मुगल दरबार (Mughal Empire) में किन्नरों को विशेष स्थान प्राप्त था। उनके पास विलास की तमाम सुविधाएं होती थीं। वह एक से बढ़कर एक परिधान पहनते थे। उनके पास कई नौकर-चाकर और एक से बढ़कर एक घोड़े भी हुआ करते थे।
कई मुगल बादशाहों ने किन्नरों को सुरक्षा और वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी सौंप रखी थी। बादशाह के अलावा किन्नर ही हरम में अंदर बिना किसी रोक-टोक जा सकते थे। कई बादशाहों ने तो हरम की जिम्मेदारी भी किन्नरों हो सौंप रखी थी।
अकबर के शासनकाल में ऐसे ही एक किन्नर हुए इतिमाद खान। वह अकबर के सबसे करीबी और ताकतवर अफसर थे। बादशाह ने उन्हें सिक्योरिटी और फाइनेंस की जिम्मेदारी दे रखी थी। अकबर विभिन्न मामलों पर इतिमाद खान से सलाह लिया करते थे।
अकबर के लिए जासूस का काम भी करते थे इतिमाद खान
The Indian Express पर प्रकाशित एक लेख में लेखक अदरिजा रॉयचौधरी ने बताया है कि अकबर के शासनकाल में ही किन्नरों को वह सम्मान और ताकत हासिल हुआ था, जिसका आज भी जिक्र होता है। अकबर ही वह शासक थें, जिन्होंने हरम की पूरी जिम्मेदारी किन्नरों की सौंप दी थी। उस दौरान की घटना बहुत मशहूर है, जब किन्नर नियामत ने अकबर के सौतेले भाई अधम खान को हरम में जाने से रोक दिया था।
जहां तक इतिमाद खान की बात है, तो इतिहासकार शादाब बानों अपने एक लेख (Eunuchs in Mughal households and court) में लिखती हैं कि इतिमाद खान अकबर के इतने करीबी थे कि वह उनके लिए जासूसी का काम भी किया करते थे। शासन में काम में उनके दखल को देखकर, दूसरे लोग भी अपने बच्चों को किन्नर बनाकर दरबार की नौकरी में भेजने लगे थे।
अकबर ने हरम को किया था संस्थागत
मुगल साम्राज्य में हरम तो अकबर से पहले के भी बादशाहों के पास था, लेकिन हरम को संस्थागत दर्जा अकबर (Akbar) के शासनकाल में मिला था। उन्होंने हरम के लिए कई स्तर की सुरक्षा तय की थी। हरम के ठीक बाहर किन्नरों की तैनाती होती थी। बादशाह के अलावा किन्नर ही हरम के भीतर जा सकते थे। बाहर दूसरे स्तर की सुरक्षा में राजपूत, तुर्की और कश्मीरी सिपाही होते थे।