रूस और यूक्रेन के बीच में पिछले तीन सालों से भी ज्यादा वक्त से भीषण युद्ध जारी है। इस युद्ध में सैकड़ों लोगों की जान गई है, कई सैनिक मारे गए हैं और लाखों लोग विस्थापित भी हुए हैं। इस बीच अब बातचीत की कोशिश भी तेज हो चुकी है, रूस और यूक्रेन के बीच में कैसे युद्ध विराम करवाया जाए, इसके प्रयास हर तरफ से हो रहे हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद पुतिन और जेलेंस्की से मुलाकात कर चुके हैं।

लेकिन इस बीच जानकार मानते हैं कि यह शांतिवार्ता इतनी आसान नहीं रहने वाली है। यहां भी सबसे ज्यादा विवाद यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र को लेकर चल रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि किसी भी कीमत पर यूक्रेन डोनबास क्षेत्र को नहीं खोना चाहेगा। यहां आपको पांच कारण बताते हैं जिस वजह से यूक्रेन डोनबास के साथ किसी भी तरीके का समझौता नहीं करेगा-

करण नंबर एक: पब्लिक ऑपिनियन इसके खिलाफ

कीव इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशियोलॉजी ने कुछ दिन पहले एक सर्वे किया था। उसमें पता चला कि 75% यूक्रेन के लोग मानते हैं कि जेलेंस्की को उनके देश की जमीन का कोई भी टुकड़ा रूस के हवाले नहीं करना चाहिए। इसके ऊपर यूक्रेन का संविधान भी अपनी जमीन के सरेंडर की बात नहीं करता है।

करण नंबर दो: डोनबास की अहमियत

डोनबास में रूस और यूक्रेन के बीच में पिछले कई सालों से युद्ध की स्थिति बनी हुई है। यूक्रेन के लिए यह इलाका सिर्फ लॉजिस्टिकल और इंडस्ट्रियल हब नहीं है बल्कि रक्षा के लिहाज से भी काफी अहमियत रखता है। जानकार मानते हैं कि अगर डोनबास वाला क्षेत्र रूस के कब्जे में चला गया तो यूक्रेन की सुरक्षा के साथ ही सीधा समझौता होगा। माना तो यह भी जा रहा है कि इतने महत्वपूर्ण इलाके को लेकर अगर सरेंडर किया गया तो यूक्रेन की सेना का मनोबल भी टूट जाएगा।

करण नंबर तीन: जमीन के बदले शांति नहीं चाहता यूक्रेन

यहां पर एक समझने वाली बात यह भी है कि यूक्रेन जमीन के बदले शांति के पक्ष में नहीं है। इसके ऊपर क्रीमिया वाला अनुभव यूक्रेन अभी भूला नहीं है। 2014 में यूक्रेन ने यह इलाका रूस को गंवा दिया था। जानकर तो यहां तक मानते हैं कि अगर यूक्रेन ने डोनबास इलाके को गंवा दिया, उस स्थिति में आने वाले सालों में रूस एक बार फिर हमला करेगा और उनकी और जमीन पर अतिक्रमण करने की कोशिश रहेगी।

करण नंबर चार: यूक्रेन की होगी नैतिक हार

अगर यूक्रेन डोनबास क्षेत्र को गंवा देता है, उस स्थिति में यह उसकी नैतिक हार भी होगी। यह नहीं भूलना चाहिए कि 2022 में रूस ने जब यूक्रेन पर हमला किया था, तब सबसे बड़ा आरोप राष्ट्रपति पुतिन की तरफ से यह था कि पूर्वी यूक्रेन के इलाकों में रूसी भाषा बोलने वाले लोगों पर अत्याचार हो रहा है। इसी वजह से उन्होंने एक स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन चलाने की बात कही थी। ऐसे में अगर यूक्रेन अब सरेंडर कर देता है, उस स्थिति में पुतिन के दावे सही साबित होंगे जो कूटनीतिक लिहाज से यूक्रेन के लिए ही बड़ा झटका साबित होगा।

करण नंबर पांच: डोनबास गंवाना शर्म की बात

व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जब जेलेंस्की से मुलाकात हुई थी, यूक्रेनी प्रेसिडेंट ने साफ कहा था कि डोनबास इलाके की लड़ाई में उनके दादा ने भी विश्व युद्ध दो के दौरान हिस्सा लिया था। उन्होंने जोर देकर कहा था कि कई दूसरे परिवारों ने भी अपनी कुर्बानी इस क्षेत्र के लिए दी है। ऐसे में अगर डोनबास क्षेत्र को जेलेंस्की रूस को देने को तैयार हो जाते हैं, उस स्थिति में उनके लिए निजी तौर पर भी शर्म की बात होगी।