सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली अर्जियों पर 18 अप्रैल से लगातार सुनवाई कर रही है। 27 अप्रैल को छठवें दिन केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं का मूलभूत सवाल क्या है? यही कि सेक्सुअल ओरियंटेशन का चुनाव।
इस पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने जवाब दिया कि ऐसा नहीं है वो (याचिकाकर्ता) कह रहे हैं कि उन्हें सेक्सुअल ओरियंटेशन का अधिकार मिला हुआ है। यह पसंद का मामला नहीं है बल्कि एक सहज विशेषता है। इस पर एसजी मेहता ने दलील दी कि दो अलग-अलग विचार हैं। एक पक्ष कहता है कि इसे (सेक्सुअल ओरिएंटेशन) को अलग से हासिल नहीं किया जा सकता है और दूसरा कहता है कि यह सहज चरित्र है।
कोई अपनी बहन के प्रति आकर्षित हो जाए तो?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने आगे अपनी दलील में कहा, ‘कल्पना करिए कि 5 साल बाद एक ऐसी स्थिति हो… मैं किसी ऐसे रिश्ते में किसी के प्रति आकर्षित हो जाऊं जो समाज में स्वीकार नहीं है तो…? दुनिया भर में अनाचार कोई असामान्य बात नहीं है लेकिन यह समाज में स्वीकार नहीं है। मान लीजिए, मैं अपनी बहन की तरफ आकर्षित हो जाऊं और अपनी स्वतंत्रता का दावा कर कहूं कि यह मेरा निजी अधिकार है। अपने घर के भीतर कुछ भी करूं..। तो क्या इसे यह कहकर चुनौती नहीं दी जा सकती है कि इसे कैसे प्रतिबंधित किया जाए?
सीजेआई चंद्रचूड़ बोले- यह दूर की कौड़ी
एसजी तुषार मेहता की इस दलील पर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘लेकिन यह बहुत दूर की कौड़ी है। शादी के प्रत्येक पहलू में सेक्सुअल ओरियंटेशन और स्वायत्तता की बात नहीं की जा सकती है। आप ऐसी दलील नहीं दे सकते हैं कि आपका सेक्सुअल ओरियंटेशन इतना आवश्यक है कि आपको अनाचार की अनुमति दे दी जाए। कुछ नियम यूनिवर्शल होते हैं’।
तब तो बहुविवाह की मांग भी उठेगी…
इस पर सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि तब तो कोई बहु-विवाह (एक से अधिक विवाह) की भी मांग करने लगेगा। इस पर जस्टिस एस. रविंद्र भट्ट ने कहा कि यदि आप कह रहे हैं कि इसमें देश का हित है, तो अलग बात है। इस नजरिए से कोई भी क्षेत्र पूरी तरह स्वायत्त नहीं है, और जो देश के हित में है वही वैध है।
एसजी मेहता ने कहा कि देश को सामाजिक व्यक्तिगत रिश्तों को रेगुलेट करने से कोई मतलब नहीं है, लेकिन ऐसे रिश्तों को जरूर रेगुलेट कर सकता है, जो देश हित में हैं।