अमेरिका ने दावा किया है कि रूस के दो फाइटर जेट्स बालटिक सागर में तैनात उसकी नेवी के जंगी बेड़े डिस्ट्रॉयर के बेहद करीब से बार-बार गुजरे। मंगलवार को कथित तौर पर हुई इस घटना को अमेरिका ने ‘सिमुलेटेड अटैक’ करार दिया है।
अमेरिका के मुताबिक, रूस के Su-24 लड़ाकू विमान एक वक्त शिप के 30 फिट से भी ज्यादा करीब आ गए थे। ये पानी के इतने करीब से गुजरे कि उसमें लहरें पैदा हो गईं। ये प्लेन 11 बार शिप के करीब से गुजरे। रूस के इन प्लेन्स पर कोई हथियार नहीं थे, लेकिन जब अमेरिकी जंगी जहाज यूएसएस डोनल्ड कुक ने उनसे संपर्क करना चाहा तो उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला। रॉयटर्स के मुताबिक, एक रूसी KA-27 हेलिकॉप्टर भी यूएसएस डोनल्ड कुक के करीब से सात बार गुजरा। इस हेलिकॉप्टर से शिप की फोटोज ली गईं। अमेरिका का दावा है कि उनका शिप अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में खड़ा था। बता दें कि रूस का नजदीकी इलाका इस जगह से 70 नॉटिकल मील दूर है। यह जगह लिथुआनिया और पोलैंड के बीच पड़ती है।
अमेरिकी रक्षा अधिकारी के मुताबिक, शिप के कमांडर ने रूसी प्लेनों की इस बर्ताव को असुरक्षित और गैर पेशेवर करार दिया है। अमेरिका का यह भी मानना है कि यह घटना समुद्र में असुरक्षित घटनाओं को रोकने के लिए 70 के दशक में हुई संधि का भी उल्लंघन है। अमेरिकी अधिकारियों ने सिमुलेटेड (कृत्रिम) हमला करार देते हुए कहा कि रूसी प्लेन एक खास मिलिट्री तकनीक ‘स्ट्रेफिंग फिन्स’ का अभ्यास कर रहे थे। इसके तहत लड़ाकू विमान बेहद नीचे उड़ान भरते हुए जमीनी लक्ष्यों को निशाना बनाते हैं।
घटना ऐसे वक्त में हुई है, जब नाटो शीत युद्ध के बाद पूर्वी यूरोप में अब तक का सबसे बड़े सैन्य जमावड़े की योजना बना रहा है। इसका मकसद कथित तौर पर रूस को काउंटर करना है। कम से कम बालटिक रीजन के देश और पोलैंड तो यहीं चाहते हैं। 2004 में नाटो और यूरोपियन यूनियन में शामिल होने वाले तीन बालटिक राष्ट्र ने नाटो से कहा है कि उनके क्षेत्र में स्थाई तौर पर सैन्य टुकडि़यों की बटालियन तैनात करे। नाटो के एक बटालियन में कम से कम 300 से 800 टुकडि़यां होती हैं। हालांकि, रूस ने बालटिक क्षेत्र पर हमले की मंशा से इनकार किया है।
