फर्जी दावे के साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी की वीडियो चलाने वाले एंकर रोहित रंजन को छत्तीसगढ़ पुलिस तलाश रही है। 5 जुलाई को छत्तीसगढ़ पुलिस जी न्यूज से जुड़े एंकर रोहित को गिरफ्तार करने उनके घर पहुंची थी, तभी यूपी पुलिस एक एफआईआर का हवाला देकर उन्हें अपने साथ ले गयी। अब रोहित फरार बताए जा रहे हैं। इस मामले में राहत पाने की उम्मीद से रोहित के वकील सिद्धार्थ लूथरा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं, कोर्ट 7 जुलाई को सुनवाई के लिए तैयार हो गयी है। टीवी मीडिया के एंकर्स द्वारा फेक न्यूज फैलाने या गलत संदर्भ में वीडियो/फोटो चलाने का ये कोई पहला मामला नहीं है। पहले भी ऐसे कई फेक न्यूज चलाए जा चुके हैं, जिनके गंभीर परिणाम हो सकते थे। आइए ऐसे ही तीन एंकर्स के बारे में जानते हैं जिन्होंने फेक न्यूज तो फैलाएं लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
1. टाइम्स ग्रुप के हिन्दी न्यूज चैनल ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ ने अपने शो ‘न्यूज की पाठशाला’ में 22 अप्रैल 2022 को फेक न्यूज चलाया था। शो के एंकर सुशांत सिन्हा ने दावा किया था कि राजस्थान के अलवर में हिन्दू महिला का घर तोड़ दिया गया, लेकिन बगल में ही स्थित मुस्लिम दुकानदार की दुकान को छोड़ दिया गया। सुशांत अपनी इस रिपोर्ट के जरिए राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर हिन्दू विरोधी होने का आरोप लगा रहे थे। उन्होंने यह भी दावा किया था कि कांग्रेस सरकार ‘जहांगीरपुरी के बुलडोज़र का बदला राजस्थान में ले रही है’ हालांकि उनकी यह रिपोर्ट पूरी तरह फर्जी थी।
दिल्ली के जहांगीरपुरी में 20 अप्रैल को बुलडोजर चला था, जबकि राजस्थान के अलवर में दुकानों और मकानों को हटाने की कार्रवाई 17-18 अप्रैल को ही हो गई थी। जहां तक भंवरी देवी का घर तोड़ने और बगल के ‘ज़ाकिर खान मेटर्स’ नाम की दुकान पर कार्रवाई न करने का सवाल है, तो उसके पीछे अलग कहानी है।
ऑल्ट न्यूज की पड़ताल के मुताबिक, ‘ज़ाकिर खान मेटर्स’ जिस भवन में है, उस भवन के मालिक का नाम मनीष दीक्षित है। जाकिर उस भवन में किराये पर कमरा लेकर अपनी दुकान चलाते हैं। प्रशासन की कार्रवाई में वकील मनीष दीक्षित के भवन को इसलिए नहीं गिराया गया क्योंकि उन्होंने अपने भवन के बाहर 2007 का एक नोटिस चिपका रखा था। नोटिस में कलेक्टर के हस्ताक्षर के साथ यह बताया गया था कि भवन बाधित नहीं है। मनीष के पास कोर्ट का आदेश भी है जिसमें उन्हें प्रॉपर्टी से बेदखल न करने और उसे नहीं तोड़ने की बात लिखी है। फेक न्यूज चलाने के इस मामले में एंकर सुशांत सिन्हा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।
2. टाइम्स ग्रुप के ही अंग्रेजी न्यूज चैनल टाइम्स नाउ ने चीनी सैनिकों के साथ भारतीय सैनिकों की हुई भिड़त से जुड़ी फर्जी न्यूज चलाई थी। 15 जून 2020 को लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और भारतीय सेना के बीच हिंसक झड़प हुई थी। 17 जून तक कई भारतीय सैनिकों की जान जाने की पुष्टि हो चुकी थी, लेकिन चीन ने अपने सैनिकों की मौत से जुड़ा कोई आंकड़ा जारी नहीं किया था। बावजूद इसके 17 जून को टाइम्स नाउ ने फेक व्हाट्सएप फॉरवर्ड के आधार पर 30 चीनी सैनिकों की मौत की खबर पूरे आत्मविश्वास के साथ चलाई थी।
एंकर राहुल शिवशंकर और नविका कुमार ने अनेकानेक जोशीले शब्दों के साथ कथित रूप से मारे गए 30 चाइनीज सैनिकों के नाम भी पढ़े थे। स्क्रीन पर लगातार इससे जुड़े ब्रेकिंग फ्लैश हो रहे थे, दनादन टिकर बदल रहे थे। नविका इसे चाइनीज मीडिया हाउस ग्लोबल टाइम्स से प्राप्त सूचना बता रही थीं, जबकि यह एक फेक फॉरवर्ड था।
यह अंतरराष्ट्रीय संबंध से जुड़ी हाई वैल्यू खबर थी, जिसे पूर जिम्मेदारी और क्रॉस चेक के बाद दिखाया जाना चाहिए था। लेकिन लगातार कई मिनट तक फेक न्यूज चलाने के बाद अंत में नविका ने बस इतना जोड़ा कि यह फ़ेक फॉरवर्ड भी हो सकता है। यानी स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया गया कि प्रसारित की जा रही सूचना फेक है या नहीं। टाइम्स नाउ के ट्विटर हैंडल से भी 30 चीनी सैनिकों के मारे जाने की फेक खबर साझा की गई थी, जिसे बाद में डिलीट कर दिया गया। इस मामले में दोनों एंकर्स पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।
3. रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के हिन्दी न्यूज चैनल ‘रिपब्लिक भारत’ ने 31 अगस्त 2021 को अपने शो ‘पूछता है भारत’ में बसपा नेता को तालिबानी बताया था। शो के एंकर ऐश्वर्या कपूर लगातार तालिबानी नेताओं को आतंकी बताते हुए चर्चा कर रहे थे। उस दौरान स्क्रीन पर तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याक़ूब की फोटो की जगह बहुजन समाज पार्टी के नेता हाजी याक़ूब क़ुरैशी की फोटो दिखाई जा रही थी। फोटो के बगल में लिखा था- तालिबान के क्रूर चेहरे। बता दें कि मुल्ला याक़ूब की फोटो कहीं भी उपलब्ध नहीं है। वहीं हाजी याक़ूब क़ुरैशी मेरठ के बसपा नेता हैं। इस माममे में भी एंकर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई थी।