भारत का सर्वोच्च न्यायालय इन दिनों समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई को लेकर चर्चा में है। सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ कुल 20 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
बहस के दौरान सीजेआई यह तक कह चुके हैं, जेंडर का जननांग से कोई सीधा संबंध नहीं है, यह उससे कहीं अधिक जटिल है। गौरतलब है कि साल 2018 में आईपीसी की धारा 377 को कोर्ट द्वारा निरस्त किए जाने के बाद से भारत में समलैंगिकता अपराध नहीं है।
हालांकि समलैंगिकता पर अब भी एक वर्ग की राय भिन्न है। खासकर अति-धार्मिक लोगों का एक वर्ग इसके खिलाफ अधिक मुखर नजर आता है। दूसरी तरफ पौराणिक आख्यानों के मशहूर लेखक देवदत्त पटनायक हैं, जो अपनी किताब ‘धर्म और समलैंगिकता’ में विभिन्न धर्मों के हवाले से यह साबित करते हैं कि हमारे आसपास समलैंगिकता हमेशा से विद्यमान रहा है।
महाभारत में ट्रांसजेंडर राजा का जिक्र- पटनायक
एबीपी-अनकट को दिए एक इंटरव्यू में देवदत्त पटनायक कहते हैं कि हमारे शास्त्रों में कई ऐसी कहानियां हैं, जहां नपुंषक का जिक्र मिलता है, स्त्री रूपी पुरुष का जिक्र मिलता है, पुरुष रूपी स्त्री का जिक्र मिलता है।
पटनायक रामायण के हवाले से बताते हैं कि गोस्वामी तुलसीदास ने रामरचित मानस में ‘नर, नपुंषक, नारी’ का जिक्र किया है। वह केवल नर और नारी तक नहीं रुक रहे हैं। और यह कॉन्सेप्ट शास्त्रों में बहुत सामान्य है।
रामायण के बाद पटनायक महाभारत पर आते हैं। वह कहते हैं, महाभारत में भंगस्वाना की कहानी है। युधिष्ठिर ब्रह्मचारी भीष्म से पूछते हैं कि रतिक्रिया (शारीरिक संबंध) से स्त्री को सुख मिलता है या पुरुष को? इस सवाल के जवाब में ब्रह्मचारी भीष्म उत्तर देते हैं कि यह जानने के लिए तुम्हे दोनों शरीर का अनुभव करना पड़ेगा। पुरुष का भी, स्त्री का भी। भंगस्वाना नाम का एक राजा था, जिसके पास दोनों शरीर थे, स्त्री का भी और पुरुष का भी। इसे आजकल हम ट्रांसजेंडर कहते हैं।
करीब 1500 जीव-जंतु समलैंगिक
अक्टूबर 2006 में ‘न्यूज मेडिकल लाइफ साइंस’ नामक वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, जीव-जंतुओं की करीब 1500 ऐसी प्रजातियां हैं, जिनमें समलैंगिकता सामान्य है। इन जीव-जंतुओं में कीड़े-मकोड़े, पक्षी, जलीय जीव, स्तनधारी जीव आदि शामिल हैं। ओस्लो विश्वविद्यालय इसे लेकर एक प्रदर्शनी का भी आयोजन कर चुका है।
जिराफ एक ऐसा जानवर है, जिसमें समलैंगिक शारीरिक संबंध दूसरी यौन गतिविधियों की तुलना में 90 प्रतिशत अधिक मिलता है। नर जिराफों में समलैंगिक संबंध ज्यादा देखने को मिलता है। वहीं डॉल्फिन में नर और मादा दोनों समलैंगिक संबंधों में समान रूप से लीन नजर आते हैं।
समलैंगिकता जंगल का राजा कहे जाने वाले शेरों में भी बहुत आम है। अक्सर दो नर शेरों को शारीरिक संबंध बनाते देखा जाता है। जंगली भैसों, लंगूरों, एल्बेट्रास पक्षियों, बॉनोबोसों, हंसों, दरियाई घोड़ों और भेड़ों में भी समलैंगिकता बहुत सामान्य है।
समलैंगिक विवाह को मान्यता क्यों जरूरी?
एबीपी के इंटरव्यू में ही समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के पक्ष में दलील देते हुए देवदत्त पटनायक बताते हैं कि यह इसलिए जरूरी है क्योंकि सरकार ही कई जगहों पर शादी का प्रमाण पत्र मांगती है। मान लीजिए बिना शादी किए किसी समलैंगिक जोड़े का एक पार्टनर मर गया तो बीमा का पैसा किसे मिलेगा, प्रॉपर्टी किसे मिलेगी? यह सब पार्टनर को ही मिले, इसलिए यह एक लीगल रिक्वायरमेंट है।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए देवदत्त पटनायक ने साल 2021 में कहा था कि यदि कोई युवक किसी अन्य व्यक्ति के साथ अपना जीवन व्यतीत करना चाहता है और उस व्यक्ति को अपनी संपत्ति देना चाहता है, कोर्ट को इससे दिक्कत क्यों होगी? क्या वे लोगों की आजादी के खिलाफ हैं?
सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के पक्ष में भी यही दलील है कि समलैंगिक शादी को मान्यता नहीं मिलने से ऐसे जोड़े कई ऐसी सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं जिनका लाभ शादीशुदा जोड़े उठा सकते हैं। जैसे – प्रॉपर्टी में नॉमिनी बनाने से लेकर एडॉप्शन, टैक्स बेनिफिट आदि। इसके अलावा समलैंगिक शादी को क़ानूनी मान्यता न देने को समानता के अधिकार के उल्लंघन से भी जोड़ा जा रहा है।