जापान की एक आइटी कंपनी ड्रोन पर आधारित उड़ने वाला छाता बना रही है। इसकी खासियत यह है कि इसे हाथ से पकड़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यूं कहें तो यह एक छोटा मानव रहित विमान है। यह उपयोगकर्ताओं के सिर के ऊपर साथ चलने के लिए कृत्रिम बुद्धि का इस्तेेमाल करता है। जैसे जैसे उपयोगकर्ता आगे बढ़ते हैं, वह उनने अनुसार आगे बढ़ता है। यह तकनीक तोचिगी प्रीफेक्चर के आेयामा स्थित असही पॉवर सर्विस कॉरपोरेशन द्वारा विकसित किया गया है। कंपनी अन्य सेवाओं के साथ दूरसंचार प्रणाली विकसित करती है। कंपनी वर्तमान में इनडोर टेस्ट फ्लाइट के साथ इसके नमूने के विकास पर काम कर रही है। इसका उद्देशय यह है कि इस उड़ने वाले छाते का उपयोग टोक्यों में 2020 में आयोजित ओलंपिंक और पैरालिम्पिक्स में हो सके। कंपनी इसी लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है।
कंपनी के मालिक 40 वर्षीय केनजी सुजुकी ने तीन वर्ष पूर्व इस प्रोजेक्ट को प्रस्तावित किया था। उनका यह सोचना था कि जब अापके दोनों हाथ किसी काम की वजह से खुले नहीं होते तो छतरी खोलने में परेशानी होती है। इसी परेशानी को दूर करने के लिए उन्होंनें इस प्रोजेक्ट की शुरूआत की।
सिविल एयरोनॉटिक्स लॉ के तहत, ड्रोन को कस्बों और अन्य सार्वजनिक स्थानों में लोगों या इमारतों से कम से कम 30 मीटर की दूरी बनाए रखना चाहिए। इसलिए, कंपनी को उम्मीद है कि शुरुआती दौर में इसका इस्तेमाल निजी जगहों पर किया जायेगा। कंपनी ने सफलतापूर्वक छतरी बनाने वाले सामान का उपयोग कर एक नमूने को उड़ाया है। यह ड्रोन द्वारा उतपन्न हवा की सहायता से छतरी को आगे बढ़ाता है और हवा में स्थिर भी रखता है। पिछली गर्मी में कंपनी ने छतरी में एक कैमरे की सहायता से एक सिस्टम विकसित करने की प्रक्रिया शुरू की, जो उपयोगकर्ता को पहचाने और उसके सर के उपर चलता रहे।
हालांकि, अभी कई तरह की चुनौतियां बांकि है। जो नमूना विकसित किया गया है, उसका व्यास करीब 1.2 मीटर है और वजन करीब पांच किलो है। यह सिर्फ पांच मिनट ही उड़ सकता है। यदि उपयोगकर्ता धीरे-धीरे नहीं चलते हैं तो वह अपने आप उनके पीछे-पीछे नहीं चल सकता। इसे बारिश की छतरी के बजाय केवल छतरी के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि यह जाल से बना होता है। सुजुकी ने कहा कि, “यद्यपि कुछ कानूनी बाधाएं हैं। लेकिन हमें उम्मीद है कि एक दिन ड्रोन छतरी शहर की गलियों में हर जगह दिखेगी। हम इसी आशा के साथ इसका विकास कर रहे हैं।”
