इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध में चार दिन में दोनों तरफ से 2100 लोगों की जान जा चुकी है। जबकि इजरायल और फिलिस्तीन के संघर्ष में 2008 से 2020 के बीच 12 वर्षों में 5850 लोगों की मौत हुई थी।
7 अक्टूबर को हमास के सप्राइज अटैक के बाद से इजरायल लगातार फिलिस्तीन पर बम बरसा रहा है। गाजा पट्टी की हालत सबसे ज्यादा खराब है। अल जज़ीरा के मुताबिक इजरायली हमले में 900 फिलिस्तीनियों की जान जा चुकी है। वहीं इजरायल का दावा है कि उनके 1200 के करीब लोगों की मौत हुई है। यूनाइटेड नेशनल के मुताबिक, गाजा पट्टी से 260,000 से अधिक लोगों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
यूनाइटेड नेशन ऑफिस का Coordination of Humanitarian Affairs (OCHA) इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष पर नजर रखता है। OCHA के मुताबिक, 2008 से 2020 के बीच इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष में 5,600 फिलिस्तीनी मारे गए और 115,000 घायल हुए। इसी अवधि में 250 इजरायली मारे गए और 5,600 घायल हुए।
2014 में हिंसा विशेष रूप से अधिक थी जब इजरायल ने तीन किशोरों के अपहरण और हत्या के जवाब में गाजा में ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज चलाया था। यह अभियान सात सप्ताह तक चला। इजरायल के ऑपरेशन में 2,000 से अधिक मौतें हुईं, जिनमें से अधिकांश गाजा के लोग थे। 2018 में इजरायल-गाजा सीमा पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए था, जिसमें 28,000 से अधिक फिलिस्तीनी घायल हुए थे।
2007 से इजरायल की नाकाबंदी में गाजा
इजरायल ने साल 2007 में गाजा की हर तरफ से नाकाबंदी कर दी थी, इसमें हवाई, जमीनी और समुद्री तीनों रास्ते शामिल हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसे पूरी आबादी को सामूहिक रूप से दंडित करना माना। इजरायल ने सिर्फ गाजा की नाकाबंदी नहीं की है, बल्कि वह गाजा के पानी और बिजली जैसे बुनियादी जरूरतों को भी कंट्रोल करता है।
इजरायल के आलोचक गाजा को “खुली हवा वाली जेल” कहते हैं। गाजा के लोग इजरायली की अनुमति के बिना यात्रा तक नहीं कर सकते। इजरायली संगठन गीशा के अनुसार, गाजा में बेरोज़गारी बहुत ज्यादा है, बिजली केवल आधे दिन ही उपलब्ध होती है और कई लोगों की स्वच्छ पानी तक पर्याप्त पहुंच नहीं है।
इजरायल की नाकाबंदी से गाजा की अर्थव्यवस्था का हुआ पतन?
नाकाबंदी के कारण गाजा की अर्थव्यवस्था का लगातार पतन हुआ है। इसे इजरायली सैन्य हमलों ने और अधिक बढ़ दिया है। UNCTAD (United Nations Conference on Trade and Development) के अनुसार, 2007 और 2018 के बीच इजरायली नाकाबंदी के कारण फिलिस्तीनी अर्थव्यवस्था में गाजा की हिस्सेदारी 31% से घटकर 18% हो गई।
इसकी वजह से एक मिलियन से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए, गरीबी की दर 2007 में 40% से बढ़कर 2017 में 56% हो गई। इजरायल की नाकाबंदी के बाद से गाजा की 80% से अधिक आबादी अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर हो गई।
साल 2019 में UNCTAD ने अनुमान लगाया था कि 2008 और 2014 के बीच गाजा में तीन इजरायली सैन्य अभियानों की लागत गाजा की जीडीपी का कम से कम तीन गुना होगी।
जून 2023 में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गाजा पट्टी पर मई 2023 के हमले की अपनी जांच प्रकाशित की, जिसमें पाया गया कि इजरायल ने अवैध रूप से फिलिस्तीनी घरों को नष्ट कर दिया था। जहां सैन्य कार्रवाई की कोई आवश्यकता नहीं थी, वहां भी सेना ने ऑपरेशन चलाया। इजरायली सेना ने अपनी कार्रवाइयों का इस्तेमाल गाजा की पूरी नागरिक आबादी को सामूहिक सजा देने के रूप में किया।
बफर जोन के नाम पर गाजा को संसाधनों से किया गया है वंचित?
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, गाजा की 35 प्रतिशत से अधिक कृषि भूमि और मछली पकड़ने के 85 प्रतिशत क्षेत्र को इजरायल ने क्रमश: ‘बफर जोन’ और प्रतिबंधित समुद्री क्षेत्र बना दिया है। इस तरह संसाधन के एक बड़े हिस्से से फिलिस्तीनियों को वंचित कर दिया गया है।
कृषि भूमि को ‘बफर जोन’ बनाने से फिलिस्तीन के करीब 113,000 किसान प्रभावित हैं। वहीं समुद्री क्षेत्र में प्रतिबंध ने 90% मछुआरों को गरीब बना दिया है। इसके अलावा इजरायली नौसेना तट पर काम कर रहे गाजा के मछुआरों के खिलाफ अक्सर बल का प्रयोग करती है और उनकी नौकाओं को डुबो देती है या जब्त कर लेती है।
2014 के बाद से इजरायली सेना ने गाजा और इजरायल के बीच बाड़ के किनारे लगे फिलिस्तीनी फसलों पर हवाई-हर्बिसाइड्स का छिड़काव करना शुरू कर दिया। इससे किसानों की आजीविका का नुकसान हुआ है। साथ ही स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ा है।
गाजा के तट पर तेल और गैस मिलने के बाद से इजरायल ने गाजा के समुद्री तट के बॉर्डर में कई बार बदलाव किया है। कभी-कभी इसे घटाकर केवल 3 समुद्री मील तक कर दिया है।
गाजा पट्टी क्या है?
गाजा पट्टी इजराइल और मिस्र के बीच भूमध्य सागर से सटा 25 मील लंबा जमीन का एक टुकड़ा है। यह पट्टी लगभग 139 वर्ग मील की है यानी वाशिंगटन डीसी के आकार के दोगुना ज्यादा बड़ा है। इजरायल के साथ इसकी सीमा लगभग 36 मील है और मिस्र के साथ इसकी सीमा लगभग आठ मील है। पट्टी पर लगभग 24 मील (40 किलोमीटर) समुद्र तट है, लेकिन साल 2009 से उस पर इजरायली नौसेना का कब्जा है और समुद्री यातायात बंद हैं। गाजा पट्टी दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है। इस क्षेत्र में 20 लाख से अधिक लोग रहते हैं।
1948 में जब फिलिस्तीनी धरती पर इजरायल की स्थापना हुई तो कई फिलिस्तीनी शरणार्थियों को गाजा पट्टी की तरफ जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। 1967 में मिस्र, सीरिया और जॉर्डन के खिलाफ छह दिवसीय युद्ध में जीत के बाद इजरायल ने गाजा पर नियंत्रण हासिल कर लिया।
2000 में फिलिस्तीनी विद्रोह ने इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच हिंसा की एक नई लहर शुरू कर दी, इससे इजरायल ने 2005 में गाजा छोड़ने का फैसला किया। इजरायल ने अपनी सेना वापस ले ली और वहां रहने वाले लगभग 9,000 यहूदी निवासियों को हटा लिया।