स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा की याचिका पर सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि IT Rules 2021 के नए संशोधन में आवश्यक सुरक्षा उपायों की कमी है।

कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा दायर हलफनामे को जिक्र करते हुए कहा है, “आप अपने एफिडेविट में कह रहे हैं कि हम पैरोडी और सटायर (व्यंग) को प्रभावित नहीं करेंगे। लेकिन आपका कानून कुछ और कह रहा है। इसमें कोई सुरक्षा नहीं है। हमें देखना होगा।” इस टिप्पणी के बाद कोर्ट ने मामले को 26 अप्रैल सुबह 10 बजे के लिए लिस्ट कर दिया।

हालांकि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह चाहते थे कि मामले को अलगे सप्ताह सुना जाए। उन्होंने कोर्ट से पूछा कि इसे अगले हफ्ते क्यों नहीं सुना जा सकता। इस पर कोर्ट ने कहा, फिर मुझे अपना बहुत महंगा टिकट को कैंसिल करना होगा। अपने परिवार के साथ समय बिताने का जो प्लान किया है, उसे रद्द करना पड़ेगा, जो मैं करने को तैयार नहीं हूं।

क्यों अदालत पहुंचे हैं कुणाल कामरा?

केंद्र सरकार ने 6 अप्रैल को IT Rules में संशोधन कर एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया था। IT Rules में संशोधन के मुताबिक, किसी भी खबर या सोशल मीडिया पोस्ट की सच्चाई की जांच यानी फैक्ट चेक के लिए एक अलग संस्था बनाई जाएगी। सरकार इस संस्था के जरिए ‘फेक न्यूज’ को हटवा सकेगी।

कुणाल कामरा इस संशोधन के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गए। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में “सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम, 2023 के नियम 3(i)(II)(C)” को चुनौती दी है।

उनका दावा है कि इस संशोधन से सरकार मनमाने ढंग से काम करेगी। याचिका में कुणाल ने खुद को एक राजनीतिक व्यंग्यकार बताया है। उनका कहना है कि वह अपना कॉन्टेंट शेयर करने के लिए सोशल मीडिया पर निर्भर हैं। उन्हें आशंका कि ताजा संशोधन के जरिए उन जैसे क्रिएटर्स के कॉन्टेंट पर मनमाने ढंग से रोक जाया जा सकता है।

इतना ही नहीं कामरा को इस बात की भी आशंका है कि इस कानून की मदद से सरकार न सिर्फ उनके सोशल मीडिया पोस्ट को हटा सकती है। बल्कि उनका सोशल मीडिया हैंडल को आंशिक तौर पर या पूर्णत: निलंबित भी कर सकती है। इससे उन्हें नुकसान हो सकता है। कुणाल कामरा ने अपनी याचिका में हालिया संशोधन को आम नागरिक के मौलिक अधिकार के हनन से जोड़ा है।

कामरा की तरफ से कोर्ट में सीनियर एडवोकेट नवरोज सीरवई पेश हो रहे हैं। उन्होंने कोर्ट में दलील दी है कि कानून में इस तरह का बदलाव नागरिकों की बोलने की स्वतंत्रता पर असर डालेगा।

कोर्ट ने केंद्र से मांगा था जवाब

कुणाल कामरा की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। केंद्र ने हलफनामा दायर कर अपना जवाब दिया था। सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने माना की हलफनामे और संशोधित कानून में अंतर है।

बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा, “हलफनामे में कहा गया है कि व्यंग्य आदि को छूट दी जाएगी, लेकिन नियम ऐसा नहीं कहते हैं। यहां समस्या यह है कि नियम भले ही नेक इरादे से क्यों न हो, इसमें आवश्यक सुरक्षा की कमी है।”

IT Rules में क्या हुआ बदलाव?

6 अप्रैल को सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया। बताया गया कि सरकार एक संस्था बनाने जा रही है, जो फैक्ट चेक करेगा। नया बदलाव के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या अन्य मध्यस्थ द्वारा केंद्र सरकार से जुड़ी कोई भी गलत या भ्रामक जानकारी पर तुरंत एक्शन लिया जाएगा। गलत या भ्रामक सूचना को इंटरनेट से हटाने को कहा जाएगा। गलत, भ्रामक या झूठी सूचनाओं की पहचान के लिए एक फैक्ट चेक टीम भी काम करेगी।

कानून कहता है कि अगर सरकार किसी भी सूचना को गलत करार देती है, तो उसे मध्यस्थ कंपनियों को हटना होगा। हालांकि हटाना अनिवार्य नहीं है। लेकिन जो कंपनियां नहीं हटाएंगी उन्हें सेफ हार्बल की सुविधा से वंचित कर दिया जाएगा। साथ ही मामला कोर्ट में भी जाएगा। इस कानून की जद में मीडिया संस्थान भी हैं।