आखिरी मुगल बादशाह (Last Mughal Emperor) बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar) की जिंदगी उथल-पुथल भरी रही। अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का दोषी ठहराए जाने के बाद बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar) को रंगून (म्यांमार) भेज दिया गया था और वहीं आखिरी सांस ली। शेरो-शायरी के शौकीन बहादुर शाह जफर ताबीज और गंडों पर खासा भरोसा करते थे। उनके इर्दगिर्द अक्सर तमाम पीर और फकीर नजर आते थे।
मशहूर इतिहासकार विलियम डैलरिंपल (William Dalrymple) अपनी किताब ‘द लास्ट मुगल’ (The Last Mughal) में लिखते हैं कि बहादुर शाह जफर बवासीर की बीमारी से पीड़ित थे और इसके इलाज के लिए ताबीज और गंडों का सहारा लिया था। एक बार जब वह बुरी तरह बीमार हुए तो दर्जनों सूफी पीरों को बुलवा लिया। जफर को लग रहा था कि उन पर किसी ने काला जादू कर दिया है। सूफी पीरों ने जफर को कागज पर लिखकर कुछ ताबीज दिये और कहा कि इसे पानी में घोलकर पी लेंगे तो बुरी नजर से बच जाएंगे।
कालू जादू पर आंख मूंदकर भरोसा करते थे बहादुर शाह जफर
बहादुर शाह जफर का काला जादू पर इस कदर भरोसा था कि कभी भैसों तो कभी ऊंटों की कुर्बानी दिया करते थे। कभी अंडे जमीन में गाड़ देते थे। अगर किसी ने उन्हें बता दिया कि कोई शख्स काला जादू करने वाला है तो उसको गिरफ्तार करवा लेते थे।
विलियम डैलरिंपल लिखते हैं कि बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar) को पेट का रोग था और अक्सर इससे परेशान रहते थे। इस बीमारी से बचने के लिए खास नग की भारी-भरकम अंगूठी पहना करते थे। जफर को जितना पीर और फकीरों पर भरोसा था उससे कहीं ज्यादा हिंदू ज्योतिषियों पर। जफर हमेशा ज्योतिषी को अपने साथ रखा करते थे और तमाम महत्वपूर्ण मामलों में मशविरा करते थे।

दिवाली पर खुद को सोने-चांदी से तौलवाते थे
बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar Biography) तमाम हिंदू त्यौहार धूमधाम से मनाते थे, खासकर होली और दिवाली उनके पसंदीदा था। बकौल डैलरिंपल, दिवाली के दिन बहादुर शाह जफर को 7 तरह के अनाज और सोने-चांदी में तौला जाता था, फिर इसको गरीबों में बांट दिया जाता था। जफर कि हिंदू धर्म के बारे में पूर्ववर्ती मुगल बादशाहों से राय इतर थी।
गौ हत्या पर लगा दी थी रोक, मांग पर भड़क गए थे
बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar) ने गौ हत्या पर रोक लगा दी थी। एक बार करीब 200 मुसलमान लाल किले में घुस आए और बादशाह से दरख्वास्त की कि ईद के मौके पर गाय को जिबह करने की इजाजत दें, जो हिंदुओं के लिए पवित्र थी। तब बहादुर शाह जफर बेहद नाराज हो गए थे और कहा था कि मुसलमानों का धर्म गाय की कुर्बानी पर निर्भर नहीं है।