भारत ने जल संकट से जूझ रहे मालदीव को 1, 200 टन से अधिक ताजा पानी भेजा है। देश की राजधानी माले में जल संयंत्र के आग से क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद यह संकट पैदा हुआ है। अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि भारत का आईएनएस सुकन्या बीती रात माले पहुंचा और इसने करीब 25 टन पानी वहां टैंकरों और सिंटेक्स की टंकियों को मुहैया किया।

रिजर्व ओसमोसिस (आरओ) संयंत्र के जरिए और 15 टन ताजा पानी उपलब्ध कराया गया। यह ताजा जल बाद में टैंकरों को मुहैया करा दिया गया।
नौसेना अधिकारियों ने बताया कि नौसेना का एक अन्य टैंकर आईएनएस दीपक मुंबई से 800 टन ताजा जल लेकर गया है और इसके कल दोपहर तक माले पहुंचने का कार्यक्रम है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि वायु सेना ने शुक्रवार को 200 टन पानी पहुंचाया और इसके चार विमानों में इतनी ही मात्रा में पानी शनिवार भी ले जाया गया है। मालदीव में पैदा हुए संकट पर राहत पहुंचाने वाला भारत पहला देश है जिसने एक व्यापक सहायता कार्यक्रम शुरू किया है।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मालदीव के उनके समकक्ष दुनया मौजून द्वारा बृहस्पतिवार को बात किए जाने के बाद भारत ने यह फौरी कोशिश की। सुषमा ने इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संपर्क किया और अन्य अधिकारियों से मंजूरी ली।

अपनी राजधानी में स्थित एकमात्र जल शोधन संयंत्र में आग लग जाने के बाद मालदीव राष्ट्रीय संकट का सामना कर रहा है और माले के अधिकांश हिस्से में पेयजल की किल्लत हो गई है।

राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने मालदीव की जनता से धैर्य रखने और एकजुट रहने तथा राष्ट्रीय संकट का हल करने के लिए सरकार के साथ काम करने को कहा है।

जनता में गहरे असंतोष के बीच यामीन ने मालदीव के लोगों को भरोसा दिलाया है कि संकट का हल होने तक बोतलबंद पानी पर्याप्त मात्रा में मुहैया कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि सहायता के लिए उनकी अपील पर फौरन प्रतिक्रिया करने को लेकर वह भारत और श्रीलंका के आभारी हैं।

माले में शुक्रवार को जब अधिकारी बोतल बंद पानी बांट रहे थे तभी कई स्थानों पर सड़कों पर झड़प हुई थी। सरकार ने शनिवार को कहा कि वह करीब सवा लाख बाशिंदों को मुफ्त में पानी बांटेगी इनमें बांग्लादेश, भारत, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका से आए कामगार भी शामिल हैं।

गौरतलब है कि चार दिसंबर को मालदीव वाटर एंड सीवेज कंपनी के जेनरेटर कंट्रोल पैनल में भीषण आग लग गई थी जिससे जेनरेट के केबल से लेकर डिस्टीलेशन संयंत्र को भारी नुकसान पहुंचा और जलापूर्ति रुक गई।