इश्क और इंकलाब के शायर साहिर लुधियानवी न सिर्फ अधिकारों की बात करते थे, बल्कि अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश भी करते थे।

साल 1946 में लाहौर में रहने के दौरान साहिर ने साहित्यिक क्षेत्र में बहुत नाम कर लिया था। साहिर “साकी” नाम से एक उर्दू पत्रिका प्रकाशित करते थे। लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ख़राब थी। इस कारण पत्रिका घाटे में चल रही थी। फिर भी, साहिर यह सुनिश्चित करते थे कि पत्रिका में प्रकाशित होने वाले सभी रचनाओं के रचनाकारों को को उनका उचित मेहनताना समय से मिल जाए।

आउटलुक हिंदी ने मनीष पाण्डेय ने साहिर से जुड़ा एक किस्सा लिखा है, जिसके मुताबिक साहिर ने एक रचनाकार को पैसों के बदले अपना कोट दे दिया था।

यह बात उन दिनों की है, जब साहिर पत्रिका के लिए लिखने वाले गजलकार शमा लाहौरी को समय पर मेहनताना नहीं भेज सके थे। शमा लाहौरी को पैसों की सख्त जरूरत थी। वह ठंड की एक शाम कांपते हुए साहिर के दरवाजे पर पहुंच गए। साहिर ने उन्हें अंदर बुलाया और चाय पिलाई।

तब लाहौरी को ठंड लगनी थोड़ी कम हुई तो उन्होंने पैसों की बात की। साहिर के पास तो पैसे थे। वह कुछ देर चुप बैठे रहे। फिर उठे और खूंटी पर टंगा अपना गर्म कोट उठा लाए। यह कोट उनके एक फैन उन्हें कुछ दिन पहले ही दी थी।

मनीष पाण्डेय के लेख मुताबिक, साहिर ने लाहौरी को कोट देते हुए कहा, ठमेरे भाई बुरा न मानना, इस बार नक़द देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है, यही है जो मैं आपको दे सकता हूं।” साहिर की बात सुनकर लाहौरी भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू छलक गए।  

कैफी आज़मी की साहिर से पहली मुलाकात

साहिर के दोस्त और कवि कैफी आजमी ने उन्हें याद करते हुए कहा था, “साहिर से मेरी पहली मुलाकात हैदराबाद स्टेशन पर हुई थी। बातचीत के बाद मुझे एहसास हुआ कि साहिर की जिंदगी ज्यादा अलग नहीं थी। साहिर अभी किशोरावस्था में ही थे जब उनके माता-पिता का रिश्ता टूट गया। साहिर की शिक्षा का ख्याल उनकी मां और मामू ने उठाया था। ऐसा लगता है मानो साहिर ने शायरी के हर पहलू को आत्मसात कर लिया हो। बम्बई में साहिर ने अपने लिए नहीं बल्कि अपने दोस्तों के लिए पैसा कमाया। साहिर ने कभी शादी नहीं की। विवाह के लिए संतुलन की आवश्यकता होती है। उनके जीवन में तीन-चार ऐसी मौके आए जब शादी की बात चल रही थी लेकिन वे हर बार बच निकले।”

साहिर का बचपन

साहिर लुधियानवी का जन्म 8 मार्च, 1921 को एक जागीरदार परिवार में हुआ था। वह चौधरी फ़जल मुहम्मद की ग्यारहवीं पत्नी बीवी सरदार बेगम की की पहली संतान थे। हालांकि, चौधरी फजल मुहम्मद ने बीवी सरदार बेगम को सार्वजनिक रूप से अपनी पत्नी स्वीकार नहीं किया था।

साहिर के जन्म के बाद उनकी मां चाहती थीं कि चौधरी उनके रिश्ते को औपचारिक रूप दें ताकि भविष्य में विरासत को लेकर कोई विवाद पैदा न हो। लेकिन साहिर के पिता तैयार नहीं हुए। ऐसे में बीवी सरदार बेगम अलग हो गईं। साहिर किसके पास रहेंगे इसे लेकर मुकदमा चला। साहिर का बचपन ननिहाल में गुजरा।

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Sahir Ludhianvi | AISf
बाएं से- साहिर लुधियानवी और अमृता प्रीतम (Express archive photo)