Pro Kabaddi League 2022 का 9वां सीजन 7 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। इस साल का PKL बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद खेला जाएगा। PKL की वजह से कबड्डी की लोकप्रियता में वैश्विक स्तर पर भारी उछाल आया है। इस खेल के उदय को लेकर भारत और ईरान में विवाद है। दोनों ही देशों का दावा है कि कबड्डी उनके यहां का प्राचीन खेल है।

4000 वर्ष पुराना खेल है कबड्डी

कबड्डी की शुरुआत भारत से हुई हो या ईरान से लेकिन इतना तय है कि यह दुनिया के सबसे पुराने खेलों में से एक है। ओलंपिक की वेबसाइट पर कबड्डी को करीब 4000 वर्ष पुराना खेल (History About Kabaddi Game in Hindi) बताया गया है।

एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (AKFI) ने कबड्डी का इतिहास बताते हुए अपनी वेबसाइट पर लिखा है, ”आधुनिक कबड्डी 1930 से पूरे भारत और दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में खेला जा रहा है। भारत के स्वदेशी खेल के रूप में कबड्डी के नियमों का पहला ज्ञात ढांचा वर्ष 1921 में महाराष्ट्र में आयोजित कबड्डी प्रतियोगिता के लिए तैयार किया गया था।

इसके बाद वर्ष 1923 में एक समिति का गठन किया गया, जिसने 1921 में बनाए गए नियमों में संशोधन किया। संशोधित नियम 1923 में आयोजित अखिल भारतीय कबड्डी टूर्नामेंट के दौरान लागू किए गए थे।”  1936 के बर्लिन ओलंपिक में कबड्डी को प्रदर्शनी खेल के रूप में शामिल किया गया था।

कबड्डी को बढ़ावा देने के लिए  अखिल भारतीय कबड्डी महासंघ का गठन वर्ष 1950 में किया गया था। सीनियर नेशनल चैंपियनशिप की शुरुआत वर्ष 1952 में हुई थी। वर्ष 1972 में भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) से संबद्ध एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (AKFI) अस्तित्व में आया।

इसने भारत और एशिया के पड़ोसी देशों में कबड्डी को लोकप्रिय बनाने का काम किया। 1982 तक Asian Games में कबड्डी को प्रदर्शनी खेल के रूप में इसे शामिल किया जाता था। साल 1990 में जाकर इस खेल को स्थायी रूप से मेडल गेम के रूप में जगह मिली।

कबड्डी का महाभारत कनेक्शन

किंवदंती है कि पांडवों में से एक अर्जुन ने कृष्ण के संरक्षण में कबड्डी सीखी थी। उन्होंने दुश्मन के जाल में चुपके से घुसने और अपने शरीर पर एक भी खरोंच के बिना किलेबंदी को ध्वस्त करने की कला में महारत हासिल की थी। कबड्डी को महाकाव्य ‘महाभारत’ के एक प्रसंग से भी जोड़ा जाता है।

बताया जाता है कि अर्जुन का बेटा अभिमन्यु युद्ध के दौरान ‘चक्रव्यूह’ या कौरवों की सात-स्तरीय रक्षात्मक दीवार को भेदने में सफल तो रहा था, लेकिन बाहर नहीं आ पाया था। और अंततः कौरवों की सेना द्वारा मार दिया गया था।

चक्रव्यूह में कुल सात दरवाजे थे। कबड्डी में भी सात खिलाड़ी (एक पाले में) होते हैं, उन्हें चकमा देकर बाहर आना होता है। स्पोर्ट्सकीड़ा के आर्टिकल के मुताबिक, प्राचीन लिपियों से पता चलता है कि कबड्डी के खेल की स्थापना साहसी सेनानी अभिमन्यु की याद में की गई थी।

कबड्डी का बुद्धिस्ट कनेक्शन

स्पोर्ट्सकीड़ा के ही आर्टिकल की मानें, तो कबड्डी का उल्लेख बौद्ध साहित्य में भी मिलता है जो यह साबित करता है कि प्राचीन भारत में इस खेल को बहुत पसंद किया जाता था। गौतम बुद्ध कबड्डी के शुरुआती दूतों में से एक थे। वह इस खेल को अपने साथियों के साथ खेलते थे।