यह आपातकाल के बाद का पहला चुनाव (1977) था। तमाम नेता जेल में बंद रहे थे। द‍िवंगत प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भी उनमें से एक थे। जब वह जेल से छूटे तो एक राजनीत‍िक पार्टी बनाने की चर्चा जोरों पर थी। कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी छोड़ने के ल‍िए तैयार थे। जयप्रकाश (जेपी) ने कांग्रेस (संगठन), समाजवादी, जनसंघ और कुछ अन्‍य लोगों को लेकर पार्टी बनाने की बात की थी। लेक‍िन, चंद्रशेखर इसे लेकर उस समय कोई रुच‍ि नहीं ले रहे थे। कोई म‍िला और बात चली तो वह अपनी राय जरूर रख देते थे।

जब एक साथ कई बड़े नेताओं ने कांग्रेस छोड़ने का बनाया मन

एक द‍िन चौधरी चरण सिंंह ने चंद्रशेखर से बात की थी। तब भी वह बहुत उत्‍साह‍ित नहीं थे। लेक‍िन, एक द‍िन अचानक हेमवती नंदन बहुगुणा म‍िले। उन्‍होंने भी कांग्रेस छोड़ कर नई पार्टी बनाने की बात की। चंद्रशेखर ने कहा क‍ि व‍िचार अच्‍छा है, पर अन्‍य नेताओं से म‍िलना सही रहेगा। दोनों साथ ही गए। चौधरी चरण सिंंह से भी मुलाकात हुई। चरण सिंह पार्टी बनाने की बात से बड़े उत्‍साह‍ित हुए।

कुछ द‍िनों बाद पता चला क‍ि बाबू जगजीवन राम भी बात करना चाहते हैं। जाड़े की रात में चादर ओढ़े बहुगुणा और चंद्रशेखर चुपके से र‍िक्‍शे में बैठ कर जगजीवन राम के घर पहुंचे। इमरजेंसी हटी नहीं थी। सो, डर बना हुआ था। जगजीवन राम ने चंद्रशेखर को देखते ही उनका हाथ पकड़ कर कहा- मैंने कांग्रेस छोड़ने का फैसला कर ल‍िया है। अब साथ-साथ रहेंगे। इससे हेमवंती नंदन बहुगुणा को भी काफी बल म‍िला।

कांग्रेस में मच गई खलबली

इस मुलाकात के बाद ही जगजीवन राम का बयान भी आ गया। कांग्रेस में खलबली मच गई। उनके साथ कई और लोगों ने कांग्रेस छोड़ी, ज‍िनमें प्रमुख थे प्रो. शेर सिंंह और नंद‍िनी सत्‍पथी। इसी बीच चुनावी चहल-पहल तेज हुई और चुनाव घोष‍ित भी हो गए। नई पार्टी बनाने के ल‍िए वक्‍त ही नहीं म‍िला। एक राजनीत‍िक मंच बना कर चुनाव लड़ा गया।

उम्‍मीदवार तय करने के ल‍िए 18-20 नेताओं की एक कमेटी बनी। इसमें लालकृष्‍ण आडवाणी, चौधरी चरण सिंह, हेमवती नंदन बहुगुणा, सुरेंद्र मोहन आद‍ि थे। चंद्रशेखर इसमें नहीं थे। नेता चुनावी दौरों में व्‍यस्‍त रहने लगे थे। एक द‍िन चरण सिंह दौरे से आए और सीधे जगजीवन राम के घर पहुंच कर उनके कमरे में घुस गए। उनसे कहा क‍ि आपको हम आठ से ज्‍यादा सीटें नहीं दे सकते। इतना कह कर गाड़ी में बैठे और बैरंग लौट गए। जगजीवन राम को कुछ बोलने का मौका ही नहीं द‍िया।

आडवाणी ने चंद्रशेखर को किया कॉल

रात को लालकृष्‍ण आडवाणी ने चंद्रशेखर को फोन क‍िया। कहा क‍ि चौधरी चरण सिंह क‍िसी से बात नहीं कर रहे हैं, आप कोश‍िश कीज‍िए। चरण सिंह व‍िट्ठलभाई पटेल हाउस में क‍िसान नेता भानु प्रताप सिंह के यहां ठहरे थे। चंद्रशेखर वहां गए और उनसे बात की। चंद्रशेखर ने बात शुरू करते हुए कहा- आपने वादा क‍िया था क‍ि सीएफडी (कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी) को 18-20 सीटें देंगे।

चरण सिंह बोले- कहा था, पर क‍िस-क‍िसको सीट दूं? बहुगुणा और राज मंगल जी अपनी-अपनी पत्‍नी को ट‍िकट द‍िलवाना चाहते हैं। फ‍िर कार्यकर्ताओं का क्‍या होगा? डेढ़-दो घंटे की बातचीत के बाद चरण सिंह 12 सीटें देने पर राजी हुए। थोड़ी कोश‍िश करने के बाद एक-दो सीटों पर और मान गए। लेक‍िन, तब तक रात के 12 बज गए थे। चरण सिंह यह कहते हुए चादर तान कर सो गए क‍ि अब मुझसे बात न करें, इससे ज्‍यादा सीटें नहीं दे पाऊंगा।

इस घटना का ब्‍योरा ल‍िखते हुए चंद्रशेखर ने आत्‍मकथा (जीवन जैसा ज‍िया) में ल‍िखा है- उनकी वह बात मैं भुला नहीं सका, जब उन्‍होंने कहा क‍ि चंद्रशेखर, अब सीट की बात मत करना, नहीं तो मैं मर जाऊंगा। मैं बुरी तरह थका हुआ हूं, मुझे सोने दो। मैंने कहा क‍ि चौधरी साहब, लोग क्‍या कहेंगे? आपने वादा क‍िया था। चौधरी साहब बोले: तुम जाकर कह दो क‍ि चौधरी साहब बेईमान हो गए। मैंंने कहा क‍ि कैसे कह दूं, आप हमारी पार्टी के नेता हैं, लोग क्‍या कहेंगे? मैं कहता रहा, लेक‍िन चौधरी साहब ने चादर से बाहर सिर नहीं न‍िकाला।  

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इंदिरा गांधी चार बार देश की प्रधानमंत्री रही थीं। (PC – Express Archive)