गीतकार जावेद अख्तर ने कई लोकप्रिय हिंदी गाने लिखे हैं। हाल ही में एक साक्षात्कार में जावेद अख्तर ने उन परिस्थितियों को याद किया जिसमें उन्होंने फिल्म ‘1942: ए लव स्टोरी’ का रोमांटिक गीत ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ लिखा था।
अनिल कपूर और मनीषा कोइराला पर फिल्माए गए इस गाने को अक्सर 1990 के दशक के सबसे रोमांटिक हिंदी फिल्मी गानों में से एक बताया जाता है। लेकिन जावेद के लिए इस गाने की प्रेरणा का स्रोत ‘डर और शर्म’ था।
क्या है किस्सा?
रेड एफएम इंडिया से बात करते हुए जावेद ने कहा कि उन्होंने ही निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा को सुझाव दिया था कि इस दृश्य में एक गाना होना चाहिए है। लेकिन जैसे ही वह उस बैठक से बाहर निकले, अपना दिया सुझाव ही भूल गए।
गीतकार ने बताया, “मैंने सुझाव दिया कि यहां एक अच्छा गाना हो सकता है। डायरेक्टर ने कहा- नहीं, यह सही जगह नहीं है। लड़का और लड़की अभी तक मिले भी नहीं हैं। उसने तो बस उसकी एक झलक देखी है और उसे यह भी नहीं पता कि वह यहीं रहती है, वह अभी भी उसे ढूंढ रहा है, हम यहां गाना कहां फिट करेंगे? और वैसे भी थोड़ी देर में कोई रोमांटिक गाना आएगा तो यहां गाने का क्या मतलब है?”
लेकिन जावेद अख्तर जिद पर अड़ गए। फिर विधु विनोद चोपड़ा ने उनसे चार दिन में एक गाना लिखकर लाने को कहा। गीतकार मान गए और फिर खुद ही अपना यह प्रोजेक्ट भूल गए।
चार दिन बीतने पर मुलाकात के दिन जावेद को एहसास हुआ कि उन्होंने तो गाना लिखा ही नहीं। वह याद करते हैं, “मैं इतना शर्मिंदा था कि मैंने खुद सभी को एक गाने के लिए मनाया और खुद भूल गया। मैं उन्हें क्या बताऊंगा? जब मैं गाड़ी चला रहा था, मैं बहुत घबराया हुआ, तनावग्रस्त और शर्मिंदा था। सोच रहा था मैं उन्हें क्या बताऊंगा कि भूल गया?”
लेकिन तभी जावेद अख्तर को एक आईडिया आया। वह पूरे आत्मविश्वास के साथ मीटिंग में पहुंचे और पहुंचते ही एक पंक्ति बोली- एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा।
यह लाइन उन्होंने रास्ते में गाड़ी चलाते हुए सोची थी। जावेद अख्तर बताते हैं, “मैंने कहा कि मेरे पास यह पंक्ति है, और इसके बाद उपमाएं दी जाएंगी। अगर आपको आइडिया पसंद आया तो मैं गाना लिखूंगा।”
आरडी बर्मन को जावेद अख्तर का विचार पसंद आया और उन्होंने उन्हें पहली कुछ पंक्तियां लिखने के लिए कहा। जावेद तुरंत काम पर लग गए।
वह याद करते हैं, “मैं कोने में बैठ गया और पहला पैराग्राफ लिखा।” इसे पढ़ते ही आरडी ने बिना ज्यादा सोचे-समझे पहली कुछ पंक्तियां गा दीं और गाना बन गया।
इंटरव्यू में जावेद अख्तर हंसते हुए कहते हैं, “मैंने कई महिलाओं से कहा है कि वे इस गाने के लिए उनकी प्रेरणा हैं, लेकिन इस गाने की प्रेरणा का स्रोत डर था।” फिल्म में गाना कुमार शानू ने गाया था।
जब नौ मिनट में लिख दी ग़ज़ल
इसी बातचीत में जावेद ने यह भी याद किया कि उन्होंने जगजीत सिंह की मशहूर हिंदी फिल्म गजल ‘तुमको देखा तो ये ख्याल आया’ नौ मिनट में लिखी थी। यह गाना रमन कुमार की 1982 की फिल्म ‘साथ-साथ’ के लिए तैयार किया गया था, जिसमें दीप्ति नवल और फारूक शेख ने अभिनय किया था।
गीतकार ने कहा कि निर्देशक घड़ी देखते रहे क्योंकि उन्हें देर हो रही थी और दिन की आखिरी ट्रेन पकड़नी थी। उन्होंने मुझसे कहा कि मैंने इसे नौ मिनट में लिखा है। जावेद अख्तर ने हाल ही में अपनी बेटी जोया अख्तर की नेटफ्लिक्स फिल्म द आर्चीज़ में गाने के बोल लिखे।