शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अकाल तख्त के जत्थेदार को पत्र लिखकर अपनी गलतियों के लिए माफी तो मांग ली है लेकिन पंजाब में सिख पंथ के मामलों के जानकारों का कहना है कि सुखबीर बादल की माफी का कोई मतलब नहीं है। उनका यह भी कहना है कि अकाली दल और एसजीपीसी ने अपने निजी फायदे के लिए अकाल तख्त की राजनीति को इस्तेमाल करके खुद को बेनकाब कर लिया है।
बताना होगा कि अकाली दल में पिछले कुछ महीनों से लगातार घमासान चल रहा है और घमासान के बीच ही जब सुखबीर बादल ने माफी मांगी तो इसे लेकर पंजाब की राजनीति में जोरदार चर्चा हो रही है। हालांकि अकाल तख्त ने अभी सुखबीर की माफी को लेकर फैसला नहीं लिया है।
सुखबीर ने क्या कहा था पत्र में?
सुखबीर बादल ने अपने पत्र में कहा था कि अकाली दल के सत्ता में रहने के दौरान हुई सभी प्रकार की गलतियों के लिए वह बिना शर्त माफी मांगते हैं। उन्होंने लिखा था कि चाहे गलतियां अनजाने में हुई या जानबूझकर, उन्हें इनके लिए माफ कर दिया जाए।
क्या हुआ था बादल सरकार के कार्यकाल के दौरान?
अक्टूबर, 2015 में पंजाब के फरीदकोट जिले के गांव बरगाड़ी के एक गुरुद्वारे के बाहर गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटना हुई थी। इस घटना को लेकर पंजाब में जबरदस्त बवाल हुआ था और सिख समुदाय सड़कों पर उतर आया था। दुनिया के कई देशों में सिख समुदाय की ओर से बेअदबी की घटना को लेकर जबरदस्त प्रदर्शन किया गया था।
पंजाब में जब विरोध प्रदर्शन उग्र हो गया था तो पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर कोटकपुरा में लाठीचार्ज कर दिया था और पुलिस ने गोलियां भी चलाई थी जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी। उस वक्त पंजाब सरकार में प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री थे और सुखबीर सिंह बादल उप मुख्यमंत्री थे।
2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में बेअदबी का यह मामला बड़े पैमाने पर गूंजा था और अकाली दल-बीजेपी की सरकार की करारी हार हुई थी। चुनाव के बाद जब कांग्रेस सत्ता में आई थी तब कांग्रेस में भी बेअदबी कांड के दोषियों पर कार्रवाई न होने को लेकर पार्टी नेताओं के बीच जुबानी जंग देखने को मिली थी।
बागी नेताओं को कर दिया था पार्टी से बाहर
बताना होगा कि सुखबीर बादल ने कुछ दिन पहले ही पार्टी के बड़े नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। जिन नेताओं को बाहर निकाला गया था, उनमें शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की पूर्व अध्यक्ष बीबी जागीर कौर, पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा, पूर्व मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा, सिकंदर सिंह मलूका, सुरजीत सिंह रखड़ा, पूर्व विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला, सुरिंदर सिंह ठेकेदार और सुखबीर सिंह बादल के राजनीतिक सचिव चरणजीत सिंह बराड़ का नाम शामिल है।
लेकिन अकाली दल सुखबीर सिंह बादल के साथ पूरी मजबूती के साथ खड़ा है। पार्टी की वर्किंग कमेटी और कोर कमेटी ने सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व पर मोहर लगाई है।
बताना होगा कि अकाली दल के बागी नेताओं की ओर से लगातार बादल पर पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने और पार्टी की कमान युवा नेताओं के हाथ में देने की मांग की जा रही है।
द ट्रिब्यून ने सुखबीर बादल की माफी के मामले में पंजाब की सियासत और धर्म (पंथ) के बारे में समझ रखने वाले लोगों से बातचीत की है। पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला में सिख धर्म विभाग के प्रोफेसर परमवीर सिंह कहते हैं कि सब बेनकाब हो गए हैं।
नेशनल कॉलेज में प्रोफेसर रहे हरपाल सिंह कहते हैं कि अकाली दल डूब रहा है और वह खुद को फिर से जिंदा करने के लिए माफी का सहारा ले रहा है। वह कहते हैं कि डूबते हुए अकाली दल को तिनका भी नहीं बचा सकता। सिख मामलों के जानकार गुरुदर्शन ढिल्लों कहते हैं कि अकाली दल का सिख धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।
इस्तीफे के बिना गलती स्वीकार करने का कोई मतलब नहीं
तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी केवल सिंह कहते हैं कि इस्तीफा दिए बिना गलती स्वीकार करने और प्रायश्चित करने का कोई मतलब नहीं है। वह कहते हैं कि सुखबीर बादल को यह जवाब देना चाहिए था कि 2007 में डेरा सिरसा पंथ के मुखी के लिए विवादास्पद पोशाक का इंतजाम किसने किया था? उनके खिलाफ एफआईआर क्यों वापस ली गई? किन हालात और दबाव में उन्हें बरी किया गया?
केवल सिंह कहते हैं कि अकाली दल और एसजीपीसी ने राजनीतिक फायदे के लिए के सिख धर्म के विश्वास और अकाल तख्त की मर्यादा को दांव पर लगा दिया।
बादल और करीबियों को हटना होगा: जागीर कौर
सुखबीर बादल के प्रति बगावती तेवर रखने वाले खेमे की प्रमुख नेता और एसजीपीसी की पूर्व अध्यक्ष बीबी जागीर कौर कहती हैं कि यह अच्छा है कि सुखबीर बादल ने गलतियां कबूल कर ली हैं लेकिन जब तक अकाली दल से उन्हें और उनके करीबियों को नहीं हटाया जाता, तब तक कोई हल नहीं हो सकता। बताना होगा कि सुखबीर बादल से पहले बागी धड़े के नेता भी अकाल तख्त पहुंचकर माफी मांग चुके हैं।
सुखबीर सिंह बादल के माफीनामे पर फैसला लेने के लिए अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघुवीर सिंह ने पांचों तख्तों के जत्थेदारों की 30 अगस्त को बैठक बुलाई है।
निश्चित रूप से सुखबीर बादल के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं है। सुखबीर ने अकाल तख्त से माफी तो मांग ली है लेकिन क्या अकाल तख्त और सिख समुदाय से बादल को माफी मिलेगी? यह एक बड़ा सवाल है। बेअदबी कांड के बाद से ही अकाली दल लगातार कमजोर होता गया है और उसे इसे लेकर बहुत सारे सवालों का जवाब देना है।
बागी नेता किसी भी कीमत पर सुखबीर बादल को अध्यक्ष पद से उतारना चाहते हैं। अकाल तख्त बादल को माफी दे भी देता है तो इससे सुखबीर और अकाली दल की मुश्किलें खत्म हो जाएंगी, कहना मुश्किल है।
