मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। यह मई, 2023 में राज्य में मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच हिंसा शुरू होने के बाद प्रधानमंत्री से उनकी पहली मुलाकात थी। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह गुरुवार शाम को नीति आयोग की बैठक और बीजेपी के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंचे थे।

यहां वह शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मिले थे।

मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की भाजपा के बड़े नेताओं से हुई मुलाकात के बाद यह साफ दिखाई देता है कि पार्टी नेतृत्व की मणिपुर में उनकी जगह किसी नए चेहरे को मुख्यमंत्री बनाने की कोई योजना नहीं है।

मणिपुर बीजेपी में जिस तरह के अनिश्चितता वाले हालात बने हैं, उससे ऐसा लगता है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के पास बीरेन सिंह को मुख्यमंत्री के पद पर बनाए रखने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। बावजूद इसके कि विपक्ष लगातार उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है।

बीजेपी को लोकसभा चुनाव में मणिपुर में हार मिली है और यहां की दोनों सीटों को कांग्रेस ने एनडीए से छीन लिया है।

200 से ज्यादा मौत, हजारों बेघर

विपक्षी राजनीतिक दल लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर यह कहकर हमला बोलते रहे हैं कि वह राज्य में हिंसा शुरू होने के 14 महीने बाद भी मणिपुर नहीं गए। राज्य में हुई हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है और हजारों लोग बेघर हो चुके हैं।

बीजेपी के भीतर से भी उठी परिवर्तन की मांग

विपक्ष के द्वारा बीरेन सिंह के लगातार इस्तीफे की मांग के अलावा पार्टी के एक वर्ग की ओर से भी भाजपा नेतृत्व से यह मांग की जाती रही है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन किया जाए। बीरेन सिंह लगातार इस तरह की मांग को खारिज करते रहे हैं हालांकि उन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी भी ली थी।

हाल ही में उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा था, ‘काम करने के तरीके को बदलना होगा। केंद्रीय बलों को मणिपुर में राज्य सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों का समर्थन करना चाहिए और यहां के मूल आदिवासी लोगों को यह समझाने में मदद करनी चाहिए कि राज्य सरकार उनके खिलाफ नहीं है।’

बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक मणिपुर में नेतृत्व परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है।

rss| bjp| election result
(बाएं से दाएं) मोहन भागवत और पीएम मोदी (Source- PTI)

बीजेपी के एक सूत्र ने कहा कि पार्टी के पास बहुत ज्यादा रास्ते नहीं हैं। ऐसे नेता जो बीरेन सिंह का इस्तीफा मांग रहे हैं और उनकी जगह पर मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, वह अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं और उन्हें तटस्थ नेता के रूप में नहीं देखा जाएगा।

सूत्र ने कहा कि पार्टी किसी ऐसे नेता को मुख्यमंत्री नहीं बना सकती जो मैतेई या कुकी-जो समुदाय में से किसी एक का पक्ष लेता हुआ दिखाई दे। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना भी अच्छा कदम नहीं होगा क्योंकि इससे पूरे देश भर में बीजेपी शासित राज्यों को लेकर गलत संदेश जाएगा। मणिपुर की राजनीति में इस तरह की चर्चा थी कि राज्य सरकार में मंत्री बिस्वजीत सिंह और गोविंददास कोंथौजम मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे।

मैतेई समुदाय के प्रमुख नेता हैं बीरेन सिंह

बीजेपी नेतृत्व को मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को हटाए जाने पर उनके द्वारा उठाए जा सकने वाले ‘संभावित राजनीतिक कदमों’ को लेकर भी कई तरह की आशंकाएं हैं। बीरेन सिंह मणिपुर में पिछले कुछ सालों में मैतेई समुदाय के सबसे प्रमुख नेता के रूप में उभरे हैं।

बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि बीरेन सिंह के परिवार के अभी भी कांग्रेस से मजबूत संबंध हैं। बीरेन सिंह 2016 में कांग्रेस से बीजेपी में आए थे। उनके दामाद और विधायक इमो सिंह ने भी 2021 में ऐसा ही किया था।

narendra Modi| amit Shah| chunav parinam
अम‍ित शाह (बाएं) और नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो- PTI)

बीजेपी को है बगावत का डर

भाजपा नेतृत्व को इस बात का डर है कि अगर बीरेन सिंह को हटाया जाता है तो इससे पार्टी के कुछ विधायक बगावत कर सकते हैं। मणिपुर में पार्टी के मामलों को संभाल चुके बीजेपी के केंद्रीय स्तर के एक नेता ने कहा कि बीरेन सिंह को संभालना मुश्किल है। वह मैतेई समुदाय के एक मजबूत नेता बनकर उभरे हैं।

लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान विपक्ष ने मणिपुर के हालात को एक बड़ा मुद्दा बनाया था और राज्य में अगर कोई बड़ा कदम उठाया जाता है तो इसका महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के चुनाव में असर हो सकता है।

न सिर्फ मणिपुर बल्कि मणिपुर से लगते हुए राज्य नागालैंड की एकमात्र लोकसभा सीट पर कांग्रेस को मिली जीत से बीजेपी को झटका लगा है। बीजेपी ने अरुणाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की है लेकिन सिक्किम में उसे एक भी सीट पर जीत नहीं मिली।

भाजपा नेतृत्व को इस बात की भी चिंता है कि म्यांमार में शरणार्थियों के संकट और बांग्लादेश में जिस तरह का घटनाक्रम चल रहा है, उसका पूर्वोत्तर के इलाके पर क्या असर पड़ेगा। मिजोरम और नागालैंड ने म्यांमार से आने वाले चिन-कुकी-ज़ो और नागा शरणार्थियों का स्वागत किया है जबकि मणिपुर ने ऐसे कई लोगों को वापस कर दिया है, जो म्यांमार से उसकी सीमा में आए थे।

Narendra Modi
अपने दम पर बहुमत नहीं ला सकी बीजेपी।

शांति स्थापित करना एकमात्र उद्देश्य

पूर्वोत्तर में बीजेपी के कामकाज को समझने वाले एक नेता ने कहा कि मणिपुर में मौजूदा हालात में शांति स्थापित करना ही एकमात्र उद्देश्य है। हमें बस इतना करना है कि दोनों पक्षों (मैतेई और कुकी-जो) को बातचीत के लिए टेबल पर लाना है और यह किसी एक नए राज्य के बारे में और लोगों को राज्य से बाहर निकालने के बारे में नहीं होना चाहिए। यह आपसी तालमेल को लेकर होना चाहिए और मुख्यमंत्री को ऐसा करना होगा।

बीजेपी के एक नेता ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर बीजेपी के नेताओं से विशेष रूप से कहा है कि वह किसी तरह का आरोप-प्रत्यारोप नहीं चाहते लेकिन एक टाइम बाउंड शांति का एजेंडा चाहते हैं।