मुंबई आतंकी हमले की साजिश रचने वाले जकी-उर-रहमान लखवी के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं करने पर पाकिस्तान से ‘‘गहरी चिंता’’ जताते हुए भारत ने आज कहा कि यह पड़ोसी देश अभी भी कुख्यात आतंकी समूहों की सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है।
इस मामले को भारत ने यहां और इस्लामाबाद दोनों जगह पाकिस्तान के समक्ष उठाया। विदेश सचिव सुजाता सिंह ने यहां पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित को तलब कर इस सिलसिले में पड़ोसी देश में किए गए फैसले पर चिंता जताई। पाकिस्तान में भारत के उच्चायोग ने यह मामला पाकिस्तान के विदेश विभाग के समक्ष उठाया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने यहां बताया, ‘‘विदेश सचिव ने आज दोपहर बासित को तलब किया। विदेश सचिव ने पाकिस्तान की आतंक-निरोधी अदालत द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी और मुंबई आतंकी हमले में शामिल लखवी को रिहा करने के आदेश के खिलाफ पाकिस्तान के अभियोजन प्राधिकारों की ओर से कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं करने पर गहरी चिंता व्यक्त की।’’
उन्होंने कहा, पड़ोसी देश से एक बार फिर कहा गया कि हम पाकिस्तान से उम्मीद करते हैं कि वह हमें दिए गए इन आश्वासनों को पूरा करेगा कि मुंबई के आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार सभी लोगों को सजा दिलाने के काम में तेजी लाई जाएगी।
प्रवक्ता ने कहा, यह बहुत ही चिंताजनक है कि छह साल से ऐसे आश्वासन दिए जाने, और हाल ही में पाकिस्तान में हुई त्रासदीपूर्ण घटना (पेशावर में सैन्य स्कूल में बच्चों का नरसंहार) के बावजूद पाकिस्तान कुख्यात आतंकी समूहों की पनाहगाह बना हुआ है।
सार्वजनिक सुरक्षा आदेश के तहत लखवी को हिरासत में रखने संबंधी पाकिस्तान सरकार के आदेश को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय द्वारा निलंबित किए जाने के कुछ ही घंटे बाद भारत ने अपने इस पड़ोसी देश को अपनी चिंताओं से अवगत कराया है।
पाकिस्तान की एक अदालत ने 18 दिसंबर को लश्करे तैयबा के कमांडर लखवी को जमानत दे दी थी। लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने लोक व्यवस्था बनाने रखने के कानून के तहत उसे तीन महीने की हिरासत में लेने का आदेश दिया।
लखवी उन सात पाकिस्तानी नागरिकों में शामिल है, जिन्होंने 26 नवंबर, 2008 को मुंबई पर नृशंस आतंकी हमला किया था, जिसमें 166 लोग मारे गए थे।
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नुरूल हक कुरैशी ने लखवी के वकील की दलीलें सुनने के बाद उसे हिरासत में रखने के आदेश को निलंबित कर दिया। सरकार के कानून अधिकारी हालांकि सुनवाई के लिए नहीं आए। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि वह इस संबंध में 15 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई में अपना जवाब दे।