डच व्यापारी फ्रेंचिस्को पेल्सर्ट (Francisco Pelsaert) जब सत्रहवीं शताब्दी में मुगल दरबार में पहुंचे तो सबसे पहले उनकी नजर किन्नरों पर पड़ी, जो ‘ख्वाजासरा’ कहे जाते थे। मुगल काल में किन्नर एक तरीके से पावर सेंटर बन गए थे। दरबार से लेकर हरम तक, उनकी अलग-अलग भूमिकाएं थीं। अपने यात्रा वृत्तांत में पेल्सर्ट लिखते हैं कि किन्नर जो चाहते उन्हें वो सारी सुख-सुविधाएं और ऐशो-आराम की चीजें मिलती थीं। अच्छे से अच्छे कपड़े, एक से बढ़कर एक ताकतवर घोड़े और तमाम दूसरी चीजें एक इशारे पर उपलब्ध थीं।

चर्चित स्कॉलर शॉन मारमॉन ( Shaun Marmon) अपनी किताब ‘यूनख्स एंड सेक्रेड बाउंड्रीज इन इस्लामिक सोसायटी’ (Eunuchs and sacred boundaries in Islamic society) में लिखती हैं कि इस्लामिक कल्चर में किन्नरों का बड़ा लंबा इतिहास और मजबूत सत्ता रही है। सन 1925 में मदीना में पैगंबर मोहम्मद की कब्र के बाहर भी किन्नरों बतौर गार्ड तैनात रहते थे। इस्लामिक सत्ता में किन्नरों की मजबूत भूमिका देखी गई है।

हरम से लेकर कोर्ट तक किन्नरों की ‘सत्ता’

मशहूर इतिहासकार शादाब बानो (Shadab Bano) एक लेख में लिखती हैं कि मुगल साम्राज्य में सिर्फ बाबर और हुमायूं के शासनकाल में किन्नरों का बहुत कम जिक्र मिलता है। इसके अलावा मुगल सल्तनत के जितने बादशाह हुए सबकी कोर्ट में किन्नरों के खास जगह थी।

फतेहपुर सीकरी में मुगल हरम। (Wikimedia Commons)

किन्नरों के कंधे पर दो अहम जिम्मेदारी थी

अकबर के शासनकाल में तो किन्नर एक तरीके से सत्ता का केंद्र बन गए। मशहूर इतिहासकार रूबी लाल अपनी किताब में लिखती हैं कि अकबर के शासन काल में हरम (Mughal Harem) को अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया। इसकी रखवाली की जिम्मेदारी किन्नरों को सौंपी गई और वही हरम के केंद्र थे। वह लिखती हैं कि हरम में कई लेयर की सुरक्षा होती थी। सबसे पहले राजपूत सुरक्षाकर्मी होते थे और सबसे अंदर किन्नरों का सुरक्षा घेरा होता था।

बहादुर शाह जफर का वफादार किन्नर खवाश खान (Khawas Khan) – (Saeed Motamed collection)

किन्नर ही यह तय करते थे कि हरम में किसे एंट्री मिलेगी और किसे नहीं। ‘अकबरनामा’ में नियामत नाम के एक ऐसे किन्नर का जिक्र मिलता है, जिसने बादशाह अकबर के सौतेले भाई अधम खान को हरम में जाने से रोक दिया था। अकबर के शासन काल में इतिमाद खान (Itimad Khan) नाम का एक किन्नर अफसर था, जो बहुत ताकतवर था। उसके पास सिक्योरिटी से लेकर जैसे वित्त जैसी अहम जिम्मेदारी थी। बादशाह अकबर उससे तमाम मसलों पर सलाह लिया करते थे।

हरम की सुरक्षा के अलावा किन्नर जासूसी का काम भी किया करते थे। इतिहासकार लिखते हैं कि मुगल हरम एक ऐसी जगह थी, जहां सियासत भी कम नहीं थी। ऐसे में किन्नर तमाम कानाफूसी पर नजर रखते और इसे बादशाह तक पहुंचाया करते थे।