हमास और इजरायल के बीच युद्ध जारी है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास को खत्म करने की घोषणा कर दी है। ऐसा माना जा रहा है कि हालिया युद्ध से नेतन्याहू की गठबंधन की सरकार को थोड़ी स्थिरता मिलेगी। नेतन्याहू की लिकुड पार्टी ने इजरायल की अति-रूढ़िवादी पार्टियों की मदद से सरकार बनाई है। उन पर भ्रष्टाचार का मुकदमा भी चल रहा है।

छठी बार प्रधानमंत्री

इजरायल के वरिष्ठ नेता बेंजामिन नेतन्याहू को ‘Bibi’ नाम से भी जाना जाता है। वह आखिरी बार पिछले साल (2022) में एक नवंबर को चुनाव जीते थे और 29 नवंबर को छठी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। इस सरकार को अल जज़ीरा ने इजरायल के इतिहास का सबसे धार्मिक और कट्टरपंथी सरकार बताया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेतन्याहू की सरकार को अतिराष्ट्रवादी धार्मिक गुटों का भी समर्थन हासिल है। नेतन्याहू के नाम इजरायल का सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड है।

अमेरिका से पढ़े हैं बेंजामिन नेतन्याहू

बेंजामिन नेतन्याहू का जन्म 1949 में तेल अवीव (इजरायल का एक शहर) के जाफ़ा में हुआ था। नेतन्याहू की मां तज़िला सेगल एक इजरायली मूल की यहूदी थीं और पिता बेंज़ियन नेतन्याहू पोलैंड के यहूदी थे। वह पेशे से इतिहासकार थे और अकादमिक जगत में उनकी पहचान थी।

पहले बेंजामिन नेतन्याहू के पिता का नाम बेंज़ियन मिलेकोव्स्की हुआ करता था। फिलिस्तीन में बसने के बाद उन्होंने अपना सरनेम बदल लिया। इजरायल के प्रधानमंत्री के पुरखों की जड़ें स्पेन से जुड़ी बताई जाती हैं। साल 1963 में बेंजामिन नेतन्याहू का परिवार अमेरिका चला गया, क्योंकि उनके पिता को एक बढ़िया अकादमिक पद मिल गया था।

नेतन्याहू के पिता को एक ‘Revisionist Zionist’ माना जाता है। उनका मानना था कि इजरायल जॉर्डन नदी के दोनों किनारों पर होना चाहिए। उन्होंने पड़ोसी अरब देशों के साथ समझौते को भी मानने से इनकार कर दिया था।

अमेरिका जाने से पहले बेंजामिन नेतन्याहू की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई यरूशलेम (इजरायल की राजधानी) में हुई थी। आगे की पढ़ाई अमेरिका में हुई।

फिलिस्तीनी मिलिटेंट ने कर दिया था घायल

बेंजामिन नेतन्याहू जब 18 साल के थे, तब उनका परिवार इजरायल लौटा। वह 1967 में इजरायल की सेना में शामिल हो गए। वह इजरायली सेना के एक विशेष कमांडो यूनिट सायरेट मटकल में कप्तान थे। सेना में रहते हुए वह फिलिस्तीनी उग्रवादियों के एक हमले में घायल हो गए थे। दरअसल 1972 में फिलिस्तीनी उग्रवादियों ने बेल्जियम के विमान को इजरायल में लैंड होने पर हाईजैक कर लिया था, उसी दौरान नेतन्याहू घायल हुए थे। नेतन्याहू 1973 के अरब-इजरायल युद्ध में भी अपने देश के लिए लड़े थे।

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेतन्याहू के भाई जोनाथन 1976 में युगांडा में मारे गए थे। वह एक अपहृत विमान से बंधकों को छुड़ाने के लिए किए गए ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे थे। नेतन्याहू ने अपने भाई की स्मृति में एक आतंकवाद विरोधी संस्थान की स्थापना की।

अमेरिका में संभाली बड़ी जिम्मेदारी

1982 में बेंजामिन नेतन्याहू को वाशिंगटन स्थित इजरायल दूतावास में चीफ ऑफ मिशन बनाकर भेजा गया। 1984 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र में इज़रायल का राजदूत नियुक्त किया गया।

नेतन्याहू अंग्रेजी के अच्छा वक्ता है। इसकी मदद से वह जल्द ही अमेरिकी टेलीविजन पर जाना-पहचाना चेहरा बन गए। वह अमेरिका में इजरायल का पक्ष प्रभावी तरीके से रखने के लिए जाने गए।

1988 में बने उप-विदेश मंत्री

प्रधानमंत्री यित्ज़ाक शमीर के कार्यकाल में नेतन्याहू को उप व‍िदेश मंत्री बनाया गया था। जल्द ही पार्टी में भी उनका कद बढ़ गया। 1993 में वह इजरायल की दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी के अध्यक्ष बन गए। 1992 के चुनाव में लिकुड पार्टी को हार मिली थी। नेतन्याहू ने जीत के लिए रणनीति बनाई। हालांकि कुछ वक्त बाद ही नेतन्याहू के हाथ से पार्टी की कमान निकलकर एरियल शेरोन के हाथों में चली गई। 2005 में शेरोन के लिकुड छोड़कर कदीमा बनाने के बाद ही नेतन्याहू को पार्टी की कमान वापस मिली।

12 साल लगातार प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड

नेतन्याहू पहली बार साल 1996 में प्रधानमंत्री बने और 1999 तक पद पर रहे। इसके बाद 2009 से 2021 तक रिकॉर्ड 12 साल का पीएम रहे। नवंबर 2022 में उन्होंने छठी बार पद संभाला।

धोखाधड़ी, विश्वासघात और भ्रष्टाचार का आरोप

अल जज़ीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेतन्याहू पर धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का आरोप है। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने करोड़पति दोस्तों से महंगे गिफ्ट्स लिए और इसके बदले उन्हें फायदा पहुंचाया। ऐसे लोगों में ऑस्कर-नॉमिनेटेड इजरायली-अमेरिकी हॉलीवुड प्रोड्यूसर आर्नन मिलचन का भी नाम है। आरोप है कि साल 2009 में मिचलन ने नेतन्याहू को करीब एक लाख डॉलर के गिफ्ट्स दिए थे, जिसमें महंगी शराब और सिगार शामिल थे। इसके बदले प्रधानमंत्री ने उन्‍हें अमरीकी वीज़ा दिलाने में मदद की।

साल 2019 में नेतन्याहू को पॉजिटिव कवरेज के बदले मीडिया टाइकून को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा था। नेतन्याहू ने इजरायल के अखबार ‘येदियत अहरोनात’ से अपने पक्ष में खबर चलवाई थी।

हालांकि नेतन्याहू ने किसी गलत काम में अपनी संलिप्तता से इनकार किया। 2019 में दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें प्रधानमंत्री का पद छोड़ना पड़ा। मार्च 2021 के संसदीय चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 2022 में सत्ता वापस मिल गई।