फिलिस्तीनी के लोग पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए भी इजरायल पर निर्भर हैं। इजरायल फिलिस्तीनी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के एक बड़े हिस्से को कंट्रोल करता है। द हिंदू की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि फिलिस्तीन के जो लोग नौकरीपेशा हैं, उनमें से भी एक बड़ा हिस्सा या तो इजरायल में काम करता है या उसकी बसाई बस्तियों में।
2022 की शुरुआत तक 1.5 लाख से अधिक फिलिस्तीनी इजरायल और उसकी बस्तियों में काम कर रहे थे। यह वेस्ट बैंक के सभी वर्कर्स का पांचवां हिस्सा है। इन्हीं कामगारों की आय ने वेस्ट बैंक की जीडीपी में एक चौथाई का योगदान दिया है।
बेरोजगारी ही नहीं, कम पैसा मिलना भी एक बड़ी समस्या
फिलिस्तीनियों के लिए न केवल बेरोजगारी एक समस्या है, बल्कि अल्प-रोजगार (जब लोग अपनी क्षमता से कम काम कर रहे होते हैं) और कम वेतन भी एक संकट है। गाजा के 83% कामगारों को 2021 तक न्यूनतम वेतन (36 हजार रुपये) से कम मिला। इजरायल पर इतनी हद तक निर्भरता, कम भुगतान और लगातार बमबारी से फिलिस्तीनी क्षेत्रों की जीडीपी मंद गति से बढ़ी है। वहीं हाल के दशकों में इजरायल की जीडीपी में तेजी से वृद्धि देखी गई है।
विदेशी व्यापार पर प्रतिबंध
फिलिस्तीन की अर्थव्यवस्था पर इजरायली नियंत्रण का आलम यह है कि फिलिस्तीन विदेशों से बहुत ही सीमित मात्रा में व्यापार करता है। 2021 में फिलिस्तीनी क्षेत्रों द्वारा आयातित सभी वस्तुओं में से आधे से अधिक इजरायल से आए और सभी निर्यात का 80% से अधिक इजरायल को गया।
फिलिस्तीन में जो कुछ भी आयात किया जाता है, उसका एक बड़ा हिस्सा बिजली, पानी और ईंधन है। ये आयात होने वाली टॉप पांच चीजों में हैं। इन तीनों चीजों की आपूर्ति बड़े पैमाने पर इजरायल द्वारा की जाती है। गाजा की 60% से अधिक बिजली आपूर्ति इजरायल से आयात की जाती है, शेष की आपूर्ति गाजा स्थित बिजली संयंत्र से की जाती है। हालांकि बिजली प्लांट के लिए डीजल इजरायल से ही आयात करना पड़ता है।
पानी के लिए खर्च करना पड़ता है कमाई का बड़ा हिस्सा
फिलिस्तीनी क्षेत्र में पानी की सप्लाई में लंबा गैप होता है। ऐसे में फिलिस्तीनी लोगों को ज्यादा कीमत देकर इजरायल से पानी आयात करना पड़ता है। पानी खरीदने में फिलिस्तीनियों को अपनी आय का 8% से 13% खर्च करना पड़ता है। इस तरह की निर्भरता फिलिस्तीन के लिए घातक साबित हुआ है। अगर इजरायल आपूर्ति रोक देता है, तो पानी, बिजली जैसी चीजों के भी लाले पड़ जाते हैं। हाल में जारी संघर्ष के दौरान इजरायल ने सबसे पहले यही कर फिलिस्तीनी लोगों को ‘सबक’ सिखाने की कोशिश की।
80% लोग अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर
गाजा में 80% लोग अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर हैं। हालांकि, विदेशी सहायता, जो 2010 के दशक में घटनी शुरू हुई, 2020 के दशक में अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई। 2021 में विदेशी सहायता फिलिस्तीनी GDP का केवल 1.8% थी, जबकि 2008 में यह 27% था।
15 वर्षों में 5वां युद्ध और फिलिस्तीन की बेरोजगारी
फिलिस्तीनी क्षेत्र गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक सामाजिक-आर्थिक मानकों पर कई देशों से पीछे हैं। फिलिस्तीनी आबादी में भयंकर गरीबी है। उद्योगों की कमी के कारण वेस्ट बैंक और गाजा में बेरोजगारी के रिकॉर्ड स्तर हैं। फिलिस्तीन का लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (LFPR) दुनिया में सबसे कम है।
