भारतीय रेलवे ने शुक्रवार (2 जून) की शाम ओडिशा में हुए रेल हादसे के ‘मूल कारण’ की पहचान कर ली है। हादसे में मरने वालों की संख्या अब 275 हो चुकी है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि “किसी ने पॉइंट मशीन में बदलाव किया, जिससे टक्कर हुई।” हालांकि मंत्री के बयान से यह स्पष्ट नहीं हुआ कि दुर्घटना मानवीय त्रुटि के कारण हुई या किसी के जानबूझकर तोड़फोड़ करने से।
इससे पहले, रेलवे ने बहुत कम जानकारी के साथ बहनागा बाजार स्टेशन के पास हुई त्रासदी पर एक आधिकारिक बयान जारी किया था। पूरी तस्वीर घटना की आधिकारिक जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी। फिलहाल विस्तृत आधिकारिक बयान की प्रतीक्षा की जा रही है। रेलवे के सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी और वैष्णव द्वारा दिए गए बयानों के आधार पर अब तक के हादसे के बारे में हमें यही पता है।
सबसे पहले रेल मंत्री ने क्या कहा?
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार (4 जून) को कहा, “दुर्घटना के मूल कारण की पहचान कर ली गई है। साथ ही जिन लोगों ने इसे किया है, उनकी भी पहचान कर ली गई है।” उन्होंने कहा कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी। उन्होंने डीडी न्यूज़ से कहा, “किस कारण से यह हादसा हुआ, उसकी भी जानकारी जल्दी ही सामने आ जाएगी।”
क्या इसका मतलब यह है कि तोड़फोड़ हुई थी?
यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। मंत्री से पूछा गया कि क्या असामाजिक तत्व शामिल थे, लेकिन उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “उस पर अभी कुछ कहना संभव होगा, सीआरएस (CRS) जांच रिपोर्ट आने से ऐसा कुछ भी कहना उचित नहीं होगा।”
दुर्घटना कब और कहां हुई?
रेल दुर्घटना, ओडिशा के बालासोर जिले में बहनागा बाजार स्टेशन से थोड़ा पहले हुई। यह दक्षिण पूर्व रेलवे के खड़गपुर रेलवे डिवीजन का हिस्सा है। तीन ट्रेनों में टक्कर हुई, जिसमें से दो यात्री ट्रेनें विपरीत दिशाओं में जा रही थीं और एक मालगाड़ी स्थिर खड़ी थी।
पहली ट्रेन, 12841 कोरोमंडल एक्सप्रेस। यह हावड़ा (कोलकाता) के शालीमार स्टेशन से चलकर चेन्नई जा रही थी। इसने खड़गपुर और बालासोर को पार किया था, और अगला पड़ाव भद्रक होता। ट्रेन लगभग ठीक समय पर चल रही थी, और शाम 7.01 बजे बहनागा बाज़ार (बिना रुके) से गुज़रती।
बहनागा बाजार में कैसे बिछी हैं पटरियां?
अप मेन लाइन (चेन्नई की ओर), डाउन मेन लाइन (हावड़ा की ओर) और दोनों तरफ दो लूप लाइनें हैं। लूप का उद्देश्य एक ट्रेन को किनारे पर पार्क करना है ताकि तेज या अधिक महत्वपूर्ण ट्रेन के लिए मुख्य लाइन खाली रखा जा सके। लूप लाइन पर मालगाड़ी खड़ी थी। उसे अप मेन लाइन पर जाना था।
फिर गड़बड़ी कहां हुई?
रेलवे द्वारा शनिवार (3 जून) को दुर्घटना के बारे में जारी संक्षिप्त विवरण के अनुसार, “ट्रेन संख्या 12841… अप मेन लाइन से गुजर रही थी… तभी ट्रेन अप लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई… ट्रेन पूरी गति से जा रही थी क्योंकि उसे स्टेशन पर रुकना नहीं था…”
यह स्पष्ट है कि कोरोमंडल, मुख्य लाइन पर मालगाड़ी से आगे जाने के बजाय, लूप में घुस गई और मालगाड़ी से टकरा गई। मौके से मिली तस्वीरों में मालगाड़ी के ऊपर कोरोमंडल का लोकोमोटिव खड़ा दिखाई दे रहा है।
लेकिन ऐसा कैसे हो गया?
लोकोमोटिव ड्राइवरों को सिग्नल के जरिए डायरेक्शन दिया जाता है। रेलवे शनिवार से सिग्नल में गड़बड़ी की आशंका जता रहा है। पर्यवेक्षकों के निरीक्षण में यह सामने आया है कि कोरोमंडल को पहले मुख्य लाइन से गुजरने के लिए हरी झंडी दी गई थी लेकिन फिर सिग्नल बंद कर दिया गया। ट्रेन लूप लाइन में घुस गई और मालगाड़ी से टकरा गई।
शनिवार को संयुक्त निरीक्षण दल द्वारा तैयार एक नोट में बताया गया है कि “हम … सावधानीपूर्वक जांच के बाद, इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि 12841 को अप मेन लाइन के लिए सिग्नल दिया गया था, और बाद में हटा दिया गया। इसके बाद ट्रेन अप लूप लाइन में प्रवेश कर गई और वहां खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई और पटरी से उतर गई।”
क्या चालक दुर्घटना को रोकने के लिए कुछ कर सकता था?
रेलगाड़ियां लोहे से बनी होती हैं। उनका वजन बहुत अधिक होता है। रेल के डिब्बों को अत्यधिक शक्तिशाली इंजनों द्वारा खींचा जाता है। रेलवे ने बताया है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस अपनी पूरी गति से जा रही थी। अनुमान है कि उसकी गति करीब 100 किमी/घंटे रही होगी। उस रफ्तार से इमरजेंसी ब्रेक लगाने के बाद भी कोई ट्रेन शायद दो किलोमीटर से पहले नहीं रुकती।
तो तीसरी ट्रेन कहां से आई?
जब कोरोमंडल एक्सप्रेस ने मालगाड़ी को टक्कर मारी, उसी वक्त तीसरी ट्रेन 12864 यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस, बगल की डाउन मेन लाइन पर हावड़ा (विपरीत दिशा में) जा रही थी। इस ट्रेन का अधिकांश हिस्सा दुर्घटना स्थल को पार कर चुका था लेकिन आखिरी के कुछ कोच चपेट में आ गए। यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस के पीछे के कुछ डिब्बे पटरी से उतर गए। संभव है कि ऐसा कोरोमंडल के डिब्बों से टकराने की वजह से हुआ।