लाइटहाउस जर्नलिज्म को ट्विटर पर शेयर की जा रही कुछ तस्वीरें दिखीं। तस्वीरें एक लाइब्रेरी की हैं। इन तस्वीरों के साथ दावा किया जा रहा था कि अमेरिका ने डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के नाम पर दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी बनाई है। अपनी पड़ताल में हमने पाया कि ये तस्वीरें असल में चीन की एक लाइब्रेरी की हैं।
क्या वायरल हो रहा है?
ट्विटर यूजर Vandana Sonkar ने वायरल दावे के साथ तस्वीरें शेयर की हैं।
कई अन्य यूजर्स भी तस्वीरों को इसी दावे के साथ शेयर किया है।

कैसे हुई पड़ताल?
हमने अपनी जांच एक-एक करके सभी तस्वीरों पर रिवर्स इमेज सर्च से शुरू की।
हमें पहली तस्वीर एक वेबसाइट पर एक ब्लॉग में मिली, जिसका टाइटल है: Looking at Libraries: Tianjin Binhai Library, China
हमने पोस्ट की अन्य तस्वीरों पर भी रिवर्स इमेज सर्च किया। हमें अनेक वेबसाइटों पर बिल्कुल वही तस्वीरें मिलीं।


ज्यादातर लेख वर्ष 2017 में प्रकाशित हुए हैं। एक लेख में से एक में कहा गया था: चीन के तियानजिन में एक पुस्तकालय का काम पूरा कर लिया गया है। यह जीएमपी आर्किटेक्टेन द्वारा विकसित एक बड़े सांस्कृतिक मास्टर प्लान का हिस्सा है। इमारत एक चमकदार गोलाकार सभागार के चारों ओर फैला हुआ है। गोल वाले हिस्से को आंख बताया जा रहा है… इमारत में कुल 1.2 मिलियन किताबें रखी जा सकती हैं।
हमें अमेरिका द्वारा डॉ. अम्बेडकर की स्मृति में पुस्तकालय खोले जाने की कोई समाचार रिपोर्ट नहीं मिली। हालांकि हमें एक खबर मिली जिसमें बताया गया था की भारत के बाहर संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर की सबसे ऊंची प्रतिमा का उद्घाटन अमेरिका के वाशिंगटन में किया गया था।

निष्कर्ष: वायरल तस्वीरें डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की याद में अमेरिका में खोली गई लाइब्रेरी की नहीं हैं। असल में ये तस्वीरें चीन के तियानजिन की एक लाइब्रेरी की हैं। वायरल दावा झूठा है।