राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह से पहले लाइटहाउस जर्नलिज्म को व्हाट्सएप सहित विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर शेयर किया जा रहा एक पोस्ट मिला। एक सिक्के की तस्वीर शेयर की जा रही है और लिखा जा रहा है कि इसे 200 साल पहले अंग्रेजों द्वारा चलाया गया था। सिक्के पर एक तरफ कमल और दूसरी तरफ भगवान राम की तस्वीर है।

तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा जा रहा है कि अंग्रेज भी जानते थे कि राम मंदिर वही बनाएंगे जो कमल के होंगे। यह पोस्ट मराठी में खूब शेयर की जा रही है। हालांकि हमने अपनी जांच में पाया कि दावा गलत है। 1818 में अंग्रेजों द्वारा सिक्के नहीं ढाले गए थे।

क्या वायरल हो रहा है?

फेसबुक युजर Lalita Patil ने वायरल दाव अपने प्रोफाइल पर शेयर किया है।

अन्य यूजर्स भी पोस्ट को इसी दावे के साथ शेयर कर रहे हैं।

कैसे हुई पड़ताल?

हमने अपनी जांच गूगल रिवर्स इमेज सर्च से शुरू की और हमें ईकॉमर्स वेबसाइट फ्लिपकार्ट पर शेयर किए जा रहे सिक्के की तस्वीर मिली। उसके डिस्क्रिप्शन में लिखा गया था: COINS WORLD 1818 TWO ANNA 250 GRAMS SUPER HEAVY RAM DARBAR TOKEN Ancient Coin Collection (1 Coins)

जांच के अगले चरण में, हमने प्राचीन भारतीय सिक्कों की खोज की और हमें IndianCoins dot com नामक एक वेबसाइट मिली। वेबसाइट पर असंख्य सिक्के थे।

हमने IndianCoins के सुल्तान से फोन पर बात की और वायरल तस्वीर के बारे में पूछताछ की। उन्होंने बताया कि ऐसे सिक्के काल्पनिक संग्रह का भाग हैं और वे वास्तविक नहीं हैं। वायरल सिक्का नकली है, ब्रिटिश काल का नहीं है।

हमने आरबीआई की वेबसाइट भी जांची और वेबसाइट पर भारत द्वारा समय-समय पर जारी किए गए सिक्कों की तस्वीरें भी देखीं।

हमने आरबीआई की वेबसाइट पर मुद्रा संग्रहालय की भी जांच की और हमें वहां ऐसे कोई सिक्के नहीं मिले।

वेबसाइट में उल्लेख किया गया है, “1717 ई. में ही अंग्रेजों ने सम्राट फर्रुखसियर से बंबई टकसाल में मुगल मुद्रा के सिक्के चलाने की अनुमति ली थी। अंग्रेजी पैटर्न के सिक्के बॉम्बे टकसाल में बनाए गए थे। सोने के सिक्कों को कैरोलिना, चांदी के सिक्कों को एंग्लिना, तांबे के सिक्कों को क्यूपेरून और टिन के सिक्कों को टिनी कहा जाता था। 1830 की शुरुआत तक, अंग्रेज़ भारत में प्रमुख शक्ति बन गए थे। सौ से अधिक वर्षों की उथल-पुथल के बाद एक प्रमुख शक्ति के उदय ने 1835 के सिक्का निर्माण अधिनियम को लागू करने और एक समान सिक्का जारी करने को सक्षम बनाया।”

लेख में कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया कि 1818 के सिक्कों में एक तरफ कमल था या वे भगवान राम को समर्पित थे।

निष्कर्ष: सिक्के की वायरल तस्वीर जिसके एक तरफ कमल और दूसरी तरफ भगवान राम की तस्वीर है, नकली है। साथ ही दावा भी फर्जी है कि ऐसा कोई सिक्का 1818 में अंग्रेजों द्वारा बनवाया था। ऐसे सिक्के कभी भी भारत में मुद्रा का हिस्सा नहीं थे।