पिछले साल दिसंबर में आयी वर्ल्ड एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत डोपिंग के मामले में तीसरे नंबर पर है। यानी भारत एक ऐसा देश हैं जहां के खिलाड़ी बड़ी संख्या में डोपिंग अर्थात प्रतिबंध ड्रग्स का सेवन कर रहे हैं। साल 2019 में एंटी डोपिंड रूल के उल्लंघन के 152 सामने आये थे। यह आंकड़ा बताता है कि दुनिया भर में डोपिंग के जितने मामले सामने आए उसका 17 प्रतिशत भारत के हिस्से आया। इस मामले में भारत से ऊपर सिर्फ दो देश हैं- रूस और इटली।

बर्मिंघम में हो रहे कॉमनवेल्थ गेम्स-2022 से भी तीन भारतीय एथलीट्स और दो पैरा एथलीट्स को डोपिंग के मामले में बाहर किया जा चुका है। जाहिर है इससे देश की छवि खराब हो रही है और मेडल की संभावना दोनों कम हो रही है। सरकार इन समस्याओं और कुछ अन्य पहलुओं को ध्यान में रखते हुए नेशनल एंटी-डोपिंग बिल लेकर आयी है। लोकसभा के बाद यह बिल बुधवार को राज्यसभा में भी पास हो गया है। जल्द यह बिल कानून का रूप ले सकता है।

क्या है बिल में?

सदन में National Anti-Doping Bill 2022 पर चर्चा करते हुए खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, ”इस कानून के बनने से दुनिया भर के देशों में और WADA में ये संदेश स्पष्ट जाएगा कि खेल, खिलाड़ियों और डोपिंग को लेकर भारत बहुत गंभीर है”

इस कानून की मदद से सरकार नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (NADA), नेशनल डोपिंग टेस्टिंग लैब (NDTL) और अन्य डोपिंग टेस्ट करने वाली लैबोरेट्रीज़ को चलाने के लिए एक कंस्टीट्यूशनल बॉडी तैयार करना चाहती है। अब तक खिलाड़ियों के डोप टेस्ट के लिए सैंपल्स दूसरे देश भेजे जाते है। इससे सैंपल्स के साथ छेड़छाड़ होने का खतरा रहता है।

इसके अलावा डोपिंग टेस्ट में फेल होने वाले खिलाड़ियों के पास खुद को सही साबित करने का कोई मौका भी नहीं होता था। यहां भारतीय पहलवान नरसिंह यादव का उदाहरण देना माकूल होगा। यादव भारत में डोप टेस्ट पास करके गए थे लेकिन विदेश में फेल हो गए थे। उन्होंने साजिश का आरोप लगाया था। कानून बनने के बाद एक उचित प्लेटफार्म होगा, जहां निर्देष खिलाड़ियों को खुद को साबित करने का मौका दिया जाएगा।

नेशनल एंटी-डोपिंग कानून के तहत सरकार के पास एथलीट्स का पर्सनल डेटा जुटाने का कानूनी अधिकार होगा। सरकार ने कहा कि इससे रोजगार के अवसर और अकादमिक शोध भी पैदा होंगे।