ईरान को उसके न्‍यूक्‍ल‍ियर प्रोग्राम पर रोकथाम लगाने के लिए मनाने से जुड़ी बातचीत फेल होने की दशा में अमेरिका ने एक बड़े पैमाने पर साइबर हमले की योजना बनाई थी। द न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। अखबार ने यह रिपोर्ट एक आने वाली डॉक्‍युमेंट्री के अलावा सैन्‍य और खुफिया अधिकारियों के हवाले से छापी है। पेंटागन के अधिकारियों ने इस मामले पर कोई भी टिप्‍पणी करने से इनकार कर दिया है।

अमेरिका ने इस हमले की योजना को कोडनेम ‘नाइट्रो जियस’ दिया था। अमेरिका ईरान के एयर डिफेंस, कम्‍यूनिकेशन सिस्‍टम और इलेक्‍ट्र‍िक पावर ग्रिड के कुछ हिस्‍सों को निशाना बनाना चाहता था। रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के साथ बीते साल न्‍यूक्‍ल‍ियर डील होने के बाद अमेरिका ने इस योजना को टाल दिया था। इस योजना को अमेरिका रक्षा मंत्रालय के मुख्‍यालय पेंटागन में बनाया गया था। योजना का मकसद प्रेसिडेंट बराक ओबामा को इस बात का भरोसा दिलाना था कि अगर ईरान अमेरिका या उसके सहयोगियों के खिलाफ जाता है तो जंग के अलावा दूसरे विकल्‍प भी होते। रिपोर्ट के मुताबिक, एक वक्‍त इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए अमेरिकी सेना और इंटेलिजेंस के हजारों लोगों को इसमें शामिल किया गया। इसके तहत लाखों डॉलर खर्च करने और ईरान के कम्‍प्‍यूटर नेटवर्क में इलेक्‍ट्रॉनिक डिवाइस लगाए जाने की भी योजना थी। अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसियां इसी वक्‍त अलग से एक योजना बना रही थीं, जिसके तहत ईरान के फोर्डो न्‍यूक्‍ल‍ियर साइट को साइबर अटैक के जरिए बंद करने की योजना थी।