(इंडियन एक्सप्रेस ने यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए हिस्ट्री, पॉलिटिक्स, इंटरनेशनल रिलेशन, आर्ट, कल्चर एंड हेरीटेज, एनवायरमेंट, जियोग्राफी, साइंस एंड टेक्नोलॉजी आदि जैसे मुद्दों और अवधारणाओं पर अनुभवी लेखकों और विद्वानों द्वारा लिखे गए लेखों की एक नई सीरीज शुरू की है। सब्जेक्ट एक्सपर्ट के साथ पढ़ें और विचार करें और यूपीएससी सीएसई को पास करने के अपने अवसर बढ़ाएं। इस लेख में पौराणिक कथाओं और संस्कृति में विशेषज्ञता रखने वाले फेमस लेखक देवदत्त पटनायक हाथी और घोड़े के सांस्कृतिक महत्व के बारे में बताते हैं।)
भारत के कल्चर को आकार देने में हाथी और घोड़े ने बहुत ही खास भूमिका निभाई है। हाथी भारत का ही मूल निवासी है, लेकिन घोड़ा भारत का नहीं है। हाथी को भारत में हॉट ट्रॉपिकल क्लाइमेट पसंद है। यह ट्रॉपिकल जंगलों में ही पनप पाता है। ये जंगली जानवर गंगा के इलाकों में पहले तो लोगों की बस्तियों के लिए बहुत बड़ा खतरा थे और फिर इन्हें पकड़कर पालतू बनाया गया। पालतू जानवरों के तौर पर उन्होंने जंगलों के रास्ते बनाने में काफी मदद की।
हाथी एक शानदार जानवर बन गया। यह व्यापारियों की तरफ से भी काफी पंसद किया जाने लगा। इसकी खास वजह यह थी कि यह पहाड़ों में भी आसानी से यात्रा कर सकता था और नदियों को भी तैरकर पार कर सकता था। इसलिए यह एक बड़ा बोझ ढोने वाला जानवर बन गया और देवी लक्ष्मी, यहां तक कि इंद्र के बाद के रूपों और उनके गुरु बृहस्पति से भी इसका संबंध होने लगा।
शक्ति का प्रतीक बना हाथी
राजा हाथी का इस्तेमाल सेना बनाने के लिए करते थे, क्योंकि हाथी का नेता अपने झुंड का नेतृत्व कर सकता था, गांवों को तबाह कर सकता था और जो कोई भी उसका विरोध करता था या टैक्स देने से मना करता था तो उसे कुचल सकता था। इसने हाथी को एक शाही जानवर बना दिया। इसको राजा और व्यापारी दोनों ही पसंद करते थे। यह शक्ति का प्रतीक बन गया था।
हाथी शक्ति का प्रतीक तो था ही लेकिन यह आध्यात्मिकता का भी प्रतीक बन गया था। कई सूंड और दांतों वाले सफेद रंग के हाथी उन महिलाओं के सपनों में दिखाई देते थे जिन्होंने महान बौद्ध और जैन संतों को जन्म दिया था। समस्या यह है कि हाथी को कैद में नहीं पाला जा सकता। भारत में राजा हाथी को शाही जानवर के तौर पर देखते थे।
यहां तक कि सेंट्रल एशिया से आए मुगलों ने भी हाथी की पीठ पर सवार होकर युद्ध में भाग लेने के लिए अपनी शाही शौर्य का प्रदर्शन किया। भारत के नजरिये से हाथी दुनिया का सबसे बड़ा जानवर था। हालांकि, बाहरी लोगों के लिए हाथी एक अनाड़ी जानवर था। इस पर काबू पाना बहुत ही मुश्किल था। इसकी हरकतें उसके अपने सैनिकों को भी मार सकती थीं।
भारत में घोड़े कैसे आए
बाहरी लोग भारत में घोड़े लेकर आए। शुरुआती घोड़े छोटे होते थे और उनका इस्तेमाल स्पोक-व्हील वाले रथों को खींचने के लिए किया जाता था। इस घोड़े के बारे में ऋग्वेद , वैदिक साहित्य और महाभारत और रामायण में मिलता है। रावण के साथ युद्ध में राम के पास कोई रथ नहीं था, इसलिए इंद्र ने अपने घोड़े से खींचा जाने वाला रथ उनके पास भेजा और मातलि को सारथी बनाया।
महाभारत में कृष्ण अर्जुन के सारथी हैं। घोड़े द्वारा खींचे जाने वाले स्पोक-व्हील रथ पर सवार धनुर्धर और सारथी यूरेशियाई घास के मैदानों से एक मिलिट्री इनोवेशन था। यह 1500 ईसा पूर्व के बाद मिस्र, भारत और चीन तक फैल गया। बाद में हम घुड़सवार घोड़ों को देखते हैं जिनकी इमेज सांची और भरहुत में दिखाई देती हैं। वे सिकंदर की सेना के साथ आए थे, इसमें कोई शक नहीं है। इनके बारे में सबसे खास बात यह है कि उनमें कोई काठी या रकाब नहीं है। एक पैर की अंगुली वाली रकाब है। इसका आविष्कार भारत में ही हुआ था।
सूर्यदेव को रथ पर सवार दिखाया गया है, जबकि उनके बेटे रेवंत को घोड़े पर सवार होकर शिकार पर जाते हुए दिखाया गया है। काठी और रकाब का आविष्कार चीन में लगभग 300 ई. में हुआ था और भारत में मुस्लिम सरदारों के साथ आया था। तुर्क और अफगान लोहे की रकाब के साथ लकड़ी की काठी पर सवार होकर आए थे। इसने तीरंदाजी कौशल के साथ उन्हें सैन्य फायदा दिया। ये घुड़सवार सल्तनत और मुगल साम्राज्य के शूरवीर थे। इससे गांव के इलाकों पर आसानी से कब्जा हो जाता था।
भारत में घोड़े को पालने की शुरुआत कब हुई?
शायद इस बात को बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि भारत में घोड़े को पालन की शुरुआत कब हुई थी। भारत में घोड़े को पालने की शुरुआत मात्र एक हजार साल पहले गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, तिब्बत और पंजाब में हुई थी। इसकी वजह से भारत में घुड़सवारी करने वाले नायक-देवताओं का उदय हुआ। इसको उदाहरण के जरिये समझने की कोशिश करें तो राजपूतों और गूजर समुदायों के देवनारायण, तेजाजी, पाबूजी और गोगा पीर और मराठा के खंडोबा का नाम शामिल है।
घोड़े पर सवार कल्कि वैष्णव धर्मशास्त्र का एक अहम हिस्सा है। घोड़े के सिर वाले विष्णु की पूजा हयग्रीव के तौर पर की जाती है। हाथी के सिर वाले गणेश को समृद्धि और संतोष से जोड़ा जाता है और वे शिव की ओर ले जाते हैं। वहीं, तिब्बती इलाकों और भारत के बाहर हाथी के सिर वाले यक्ष को एक राक्षस के तौर पर देखा जाता है और इसे कंट्रोल किया जाना चाहिए। इसे कंट्रोल करना बहुत ही मुश्किल है।
Post Read Questions
भारतीय दृष्टिकोण से, हाथी दुनिया का सबसे महान युद्ध पशु था, और एक शाही पशु। कैसे?
प्रारंभिक भारतीय कला में हाथियों की दृश्य उपस्थिति किस प्रकार उनके सांस्कृतिक महत्व का संकेत देती है?
भारत में घोड़े सबसे पहले कैसे आए और उनका इस्तेमाल कैसे किया गया? रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन भारतीय महाकाव्यों में घोड़े से खींचे जाने वाले रथों की क्या भूमिका थी?
सांची और भरहुत में घुड़सवार घोड़ों की तस्वीरें मिलती हैं, लेकिन उनमें काठी या रकाब नहीं होते। यह प्राचीन भारत में घुड़सवार युद्ध और घुड़सवारी तकनीक के विकास के बारे में क्या संकेत देता है?
(देवदत्त पटनायक एक फेमस पौराणिक कथाकार हैं जो कला, संस्कृति और विरासत पर लिखते हैं।)