लोकसभा चुनाव 2024 की प्रक्रिया चालू है। जमाना EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का है। ईवीएम का चलन करीब 25 साल पुराना हो चला है। हालांकि, अभी भी कई लोग या दल इसकी निष्पक्षता को लेकर सवाल उठाते रहे हैं और बैलट बॉक्स (मतपेटी) के इस्तेमाल की मांग करते रहे हैं।
बैलट बॉक्स का इस्तेमाल पहले चुनाव (1952) से ही होता रहा था। मतदाता मतपत्र पर पंसद के उम्मीदवार के नाम पर मोहर लगा कर मतपत्र को एक खास तरीके से मोड़ कर मतपेटी में डाल दिया करते थे। लेकिन, कई लोग मतपेटियों को देवी-देवता मान कर पूजा करते थे। इन मतपेटियों को जब वोटों की गिनती के लिए खोला जाता था तो इनसे मतपत्रों के अलावा भी कई चीजें निकलती थीं।
पहला चुनाव और मतपेटियों का हाल
1952 में कई मतपेटियों पर फूल और सिंदूर लगा हुआ पाया गया था। कई लोग उसे पूजा की वस्तु मान बैठे थे। अनेक मत पेटियों में मन्नत लिखी पर्चियां, सिक्के, नोट, हॉलीवुड सितारों की तस्वीरें आदि मिली थीं।
देश के पहले आम चुनाव से जुड़ी कुछ और रोचक बातें जानते हैं। भारत का पहला आम चुनाव देश का सबसे लंबा चुनाव था। यह 25 अक्तूबर, 1951 से 21 फरवरी, 1952 तक चला था। यह चुनाव तब भी दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था। मतदाताओं की संख्या दुनिया की आबादी के छठवें हिस्से के बराबर थी।
पहले चुनाव में कितनी पार्टियां और कितने उम्मीदवार?
1951-1952 के आम चुनाव में 53 पार्टियों के 1874 उम्मीदवार मैदान में थे। तब 14 राष्ट्रीय पार्टियां चुनाव लड़ रही थीं। 1952 में कांग्रेस ने 45 फीसदी वोट पाकर 489 सदस्यीय लोकसभा में 364 सीटें जीती थीं। इसके बाद जवाहर लाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री बने थे।
बैलट बॉक्स की जगह लेने वाली ईवीएम की यात्रा भी काफी मुश्किलों से भरी रही है। ईवीएम का विचार 1977 में आया। 1982 में पहली बार केरल विधानसभा चुनाव में इसका इस्तेमाल किया गया, लेकिन कानूनी दावंपेंच में फंस कर यह अटक गया।
इसके बाद पहली बार इसका इस्तेमाल 1998 में सीमित तौर पर हो सका। उसके बाद इसका प्रयोग लगातार बढ़ता गया। 2004 के लोकसभा चुनाव में सभी 543 सीटों पर करीब दस लाख ईवीएम लगवा कर पूरी तरह ईवीएम से वोटिंग कराई गई।
लोकसभा चुनाव से जुड़ा एक और दिलचस्प किस्सा
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