रशिया और यूक्रेन के बीच युद्ध को 7 दिन बीत चुके हैं और युद्ध अभी भी जारी है। यूक्रेन के राष्ट्रपति बार-बार कह रहे हैं कि हम रूस के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेंगे। अभी भी जल्द युद्ध खत्म होने की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है क्योंकि यूक्रेन भी अपनी पूरी ताकत के साथ लड़ रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध पर विशेषज्ञ भी अलग-अलग राय रखते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूस की ओर से हवा में ज्यादा गतिविधि नहीं देखी गई। विशेषज्ञ इसका कारण मानते हैं कि रूस चाहता है कि यूक्रेन के नागरिक वहां से निकल जाए और उनको नुकसान ना हो।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक मेजर जनरल अशोक कुमार (रिटायर्ड) मानते हैं कि, “रूस अपनी पूरी ताकत से हमला नहीं कर रहा है क्योंकि वह नागरिक हताहतों के बारे में चिंतित है। इसी कारण से उनकी शुरुआती प्रगति तेज नहीं थी। रूस के पास जिस तरह की मारक क्षमता है वह यूक्रेन को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकता है। लेकिन जहां तक रूस की बात है, उनका ध्यान स्थानीय आबादी की तरफ नहीं था बल्कि रूस समर्थक वहां की सत्ता को बदलना चाहते थे। क्योंकि यूक्रेन के यूरोपीय संघ में शामिल होने से रूस पर सुरक्षा की दृष्टि से गंभीर प्रभाव पड़ेगा।”
आर्मी के पूर्व अधिकारी मेजर समर तूर मानते हैं कि, “वे लोगों को जाने का समय दे रहे हैं, जनता नाकाबंदी कर रही थी। एक बार जमीनी आक्रमण के लिए तैयार होने के बाद यूक्रेनी सेनाएं भी जवाब देने के लिए तैयार रहेंगी।”
वहीं भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल राकेश शर्मा (रिटायर्ड) मानते हैं कि, “इस समय पश्चिमी क्षेत्र में संघर्ष का विस्तार करने के लिए रूसी सशस्त्र बलों में क्षमता की कमी है। सटीक लक्ष्यीकरण और रात में फायरिंग ने कमियां दिखाई हैं। एक राजनीतिक अंत का खेल भी है जो उत्तर में नीपर नदी पर टिकी हुई है और इसमें दक्षिण में तीन बंदरगाह शामिल हैं।”
यूक्रेन के रक्षा मंत्री ने रसिया को हुए नुकसान के संबंध में एक फोटो शेयर करते हुए ट्विट कर लिखा कि, “यह केवल सांकेतिक अनुमान है। लेकिन यह कब्जा करने वाले की स्थिति को अच्छी तरह से दिखाता है। दुश्मन का मनोबल टूट गया है, वह तड़प रहा है। कब्जा करने वाले नागरिकों पर गोलीबारी कर रहे हैं, क्योंकि हथियारों के साथ यूक्रेनियन रूस के लिए बहुत मजबूत हैं। यूक्रेन जीतेगा।”
