मुगल बादशाह नूरूद्दीन मोहम्मद जहांगीर (Jehangir) अपनी क्रूरता के लिए मशहूर था। उसकी क्रूरता से खुद उसके पिता अकबर भी तंग आ गए थे। जहांगीर की हरकतों से परेशान अकबर ने उसे इलाहाबाद (Allahabd) भेज दिया था, लेकिन वहां से आए दिन ऐसी खबरें आतीं, जिसे सुनकर अकबर (Akbar) आग बबूला हो जाते।
मशहूर लेखक और पत्रकार शाज़ी ज़मां (Shazi Zaman) अपनी किताब ‘अकबर’ (Akbar) में लिखते हैं कि शहजादे सलीम (जहांगीर) शराब और अफीम के नशे में इतना डूब गए थे कि एक बार वह अपने खबरी पर ही बुरी तरह बिगड़ गए और उसकी जिंदा खाल खिंचवा ली। अपनी सेवा करने वाले एक कर्मचारी की मामूली गलती पर इतना नाराज हुआ कि उसका गुप्तांग कटवा दिया।
कटवा दिया था नौकर का अंगूठा
मशहूर इतिहासकार एलिशन बैंक्स फिंडली (Ellison Banks Findly) ने अपनी किताब ‘नूरजहां: इंप्रेस ऑफ मुगल इंडिया’ (Nur Jahan: Empress of Mughal India) में जहांगीर की क्रूरता और बर्बरता के कई किस्से बयान किए हैं। ऐसा ही एक किस्सा जहांगीर के नौकर से जुड़ा है। उस नौकर ने गलती से चंपा के पेड़ काट दिये, इसपर जहांगीर ने उसका अंगूठा से कटवा दिया था।
किन्नर से चुंबन पर दी थी खौफनाक सजा
फिंडली (Ellison Banks Findly) एक और किस्सा बयां करते हैं जो जहांगीर की बीवी नूरजहां (Nur Jahan) की कनीज (रखैल) से जुड़ा है। नूरजहां की कनीज को एक किन्नर के साथ चुंबन लेते पकड़ लिया गया। बाद में उसे जहांगीर के सामने लाया गया। जहांगीर इतना गुस्सा हुआ कि उसको गड्ढा खोद आधा गड़वा दिया।
अपने बेटे की फोड़ दी थीं आंखें
जहांगीर (Jehangir) की क्रूरता का आलम यह था कि उसने अपने बेटे खुसरो (Khusro) को भी नहीं बख्शा। खुसरो ने पिता के खिलाफ मुगल सल्तनत (Mughal Empire) की गद्दी के लिए बगावत कर दी, लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी। बाद में जब उसे जहांगीर के सामने लाया गया तो गुस्से में आग बबूला जहांगीर ने उसकी आंखें फोड़ डाली। हालांकि बाद में नामी हकीमों से इलाज कराया, लेकिन रौशनी नहीं लौटी।
गुरु अर्जन देव का करवा दिया था कत्ल
जहांगीर की क्रूरता का शिकार सिखों के पांचवें गुरु अर्जन देव (Guru Arjan Dev) भी हुए। उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया था। मशहूर इतिहासकार मुन्नीलाल के मुताबिक गुरु अर्जन देव पर जहांगीर के बेटे खुसरो का साथ देने का आरोप लगा। हालांकि गुरु अर्जन देव का तर्क था कि उन्होंने खुसरो की बगावत में मदद नहीं की बल्कि वो यात्रा पर जा रहा था इसलिये उसकी मदद की। जहांगीर ने अर्जन देव को कैद कर लिया और बाद में फांसी पर चढ़ा दिया था।