अर्जुन सेनगुप्ता

लीप डे (29 फरवरी, 1896) को पैदा होने वाले मोरारजी देसाई देश के छठे प्रधानमंत्री थे। यही वजह रही कि 99 साल के उनके जीवन में 25 से भी कम बार उनका जन्मदिन आया। वे पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे। वे मात्र दो साल तक ही प्रधानमंत्री रह पाए, मगर इस संक्षिप्त कार्यकाल उन्होंने अपने बारे में एक ऐसी बात बताई, जो अब किंवदंती बन गई है।  

वह किंवदंती यह है कि मोरारजी देसाई अपने मूत्र का सेवन करते थे। ‘मोरारजी कोला’ जैसे मजाक के साथ-साथ कुछ हलकों में यह गंभीर चर्चा का विषय भी रहा।  लेकिन क्या ये वाकई सच है? या फिर ‘मोरारजी कोला’ की कहानी सिर्फ एक और शहरी किंवदंती है?

देसाई की अमेरिका यात्रा

साल 1978 की बात है। मोरारजी देसाई की उम्र 80 से ज्यादा हो गई थी। लेकिन राजनीति में वह पूरी तरह सक्रिय थे और देश की कमान संभाल रहे थे। इंदिरा गांधी द्वारा लगाए आपातकाल के बाद देसाई कुछ बड़े बदलाव लाने का वादा कर प्रधानमंत्री बने थे। वादों की लंबी सूची में से एक था भारत के सोवियत समर्थक झुकाव को ख़त्म करना, जो 1971 में भारत-सोवियत संधि पर हस्ताक्षर के बाद विशेष रूप से मजबूत हो गया था।

देसाई ने अमेरिका के साथ भारत के तत्कालीन तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने की कोशिश की। जनवरी 1978 में अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने भारत का दौरा किया और जून देसाई अमेरिका गए। लेकिन प्रधानमंत्री की वह यात्रा उनकी राजनीतिक कुशलता और भारत की विदेश नीति के लिए नहीं, बल्कि मोरारजी देसाई के मूत्र पान के बयान के लिए चर्चा में आया।

जब अमेरिकी पत्रकार को देसाई ने बताया मूत्र पीने के फायदे

अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान मोरारजी देसाई ने सीबीएस की साप्ताहिक समाचार पत्रिका ’60 मिनट्स’ को एक इंटरव्यू दिया। इंटरव्यू करने वाले पत्रकार का नाम डैन राथर था। पत्रकार ने प्रधानमंत्री से पूछा कि 82 वर्ष की उम्र में भी वह इतने कैसे स्वस्थ्य हैं, इसका क्या राज़ है?

जवाब में देसाई ने बताया कि उनके आहार में फलों और सब्जियों के रस, ताजा दूध, सादा दही, शहद, ताजे फल, कच्चे मेवे शामिल हैं। वह हर दिन लहसुन की पांच कलियाँ खाते हैं। उन्होंने आगे कहा, “और मैं हर सुबह खाली पेट अपना मूत्र पीता हूं।” यह सुनते ही पत्रकार ने मुंह बना लिया। उसने पूछा- क्या आप अपना मूत्र पीते हैं? इससे घृणित बात मैंने कभी नहीं सुनी।

हालांकि पत्रकार की प्रतिक्रिया का देसाई पर कोई असर नहीं पड़ा और उन्होंने मूत्र पीने को “प्राकृतिक उपचार” बताते हुए कहा, “यदि आप जानवरों को देखेंगे, तो पाएंगे कि वे फिट रहने के लिए अपना मूत्र पीते हैं… मेरे देश में माताएं बच्चों को पेट दर्द होने पर उनका मूत्र पिलाती हैं। हिंदू दर्शन में… गाय के मूत्र को पवित्र माना गया है, और हर अनुष्ठान में इसका प्रयोग किया जाता है। लोगों को इसे अवश्य पीना चाहिए।”

देसाई ने यह भी बताया कि कैसे अमेरिकी वैज्ञानिक हृदय की समस्याओं के लिए मूत्र अर्क तैयार कर रहे थे। उन्होंने कहा, “आपके लोग दूसरे लोगों का मूत्र तो पी रहे हैं, लेकिन अपना नहीं। वह इसके लिए हजारों डॉलर खर्च करते हैं, जबकि आपका अपना मूत्र मुफ़्त और अधिक प्रभावी है।”

उन्होंने डैन राथर को स्वयं का मूत्र पीने के गुणों के बारे में बताते हुए कहा, “यदि आप अपना सारा मूत्र पी लें तो कुछ ही दिनों में शरीर शुद्ध हो जाता है। तीसरे दिन तक आपका मूत्र बिना किसी रंग, किसी गंध या किसी स्वाद के हो जाएगा और यह लगभग पानी की तरह शुद्ध हो जाएगा। आप बहुत अच्छा महसूस करेंगे क्योंकि आपके सिस्टम में काफी सुधार और सफाई हो गई है।”