मुगल बादशाह औरंगज़ेब की सबसे छोटी बहन रोशन आरा अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध थीं। जब शाहजहां के दोनों बेटों (औरंगज़ेब और दारा शिकोह) में सिंहासन के लिए लड़ाई हुई तो रोशन आरा ने औरंगज़ेब का साथ दिया। वहीं उनकी बड़ी बहन ने दारा शिकोह का साथ दिया।
लेकिन युद्ध में जीतने के बाद जब औरंगज़ेब बादशाह बने तो उन्होंने रोशन आरा की जगह जहां आरा को तरजीह दी और उन्हें पादशाह बेगम की उपाधि दी। जहां आरा के कंधों हरम की पूरी ज़िम्मेदारी थी।
उपाधि मिलने के बाद जहांआरा को लाल किले के बाहर एक हवेली भी दी गई थी। वहीं दूसरी तरफ रोशनारा बेगम को किले के अंदर बने हरम से निकलने की भी अनुमति नहीं थी।
मशहूर इतिहासकार इरा मुखौटी ने बीबीसी से बातचीत में कहा था कि ऐसा लगता है कि “औरंगज़ेब को रोशनारा बेगम पर पूरा विश्वास नहीं था। हो सकता है कि रोशनारा बेगम के कुछ प्रेमी रहे हों और उसकी भनक औरंगज़ेब को लग गई हो।”
इतिहासकार अनिशा शेखर मुखर्जी की किताब ‘The Red Fort of Shahjahanabad: An Architectural History’ से पता चलता है कि औरंगज़ेब का ‘शक’ सही था। रोशन आरा का एक प्रेमी तमाम सुरक्षा इंतजामों को चकमा देकर उनसे मिलने के लिए रात के वक्त लाल किले में दाखिल हो गया था।
क्या है पूरा किस्सा?
औरंगज़ेब के शासनकाल में लाल किले के कुछ हिस्सों में बाहरी लोगों के प्रवेश पर सख्त मनाही थी। ऐसा दो कारणों से था, पहला सम्राट की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और दूसरा हरम में मौजूद शाही महिलाओं का किसी से कोई संबंध न बन पाए, इसके लिए।
हरम के आस-पास कड़ा पहरा होता था। बावजूद एक साहसी युवक अंदर के लोगों की सहायता से ही लाल किले के अंदरूनी हिस्से में गुपचुप तरीके से घुस गया था। उसका मकसद सम्राट औरंगजेब की छोटी बहन रोशनारा बेगम से मिलना था। मुलाकात हो भी गई। शहजादी ने युवक को कुछ दिनों तक अपने पास रखा फिर उसे महल से बाहर निकलने का इंतजाम किया।
युवक को सुरक्षित बाहर निकालने का काम रोशन आरा ने अपनी निजी सेविकाओं को सौंपा। सेविकाओं ने ऐसा करने का वादा भी किया। वे युवक को रात के अंधेरे में हरम से बाहर ले गईं। लेकिन अंदरूनी महल से बाहर ले जाने से पहले ही पकड़े जाने के डर से शहजादी की सेविकाएं भाग गईं।
इस धोखे के बाद युवक फंस गया। वह डरते-डरते निकलने का रास्ता खोजने लगा। उसकी कोशिश पूरी रात जारी रही। लेकिन सफलता नहीं मिली। सुबह में वह गार्डन की भूलभुलैया में भटका हुआ मिला। हरम के इलाके में एक अंजान आदमी की मौजूदगी एक गंभीर मामला था, उसे तुरंत औरंगजेब के सामने पेश किया गया।
युवक ने बनाया बहाना और चली गई जान
युवक जानता था कि शाही हरम के आस-पास पकड़े जाने का क्या अंजाम होता है, इसलिए उसने बार-बार पूछे जाने पर भी यही बताया कि वह केवल नदी के किनारे बने किले की ऊंची दीवारों पर चढ़कर शाही क्वार्टर (राजा के रहने की जगह) में गया था।
औरंगजेब को उसपर विश्वास न हुआ। मुगल सम्राट ने उसे उसी रास्ते से उतरने का आदेश दिया। महल के गार्ड उस युवक को लाल किले की साठ फीट ऊंची दीवार पर ले गए और नदी के किनारे फेंक दिया।
इसके बाद रोशनआरा के उस प्रेमी के साथ क्या हुआ, इसका वर्णन नहीं मिलता। हालांकि यह संभावना नहीं है कि वह किले की दीवारों से ऐसे फेंके जाने के बाद जीवित बच गया हो।