अंकिता देशकर
लाइटहाउस जर्नलिज्म को सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो मिला। वीडियो में कुछ लोगों को तलवार से पुलिस वालों पर हमला करते देखा जा सकता है। वीडियो शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि किसान आंदोलन में पुलिस वालों पर तलवार से हमला कर दिया गया। हालांकि हमने अपनी पड़ताल में पाया कि दावा फर्जी है। वीडियो किसान आंदोलन का नहीं है।
क्या वायरल हो रहा है?
X यूजर Om Prakash ने वायरल वीडियो को अपनी प्रोफाइल पर शेयर किया है।
अन्य यूजर्स भी इसी वीडियो को समान दावों के साथ शेयर कर रहे हैं।
कैसे हुई पड़ताल?
हमने InVid टूल पर वीडियो अपलोड किया, जिससे कई कीफ्रेम मिले। हमने एक-एक कीफ्रेम को गूगल रिवर्स इमेज सर्च में डाला। रिवर्स इमेज सर्च के माध्यम से हमें एक इंस्टाग्राम रील मिली, जिसे 31 जनवरी को पोस्ट किया गया था। इससे संकेत मिलता है कि यह वीडियो किसानों के हालिया विरोध प्रदर्शन का नहीं है, क्योंकि विरोध प्रदर्शन 13 फरवरी के आसपास शुरू हुआ था।
X पर अपलोड किये वीडियो पर एक कमेंट में बताया गया है कि यह वीडियो किसानों के विरोध प्रदर्शन का नहीं है।
कीवर्ड सर्च से हमें घटना की कई खबरे मिलीं। हमें इस घटना के बारे में दैनिक जागरण के अंग्रेजी संस्करण पर एक रिपोर्ट मिली।

रिपोर्ट में बताया गया है: यह घटना तरनतारन के पहुविंड गांव का है। दिवंगत सिख अलगाववादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के पोस्टर को कथित तौर पर “हटाने” को लेकर भीड़ ने पंजाब के तरनतारन में एक गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और सदस्यों पर हमला किया। पुलिस ने सोमवार को बताया कि लाठियों और तलवारों से लैस भीड़ ने समिति के अध्यक्ष की कार पर कहर बरपाया, जिसमें एक पुलिस अधिकारी और समिति के सदस्य घायल हो गए।
इसके अलावा भी कई खबरों में घटना का जिक्र मिलता है। सभी खबरें एक महीने से अधिक पुरानी हैं।
निष्कर्ष: लोगों द्वारा पुलिस पर हमले का वायरल वीडियो हाल के किसानों के विरोध प्रदर्शन का नहीं है, बल्कि भिंडरावाले के पोस्टर को हटाने को लेकर तरनतारन गुरुद्वारे में हुई झड़प का है। वायरल दावा झूठा है।