सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारडीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच मंगलवार को तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) की ओर से दायर की एक गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसी दौरान एक सदस्‍यीय आयोग के अध्‍यक्ष पद से र‍िटायर्ड जज का इस्‍तीफा आ गया। सुनवाई के दौरान आयोग के रवैये पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने सवाल उठाया था।

याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस रेड्डी के द्वारा प्रेस को दिए गए बयानों पर मौखिक रूप से असहमति जाहिर की। जब अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि उसे जज को बदल देना चाहिए तो सीनियर एडवोकेट डॉक्टर अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से थोड़ी देर का वक्त मांगा और सुनवाई को दोपहर 2 बजे तक स्थगित करने की अपील की।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा- दो बजे तक मुझे नाम दीज‍िए।

2 बजे बाद जब मामले में फिर से सुनवाई शुरू हुई तो सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकर नारायण ने रिटायर्ड जस्टिस रेड्डी का पक्ष रखते हुए रेड्डी के द्वारा आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के फैसले के बारे में बताया।

CJI DY chandrachud CJI Chandrachud,
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़। (Source-PTI)

क्या है पूरा मामला?

केसीआर ने अपनी याचिका में तेलंगाना में 2014 से 2023 तक उनकी सरकार के कार्यकाल के दौरान ऊर्जा खरीद में कथित रूप से हुई गड़बड़ियों की जांच के लिए बनाए गए एक सदस्यीय आयोग को चुनौती दी थी। इस आयोग का नाम जस्टिस एल. नरसिम्हा रेड्डी आयोग है और इसका गठन तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने किया था।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यह एक जांच है और इसका असर कानूनी बाध्यता के रूप में नहीं है।

सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने अदालत में केसीआर का पक्ष रखते हुए कहा, मैं पूर्व मुख्यमंत्री हूं, वह वर्तमान मुख्यमंत्री हैं, अदालत पहले ही दिन कैसे मामले को खारिज कर सकती है, कैसे किसी मामले को बिना जवाब लिये पहले ही दिन खारिज किया जा सकता है।

रोहतगी ने कहा कि साफ तौर पर यह मामला राजनीतिक रूप से बदला लेने का है और ऐसा नई सरकार के आने के बाद से शुरू हुआ है।

cji dy chandrachud। chandrachud Supreme Court
लखनऊ में डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़। (Source-ANI स्क्रीन ग्रैब )

रोहतगी ने कहा कि यह साफ है कि ऐसा केवल चुनाव आते ही हुआ है। लोग पब्लिक कांट्रैक्ट पर से भरोसा खो चुके हैं। मैं यह दिखाऊंगा कि जब 2014 में राज्य का बंटवारा हुआ था तब मैंने राज्य सरकार से इसे सबसे कम दरों पर खरीदा था और आज भी यह मामला अदालत के सामने लंबित है और इसमें कर्मचारी और किसान अदालत के सामने पेश होते हैं। (यह मामला दो राज्यों तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच का है।)

रोहतगी की बातें सुनने के बाद सीजेआई ने कहा कि यह मामला लोगों के हित से जुड़ा है।

रोहतगी ने कहा कि अगर दो राज्यों के बीच कोई समझौता है तो इस पर दोनों राज्यों के अफसरों द्वारा दस्तखत किए जाते हैं। इस मामले में प्रधान सचिवों ने दस्तखत किए थे। यह पूरा मामला राजनीतिक रूप से बदला लेने का लगता है।

CJI Chandrachud | CJI DY Chandrachud Templ visit
एक मंद‍िर में सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud)। (फाइल फोटो/इंड‍ियन एक्‍सप्रेस)

राज्य सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केसीआर को कई अन्य लोगों के साथ 11 अप्रैल को नोटिस जारी किया गया था और तब केसीआर ने नोटिस को चुनौती देने के बजाय जून के अंत तक जवाब देने के लिए समय मांगा था। तब (रिटायर्ड) जस्टिस आयोग ने उन्हें 15 जून तक जवाब दाखिल करने की इजाजत दी थी। 

जस्टिस रेड्डी की ओर से अदालत में पेश हुए सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि जस्टिस रेड्डी के खिलाफ पक्षपात का आरोप इसलिए लगाया जा रहा है क्योंकि उन्होंने केवल यह खुलासा किया था कि केसीआर ने जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था।

सीजेआई ने सिंघवी से कहा कि हम आपको इस आयोग में जज को बदलने का मौका देते हैं। उन्होंने कहा कि न्याय होता हुआ दिखना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि 2 बजे तक सरकार की ओर से नाम बताया जाए जिसे आयोग का अध्यक्ष बनाया जा सके।

इसके बाद सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि जस्टिस रेड्डी आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना चाहते हैं।