्थना के दौरान एकांत में जो समय बिताते हैं, वह उन्हें पूरे दिन शांति का एहसास देता है।

हालांकि डीवाई चंद्रचूड़ यह स्पष्ट करते हैं कि वह अपनी धार्मिक मान्यताओं को किसी पर थोपने के पक्ष में नहीं हैं। वह कहते हैं, “लेकिन मैं अपनी धार्मिक मान्यताएं किसी पर नहीं थोपता। वे मेरे लिए अत्यंत व्यक्तिगत हैं। मेरे माता-पिता ने अपने धार्मिक विश्वास मुझ पर नहीं थोपे, और मैं भी अपने विश्वास किसी पर नहीं थोपता।”

जहां तक काम के बीच में धर्म के आने का सवाल है तो जस्टिस चंद्रचूड़ बताते हैं, “मैं संविधान और उसके मूल्यों के प्रति समर्पित होकर अपना काम करता हूं। जब मैं एक न्यायाधीश के रूप में काम करता हूं, तो मैं संविधान के मूल्यों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हूं। मैं आध्यात्मिकता के बारे में अपने विचार अपने आसपास के परिवार में किसी पर नहीं थोपता। उदाहरण के लिए मेरी पत्नी, पहाड़ों, नदियों, पेड़ों और पक्षियों की सुंदरता में सर्वोच्च सत्ता का प्रतिबिंब पाती है। वह उस तरह की इंसान हैं।”

पिता से मिली ध्यान करने की प्रेरणा

जस्टिस चंद्रचूड़ धार्मिक के साथ-साथ बहुत आध्यात्मिक भी हैं। उन्हें आध्यात्मिकता अपने पिता से विरासत में मिली है। दरअसल उनके पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ को नींद न आने की बीमारी थी। वह कई-कई दिनों तक सो नहीं पाते थे। ऐसे में वह मेडिटेशन की मदद से ही वह शांति पाते थे। डीवाई चंद्रचूड़ तो यहां तक कहते हैं कि उनके पिता केवल मेडिटेशन की वजह से ही जीवित रहते थे। डीवाई चंद्रचूड़ के आध्यात्मिक जीवन के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए फोटो पर क्लिक करें:

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वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के पिता वाईवी चंद्रचूड़ भी सीजेआई थे। (PC- PTI)