लाइटहाउस जर्नलिज्म ने देखा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो को व्यापक रूप से शेयर किया जा रहा है। वीडियो में दावा किया जा गया है कि त्रिपुरा में आदिवासी अवैध बांग्लादेशी अप्रवासियों पर हमला कर रहे हैं।
जांच के दौरान हमने पाया कि वीडियो भारत का नहीं, बल्कि इंडोनेशिया के सेंट्रल पापुआ का है। वायरल दावा भ्रामक है।
क्या है दावा?
एक्स यूजर मिस्टर रॉय ने भ्रामक दावे के साथ वीडियो शेयर किया।
अन्य यूजर भी इसी तरह के दावों के साथ यही वीडियो शेयर कर रहे हैं।
जांच पड़ताल:
हमने वीडियो से प्राप्त कीफ़्रेम पर रिवर्स इमेज सर्च चलाकर जांच शुरू की।
हमें यह वीडियो 9 दिसंबर, 2024 को इंस्टाग्राम पर अपलोड किया गया मिला।
कैप्शन में लिखा था: शनिवार, 7 दिसंबर 2024 को चुनाव के बाद दो अलग-अलग उम्मीदवार जोड़ियों (जिन्हें “पासलोन” कहा जाता है) के समर्थकों के बीच इंटन जया में एक बड़ी लड़ाई छिड़ गई। यह झड़प चार घंटे तक चली और इसमें चार दुकानें जलकर खाक हो गईं। संघर्ष में 1,000 से अधिक लोग शामिल थे, जिन्होंने खुद को युद्ध के औजारों, पत्थरों और नुकीले हथियारों से लैस कर रखा था। पुलिस प्रमुख कोम्पोल सुबेक्टी विबोवो ने बताया कि लड़ाई तब शुरू हुई जब “पासलोन 3” (अपोलोस बागाऊ) के समर्थकों को संदेह हुआ कि “पासलोन 1” (अनेर मैसेनी) ने उनके वोट चुरा लिए हैं।
हमें एक अन्य इंस्टाग्राम हैंडल पर वीडियो मिला।
हमें घटना के बारे में समाचार रिपोर्ट भी मिली।
रिपोर्ट में कहा गया है: इंटन जया पुलिस प्रमुख, कमिश्नर सुबेकती विबोवो ने कहा कि झड़प में 1,000 से ज़्यादा लोग शामिल थे और हर कोई युद्ध के औज़ार, पत्थर और दूसरे धारदार औज़ारों से लैस था।
हमें एक और न्यूज़ रिपोर्ट मिली जिसमें वायरल वीडियो में दिखाए गए दृश्य जैसा ही दृश्य था।
निष्कर्ष: सेंट्रल पापुआ, इंडोनेशिया में उम्मीदवार जोड़ी के समर्थकों के बीच दंगों का पुराना वीडियो भारत के त्रिपुरा का बताकर वायरल किया जा रहा है। दावा भ्रामक है।