रूस ने 24 घंटे के अंदर ही अनाज निर्यात समझौता तोड़ दिया। रूसी सेना ने काला सागर में यूक्रेनी बंदरगाह ओडेसा पर मिसाइल दागी। यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने शनिवार (23 जुलाई, 2022) को हुए इस हमले की निंदा की है। मंत्रालय ने कहा कि रूस का यह कदम, अनाज निर्यात का समझौता कराने वाले तुर्की और संयुक्त राष्ट्र का ‘मखौल उड़ाने जैसा है।’ यूक्रेन की सेना की दक्षिणी कमान ने कहा कि दो रूसी कैलिबर मिसाइल ने बंदरगाह पर हमला किया और यूक्रेन की हवाई रक्षा सेना ने दो अन्य मिसाइल को नष्ट कर दिया।
यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘इस्तांबुल समझौते के तहत संयुक्त राष्ट्र और तुर्की के समक्ष किये गए वादे को तोड़ने में रूस ने 24 घंटे भी नहीं लगाए और ओडेसा बंदरगाह पर मिसाइल से हमला किया।’ प्रवक्ता ने कहा, ‘वादा नहीं निभाने की सूरत में वैश्विक खाद्य संकट के लिए रूस पूरी तरह जिम्मेदार होगा।’ यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के 150वें दिन किये गए मिसाइल हमले पर निकोलेंको ने कहा कि यह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा ‘संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंतोनियो गुतारेस और तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैय्यब एर्दोआन का मखौल उड़ाने जैसा है, जिन्होंने यह समझौता कराया था।’
गुतारेस के कार्यालय ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख हमलों की “स्पष्ट रूप से निंदा” करता है। गुतारेस के बयान में कहा गया है, “शुक्रवार को सभी पक्षों ने वैश्विक स्तर पर यूक्रेनी अनाज और संबंधित उत्पादों की वैश्विक बाजारों में सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट प्रतिबद्धता जताई। इन उत्पादों को वैश्विक खाद्य संकट को दूर करने और दुनिया भर में लाखों लोगों की ज़रूरतों को कम करने के लिए बेहद जरूरी है। रूसी संघ, यूक्रेन और तुर्की द्वारा पूर्ण कार्यान्वयन अनिवार्य है।”
अनाज निर्यात फिर से शुरू करने के लिए इस्तांबुल में शुक्रवार को समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान गुतारेस ने वाणिज्यिक खाद्यान्न निर्यात के वास्ते यूक्रेन के ओडेसा, चेर्नोमोर्स्क और युझनी बंदरगाह खोलने की सराहना की थी। साथ ही, कहा था कि इससे एक नई उम्मीद जगी है। इस समझौते से यूक्रेन का लाखों टन अनाज और रूस का कुछ अनाज तथा उर्वरक का निर्यात होना है जो युद्ध के कारण रुका हुआ है।
समझौते में लाखों टन यूक्रेनी अनाज के शिपमेंट और युद्ध से अवरुद्ध अनाज और उर्वरक के कुछ रूसी निर्यात के लिए रास्ता साफ करने की मांग की। बता दें, यूक्रेन गेहूं, मक्का और सूरजमुखी के तेल के दुनिया के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है।