लाइटहाउस जर्नलिज्म को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया जा रहा एक वीडियो मिला। वीडियो में एक व्यक्ति छात्रों को संस्कृत पढ़ाते हुए दिखाई दे रहा है। वीडियो शेयर करते हुए दावा किया जा रहा था कि मुस्लिम संस्थान संस्कृत मंत्र पढ़ा रहे हैं ताकि छात्रों को मंदिर में पुजारी का पद मिल सके। पड़ताल के दौरान हमने पाया कि दावा भ्रामक है।
क्या वायरल हो रहा है?
फेसबुक यूजर ‘सनातन धर्म रक्षक‘ जिनके करीब 5.3K फॉलोवर है उन्होंने ये वीडियो शेयर किया है।

इस पोस्ट का आर्काइव वर्जन देखे।
इस वीडियो को अन्य यूजर्स भी कुछ महीनों से शेयर कर रहे हैं।
कैसे हुई पड़ताल?
हमने वीडियो डाउनलोड करके और फिर उसे InVid क्रोम एक्सटेंशन में अपलोड करके अपनी जांच शुरू की। InVid से हमें वीडियो के कई फ्रेम मिल गए। उन कीफ़्रेम्स पर रिवर्स इमेज सर्च के दौरान हमें द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट मिली।

रिपोर्ट में लिखा था, मलिक दीनार इस्लामिक कॉम्प्लेक्स (एमआईसी) द्वारा संचालित शरिया और उन्नत अध्ययन अकादमी (एएसएएस) हाल ही में हिंदू विद्वानों की मदद से अपने छात्रों को संस्कृत, जिसे ‘देव भाषा’ भी कहा जाता है, पढ़ाकर एक उदाहरण स्थापित करने के लिए चर्चा में है। संस्थान ने कहा कि प्राचीन और शास्त्रीय भाषा को पढ़ाने के लिए एक संरचित पाठ्यक्रम लाने का निर्णय छात्रों में अन्य धर्मों के बारे में ज्ञान और जागरूकता पैदा करने के लिए लिया गया था।
इसके बाद हमने गूगल पर कीवर्ड सर्च किया और हमें केरल के एक इस्लामिक संस्थान में संस्कृत पढ़ाए जाने के बारे में कई खबरें मिलीं।
हमें घटना के बारे में एक वीडियो रिपोर्ट भी मिली।
निष्कर्ष: केरल स्थित इस्लामिक इंस्टीट्यूट में पढ़ाई जा रही भगवत गीता, संस्कृत का वीडियो भ्रामक दावों के साथ साझा किया जा रहा है। मंदिर के पुजारी का पद पाने के लिए मुसलमानों को संस्कृत नहीं सिखाई जा रही।