जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या से दुनिया स्तब्ध है। शिंजो न सिर्फ जापान के सबसे लंबे वक्त तक पीएम रहने वाले नेता थे, बल्कि पिछले तीन दशकों में सबसे ज्यादा पहचाने जाने वाले जापानी राजनेता भी थे। 2020 में स्वास्थ्य कारणों से पीएम पद छोड़ने के बावजूद शिंजो जापान की बड़ी शख्सियत थे। देश के पश्चिमी हिस्से नारा में उन पर उस वक्त हमला हुआ, जब वह अपर हाउस के लिए होने वाले चुनाव का प्रचार कर रहे थे। हमले के इस दृष्य ने जापानी नागरिकों की स्मृति में धुंधली पड़ रही एक तस्वीर को अचानक ही ताजा कर दिया होगा। दरअसल पहले भी इसी तरह जापान के एक नेता की हत्या चुनाव प्रचार के दौरान हो चुकी है।

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जब तलवार से हुआ वार : सन् 1960 में अक्टूबर महीने की 12 तारीख थी। राजधानी टोक्यो के हिबिया हॉल में एक पॉलिटिकल डिबेट का आयोजन किया गया था, जो टीवी पर लाइव दिखाया जा रहा था। चुनावी बहस के इस मंच पर मौजूद थे जापान सोशलिस्ट पार्टी के नेता इनेजिरो असानुमा और जापानी प्रधानमंत्री हयातो इकेदा। हॉल में करीब 1000 लोग थे। तभी जैकेट के भीतर स्कूल ड्रेस पहना एक 17 वर्षीय लड़का मंच की तरफ भागता है। लड़के का नाम ओटोया यामागुची था। उसके हाथ में एक पारंपरिक जापानी समुराई तलवार थी, जिसकी लंबाई करीब एक फुट थी। मंच पर खड़े समाजवादी नेता कुछ समझ और संभल पाते उससे पहले ही, उस दक्षिणपंथी अतिराष्ट्रवादी लड़के ने हमला कर दिया। तलवार इनेजिरो के पेट में घुस गई। ईलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया जाता उससे पहले ही उनकी की मौत हो गई।

प्रत्यक्षदर्शी बताते है कि यामागुची हिरासत में लिए जाने के दौरान मुस्कुरा रहा था। उसने पुलिस को खंजर घोंपने का मकसद नहीं बताया लेकिन जुवेनाइल डिटेंशन सेल की उसकी हरकतों और जांच से सब खुलासा हो गया। हमले की रोज ओटोया यामागुची अकेले नहीं आया था। उसके साथ चरम दक्षिणपंथी गिरोह ग्रेट जापान पैट्रियटिक सोसाइटी के लगभग 100 अन्य सदस्य भी आए थे। ओटोया भी इस गिरोह का सदस्य था। हत्या के तीन सप्ताह के बाद ओटोया यामागुची ने जुवेनाइल डिटेंशन सेल में आत्महत्या कर ली थी। अभी मुकदमे की सुनवाई शुरू भी नहीं हुई थी। आत्महत्या के लिए ओटोया ने चादर से फांसी का फंदा बनाया था। जान देने से पहले उसने दीवार पर टूथपेस्ट से लिखा था, ”मेरे देश के लिए सात जिंदगियां कुर्बान, शाही महामहिम सम्राट लंबे समय तक जीवित रहें” यह जापान के सैन्य रणनीतिकार कुसुनोकी मासाशिगे के अंतिम शब्द थे, जो युद्ध के मैदान में मर गए थे।

आत्महत्या के बाद ओटोया यामागुची जापानी राजनीति में दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों का हीरो बन गया। इनेजिरो असानुमा पर हमले की तस्वीर बीसवीं सदी की सबसे प्रसिद्ध तस्वीरों में शुमार है। उस घटना की तस्वीर को पुलित्जर पुरस्कार भी मिल चुका है।